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पिछले 10 सालों से गुरुग्राम का यह स्कूल बच्चों को उपलब्ध करवा रहा है संतुलित मिड डे मील

2008 से गुरुग्राम में स्थित दीक्षा विद्यालय के माध्यम से रिटायर्ड कैप्टन राजेश शरण और शांता शरण करीब 410 बच्चों को संतुलित भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं।

पिछले 10 सालों से गुरुग्राम का यह स्कूल बच्चों को उपलब्ध करवा रहा है संतुलित मिड डे मील

Tuesday September 24, 2019 , 5 min Read

सिर्फ भारत में ही अकेले 195.9 मिलियन लोग कुपोषण के चपेट में हैं। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में हुई मौतों में आधा मौतें कुपोषण के कारण हुई है। कुपोषण बच्चों को सामान्य संक्रमण से भी हुई मौतों में ज्यादा खतरे में रखता है। यह बीमारियों की निरंतरता और तीव्रता को बढ़ाता है और तो और पूर्णतः ठीक होने में देरी कराता है।


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सरकार और भारत भर के विभिन्न एनजीओ,अलग-अलग उपायों से कुपोषण जैसी बड़ी समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए गुरुग्राम में स्थित दीक्षा स्कूल 2008 से ही बच्चों को संतुलित भोजन उपलब्ध करवा रहा है और एक चीज जो इस संस्था को औरों से अलग करती है वो है इस संस्थान द्वारा समाज के वंचित वर्ग के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाना।


भूतपूर्व वायु सेना से रिटायर्ड कैप्टन राजेश शरण एवं उनकी पत्नी शांता शरण द्वारा स्थापित इस स्कूल की आज के समय में 410 विद्यार्थियों की क्षमता है।की सह-संस्थापक शांता शरण कहती हैं,


"बहुत सारे छात्र यहां पर दूसरे राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों के बच्चे हैं, जो कि झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं और समाज के वंचित तबके से आते हैं यह अभी चौमा गांव, धर्म कॉलोनी,कातर पुरी, न्यू पालम विहार में रह रहे हैं।"

शांता का कहना है कि यह स्कूल उन 13 बच्चों के साथ शुरू हुआ जिनके पास खुद से पढ़ाई ग्रहण करने का कोई साधन नहीं था और जो आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर परिवारों से आते हैं।


एनडीटीवी से बात करते हुए शांता कहती हैं,


"हमने पाया की यह बच्चे बेहद कमजोर थें। अक्सर ही हम यह देखते थे कि ये बच्चे संतुलित नाश्ता किए बगैर स्कूल आ जाते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके माता-पिता दैनिक मजदूर एवं प्रवासी कामगार जैसे भवन निर्माण मजदूर, रिक्शा चालक या घरेलू कामगार थे, जो कि सुबह घर से काम पर जाने और फिर वापस शाम को आने पर मजबूर थे।"


शुरुआती दिनों में भरपूर आहार ना मिलने की वजह से ये बच्चे अक्सर बीमार पड़ जाते थे, ऐसे में स्कूल के संस्थापक शरण दंपति ने सोचा कि शिक्षा के अलावा इन बच्चों को समुचित आहार देने की भी ज़रूरत है।





संतुलित मिड डे मील

विद्यालय के पास 2 पूर्णकालिक रसोईंये हैं, जो बच्चों के लिए संतुलित आहार तैयार करते हैं और फिर बच्चों को परोसते हैं। बच्चों को भोजन देने से पहले स्वयंसेवकों के द्वारा उसे चखा जाता है। मेन्यू का निर्माण इस तरीके से किया गया है कि यह बच्चों के पोषक तत्वों की जरूरतों का ख्याल रखे।


स्कूल की प्रधानाध्यापिका वंदना अनेजा कहती हैं,


"दोपहर के भोजन में आमतौर पर दाल, चावल, सांबर, खिचड़ी एवं सब्जी को शामिल किया जाता है। हमारी कोशिश भोजन को संतुलित बनाने की रहती है। हम उन्हें रोटियां उपलब्ध नहीं करा सकते हैं क्योंकि 410 बच्चों को समय पर रोटियां उपलब्ध कराना एवं बनाना अभी मुमकिन नहीं है। हम प्रयास करते हैं कि भोजन में पौष्टिकता के साथ-साथ नयापन भी बना रहे, जिसके लिए पालक, इडली और सोयाबीन जैसी चीज़ों को शामिल किया गया है। 1 दिन में रसोई में 16 किलो चावल 14 किलो मसूर दाल एवं 6 से 8 किलो सब्जी की खपत होती है जिसका एक दिन का कुल खर्च 3500 रुपये बैठता है।"


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बेहतर किताबों और पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को संतुलित भोजन उपलब्ध कराने के लिए स्कूल की स्वयंसेवक टीम डोनेशन इकट्ठा करने का काम करती है। मिलाप के अनुसार McCORMICK भारत (आइटी सपोर्ट) कोहिनूर के साथ मिलकर इस तरह के स्कूलों की मासिक तौर पर चावल की जरूरतों को डोनेशन द्वारा पूरा करती है।


29 वर्षीय रश्मि की 8 साल की बेटी भी गुरुग्राम के दीक्षा स्कूल में पढ़ाई कर रही है। खाना नहीं जुटा पाने की गंभीर समस्या को व्यक्त करते हुए रश्मी कहती हैं,


"हम मुख्य रूप से भोजन और आश्रय के लिए पैसा कमाते हैं। इसके आलावा बाकी शारीरिक ज़रूरतों की ओर ध्यान देना हमारे लिए मुश्किल है। हम सिर्फ वही चीज़ें खाते हैं जो सबसे ज्यादा सस्ती होती हैं। मेरे पास 7 लोगों का परिवार है और मुझे परिवार के हर व्यक्ति का पेट भरना है। आमतौर पर हमारे समाज में लड़कियां और औरतें पुरुषों के खाना खाने के बाद खाना खाती हैं। कभी-कभी हम पेट भर कर खाते हैं और कभी-कभी नहीं भी। मेरी बेटी नेहा कम से कम अपने विद्यालय में एक समय का खाना तो ठीक तरह से खाती है। मैं इससे बेहद खुश हूं।"


संतुलित आहार उपलब्ध कराने के अलावा यह स्कूल यह भी सुनिश्चित करता है की स्कूल के सारे बच्चे शारीरिक रूप से स्वास्थ्य हों। स्कूल एक योगा क्लास का भी आयोजन कराता है तथा सप्ताह में एक दिन खेलकूद एवं शारीरिक प्रशिक्षण के लिए भी तय किया गया है। साथ ही सिर्फ बच्चों को ही नहीं बल्कि उनके मां-बाप को भी शराब एवं मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में  विद्यालय की मीडिया कोऑर्डिनेटर आस्था गुलाटी द्वारा आयोजित अभियानों द्वारा जागरूक किया जाता है।