कभी खेती के लिए बनाया गया था बुल्डोजर, अब करता है 'तोड़फोड़', लड़ चुका है दोनों विश्व युद्ध
बुल्डोजर की शुरुआत तो खेतों को समतल बनाने के लिए की गई थी, लेकिन अब इसके कई इस्तेमाल हो रहे हैं. यह निर्माण कार्यों में काम आ रहा है. यह दो विश्व युद्ध लड़ चुका है. सियासत में भी इस्तेमाल हो रहा है.
पिछले कुछ सालों में बुल्डोजर (Bulldozer) तेजी से फेमस हुआ है. खासकर यूपी चुनाव में. तमाम जगहों पर जब भी अतिक्रमण हटाना होता है तो बुल्डोजर वहां पहुंचता है. आज के वक्त में बुल्डोजर को देखते ही अधिकतर लोग उसे तोड़फोड़ करने वाली मशीन समझते हैं. करें भी क्या, आखिर बुल्डोजर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता ही है अतिक्रमण हटाने में, जिसमें भारी तोड़फोड़ होती है. लेकिन क्या आपको पता है कि बुल्डोजर को तोड़फोड़ के लिए नहीं, बल्कि खेती के लिए बनाया गया था. हालांकि, इसी बुल्डोजर ने विश्व युद्ध भी लड़ा. आइए जानते हैं इसकी कहानी.
कहां से आया बुल्डोजर?
बुल्डोजर को अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में रहने वाले दो किसानों (James Cummings और J. Earl McLeod) ने बनाया था. इसे पहली बार 18 दिसंबर 1923 में डिजाइन किया गया था. हालांकि, उस वक्त का बुल्डोजर आज के बुल्डोजर के काफी अलग था. 1925 में उन्होंने एक स्क्रैपर ब्लेड के लिए पेटेंट भी कराया, जो ट्रैक्टर के आगे की ओर जुड़े दो हाथों पर लगा होता है. यह ट्रैक्टर के किनारों से जुड़ा होता है, इसीलिए इसका नाम बुलडोजर है. शुरुआती दौर में बुलडोजर एक अटैचमेंट हुआ करता था, जिसे किसी ट्रैक्टर आदि से जोड़ा जाता था, लेकिन 1940 तक यह खुद एक मशीन बन गया.
इससे भी पहले बन चुका था लकड़ी का बुल्डोजर!
यह भी बताया जाता है कि बुल्डोजर इससे भी पहले ही आ चुका था. उस वक्त के बुल्डोजर लकड़ी का बना हुआ था, जिसमें पीछे की तरफ एक ब्लेड होती थी. इसकी मदद से मिट्टी को समतल किया जाता था. इसे बैल, घोड़े, खच्चर या सांड से खींचा जाता था.
खेती में इस्तेमाल होता था बुल्डोजर
शुरुआत में बुल्डोजर का इस्तेमाल सिर्फ खेती-किसानी में हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल बदलने लगा. तमाम जगहों पर बिल्डिंग बनाने, गिराने, सड़क बनाने के लिए मिट्टी को समतल करने और खुदाई में भी बुल्डोजर का इस्तेमाल होने लगा. देखते ही देखते इसका इस्तेमाल मिट्टी-रेता-बजरी जैसी चीजें को बड़े-बड़े कंटेनरों में भरने में भी होने लगा.
राजनीति से हमेशा से रहा है बुल्डोजर का नाता
भारत की सियासी गलियों में यूपी चुनाव के दौरान बुल्डोजर खूब फेमस हुआ. भारतीय जनता पार्टी ने बुल्डोजर को खूब इस्तेमाल किया. सरकार ने कहा कि इसकी मदद से अतिक्रमण हटाए गए, सड़कें बनाई गईं और इस तरह लोगों का विश्वास जीत लिया. बुलडोज शब्द का सियासी गलियारे में सबसे पहले इस्तेमाल 1870 में अमेरिका में एक धमकी के तौर पर किया गया. वहीं जब 1876 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुआ तो भी बुलडोजर शब्द खूब गूंजा. उसके बाद तो जैसे बुलडोजर शब्द ताकत दिखाने के लिए इस्तेमाल करने वाला हथियार बन गया.
विश्व युद्ध में भी जा पहुंचा बुल्डोजर
बुल्डोजर ने सिर्फ खेती-किसानी, निर्माण गतिविधियों और राजनीति में ही अपनी भूमिका नहीं निभाई, बल्कि युद्ध भी लड़ा. पहले विश्व युद्ध के दौरान हथियारों से लैस और बख्तरबंद बुल्डोजर बनाए गए. इनका काम होता था रास्ते की रुकावटों को हटाना, ताकि सेना की गाड़ियां और सैनिक आसानी से आगे बढ़ सकें.
दूसरे विश्व युद्ध में बुल्डोजर का इस्तेमाल हाईवे, रनवे और किलेबंदी के लिए खूब किया गया. सैन्य बुल्डोजर पूरे यूरोप में उन गांवों में घूमकर वहां का मुआयना करते थे, जहां बमबारी हुई होती थी. उनका काम था कि वह सड़कों को साफ करते रहें और साथ ही उनका काम होता था कि वह सप्लाई लाइनों को खुला रखें.
काफी पुराना है भार से बुल्डोजर का नाता
भारत के साथ बुल्डोजर का बड़ा कनेक्शन है. इंडस्ट्री के आंकड़ों की मानें तो भारत में हर साल करीब 40 हजार बुलडोजर बनाए जाते हैं. यानी कि हर महीने करीब 3500 बुल्डोजर बनाए जाते हैं. ये बुल्डोजर जेसीबी, टाटा हिटाची, महिंद्रा, एस्कॉर्ट्स, एसीई जैसी कंपनियां बनाती हैं. बता दें कि भारत में जिनते बुल्डोजर बनते हैं, उनमें से करीब 70-75 फीसदी उत्पादन तो सिर्फ जेसीबी ही करती है. अमूमन एक बुल्डोजर की कीमत लगभग 30 लाख रुपये होती है. जितनी अधिक पावर वाला बुल्डोजर आप लेंगे, आपको उतनी ही अधिक कीमत भी चुकानी होगी.