बजट 2020 से देश की जीडीपी पर पड़ेगा कितना असर? जानें इधर
बजट 2020 के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कई सेक्टर के लिए बड़ी घोषणाएँ की हैं। सरकार को आशा है कि कोर सेक्टर में निवेश के जरिये देश की सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार दिलाई जा सकेगी।
केंद्र की मोदी सरकार साल 2020-21 के लिए देश के समक्ष आम बजट पेश कर चुकी है। देश में कई वर्ग के लोग आर्थिक मंदी और सुस्त अर्थव्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं, हालांकि बजट पेश करते समय सरकार की तरफ से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस संबंध में स्पष्ट कुछ भी नहीं कहा।
बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री ने सदन को बताया कि इस दौरान केंद्र सरकार ने अपने कर्ज को कम करने में सफल रही है। सरकार के आंकड़ों की मानें तो मार्च 2014 में यह कर्ज जीडीपी के मुक़ाबले 52.2 फीसदी था, जो कि अब घटकर 48.7 फीसदी पर आ गया है।
मोदी सरकार के कार्यकाल में जीडीपी को लेकर आंकड़े पेश करते हुए वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि 2014 से 2019 के बीच जीडीपी की औसत विकास दर 7.4 प्रतिशत रही है। हालांकि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वित्त मंत्री ने जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 10 फीसदी बताया है।
बजट से एक दिन पहले पेश किए गए इकनॉमिक सर्वे के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020 के लिए नॉमिनल जीडीपी वृद्धि को 7.5 फीसदी रखा गया था। यह आंकड़ा 42 सालों में सबसे निचले स्तर पर है।
सरकार के मध्यमवर्ग को आयकर में छूट देने के लिए दो वैकल्पिक इनकम टैक्स स्लैब पेश किए हैं। कर बचत करने के बाद मध्यमवर्ग इस पैसे को किस तरह खर्च करता है और इससे देश की जीडीपी पर कितना सकारात्मक असर पड़ता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
सर्वे की मानें तो वित्तीय वर्ष 2021 के लिए जीडीपी की विकास दर 6 से 6.5 फीसद के बीच रहने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2020 के लिए यह अनुमान 5 फीसदी का है। गौरतलब है कि 5 फीसदी का यह अनुमान बीते 11 सालों में सबसे निचला स्तर है। सर्वे के इतर आरबीआई ने भी साल 2020 के लिए जीडीपी विकास दर के अपने अनुमान को 6.1 फीसदी से संसोधित कर 5 फीसदी कर दिया है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि निकट भविष्य में स्टार्टअप देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा रोल अदा करेंगे। इस बार के बजट में भी सरकार के स्टार्टअप को लेकर कुछ विशेष घोषणाएँ की हैं। साल 2020-21 के लिए सरकार ने स्टार्टअप फंड के लिए बजट आवंटन को बढ़ाकर 1 हज़ार 54 करोड़ कर दिया है। सरकार ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए 1 हज़ार 281 करोड़ रुपये के बजट आवंटन का प्रस्ताव रखा है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के कोर कृषि क्षेत्र के लिए भी सरकार ने 2.83 लाख रुपये के बजट का आवंटन किया है। कृषि क्षेत्र में सरकार के इस निवेश से अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में जिक्र करते हुए कहा था, “देश में 10 लाख लोगों को गरीबी से बाहर लाया गया है और हमें इसपर गर्व होना चाहिए।"
वित्त मंत्री ने अगले 5 सालों के लिए अर्थव्यवस्था को लगातार 10 फीसदी की दर से आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए सरकार ने निवेश को लेकर भी अपनी आस लगा रखी है। वित्त मंत्री ने मीडिया हाउस से बात करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को फिलहाल किसी एक इंजन के सहारे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता, इसके लिए सार्वजनिक और निजी दोनों से क्षेत्र को एक साथ आगे आना होगा।
वित्त मंत्री के अनुमान के अनुसार सीमेंट, आयरन और कृषि क्षेत्र में निवेश शुरू हो जाने के बाद अर्थव्यवस्था भी तेजी पकड़ने लगेगी।