मानवता की मिसाल: कोरोना महामारी के बीच लोगों को खाना और ऑक्सीजन बांटने एक बार फिर से सड़कों पर लौट आया ये परोपकारी
चीनू क्वात्रा एक बार फिर से लोगों की मदद करने के लिए सड़कों पर हैं। कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान भी वह सड़कों पर उतर लोगों की मदद कर रहे थे। इस बार दूसरी लहर में वो पहले से बड़े स्तर के साथ लोगों की मदद करने आगे आए हैं।
"कोरोना से पहले चीनू देश के समुद्री तटों को साफ करने के अभियान में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। लेकिन कोरोना की पहली लहर के दौरान उन्होंने उन लोगों को राहत देने का बीड़ा उठाया, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी।"
कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान लगे देशव्यापी लॉकडाउन के चलते यातायात के सभी साधन बंद हो गए थे। तब मुंबई के रहने वाले एक परोपकारी और मानवतावादी शख्स ने आगे आकर मजदूरों को उनके घर वापस भेजने में मदद की थी। इस शख्स का नाम चीनू क्वात्रा है। अब एक साल बाद यह वायरस फिर से लौट आया है और इस बार यह पहले से अधिक संक्रामक और घातक नजर आ रहा हैं। लेकिन इस दूसरी लहर में वायरस के साथ चीनू क्वात्रा भी पहले से बड़े स्तर के साथ लोगों की मदद के लिए फिर से लौट आए हैं।
कोरोना से पहले चीनू देश के समुद्री तटों को साफ करने के अभियान में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। लेकिन कोरोना की पहली लहर के दौरान उन्होंने उन लोगों को राहत देने का बीड़ा उठाया, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी।
दूसरी लहर में भी वो ऐसा ही कर रहे हैं। वह और उनके गैर-लाभकारी संगठन 'खुशियां फाउंडेशन' के सदस्य मुख्य रूप से चार पहलों पर काम कर रहे हैं। इनमें से तीन को पहली लहर के दौरान उनके किए प्रयासों से आगे बढ़ाया जा रहा है। दूसरी लहर के संकट को देखते हुए इन सभी पहलों के स्तर और क्षमता को बढ़ाया गया है।
मुफ्त ऑक्सीजन सिलिंडर
सबसे पहले, वे 'मुफ्त ऑक्सीजन सेवा' के तहत जरूरत मंद लोगों और अस्पताल कर्मियों को ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया करा रहे हैं। यह काम वे 'अनंत खुशियां' के जरिए कर रहे हैं, जो उनके एनजीओ और अनंत के बीच सहयोग से बना एक प्लेटफार्म है। अनंत, एक युवा उद्यमियों का समूह है, जो समाज की सेवा करने में यकीन रखता है।
चीनू ने YourStory को बताया, “हमने तीन नंबर जारी किए हैं, जिससे हमें प्रतिदिन करीब 1,000 कॉल मिल रही हैं। हम 10 सिलेंडर खरीदते हैं और उन्हें बहुत गंभीर रोगियों को देते हैं।"
वह इस ओर भी ध्यान दिलाते हैं कि कई लोगों ने बैकअप के रूप में अपने घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर जमा कर रखे हैं, ताकि भविष्य में अगर उन्हें इसकी जरूरत पड़े तो वे इसका इस्तेमाल कर सकें।
इसके अलावा जो मरीज नेगेटिव हो रहे हैं, उन्हें भी कई मामलों में अधिक ऑक्सीजन की जरूरत होती है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जा सकती है।
उन्होंने बताया,
"उनकी मदद करने के लिए हमने हर दिन दो नेगेटिव मरीजों को सिलेंडर बांटना शुरू किया, जिन्हें अभी भी ऑक्सीजन की आवश्यकता है। ताकि उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा सके और वे घर पर खुद की देखभाल कर सकें, और अस्पताल में उनका बेड किसी और जरूरतमंद को आवंटित किया जा सके।"
इसके अलावा, उन्होंने मुंबई और उसके आसपास ऑक्सीजन सिलेंडर के सभी विक्रेताओं से संपर्क किया, जिससे लोगों को उस व्यक्ति के साथ जुड़ने में मदद मिल सके जो किसी क्षेत्र विशेष में ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहा है।
चीनू कहते हैं,
“मान लीजिए मैं ठाणे में हूं और आपको घाटकोपर में ऑक्सीजन की आवश्यकता है। अगर आप हमसे संपर्क करते हैं, तो हम आपको घाटकोपर में ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाले व्यक्ति का संपर्क सूत्र देते हैं, जिससे आपको जितना जल्द हो सके, उतना जल्द ऑक्सीजन मिल सके।"
उन्होंने बताया, "कुछ मामलों में वे जमा राशि के रूप में कुछ शुल्क लेते हैं। इसके पीछे विचार यह था कि लोगों तक मदद जल्द से जल्द पहुंचनी चाहिए।"
चीनू और उनकी टीम कुछ ऐसे कॉरपोरेट्स से भी जुड़ी, जो उन लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर दान करने के लिए तैयार हैं, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।
खाना और राशन
इस साल पाबंदियों के एक बार फिर से लागू होने के बाद चीनू को पिछले साल के लाभार्थियों से दोबारा फोन आने लगे, जिन्हें मदद की दरकार थी। इनमें प्रवासी मजदूर, ट्रांसजेंडर समुदाय से लेकर सेक्स वर्कर तक शामिल थीं।
टीम ने अपनी पहल 'रोटी घर' को फिर से शुरू किया और तब से वह लगभग 1,000 जरूरतमंद परिवारों को करीब 1,000 राशन किट वितरित कर चुके हैं। इस पहल के जरिए उन्होंने 5,000 परिवारों को लक्षित किया है, जिन तक वे 2020 में पहुंचे थे।
इसके अलावा वे ठाणे, बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली और ओडिशा में अपने रसोईघरों के पास रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों और मजदूरों को ताजा पकाया हुआ भोजन भी उपलब्ध करा रहे हैं। अब तक उन्होंने 2,500 बच्चों तक खाना पहुंचाया है और मई के मध्य तक वह रोजाना 5,000 लोगों तक इसे पहुंचाने की कोशिश में हैं।
अन्य पहल
दूसरी लहर के दौरान फिर से शुरू की गई इन तीन पहलों के अलावा, टीम मुंबई में आवारा जानवरों को भी बचाने और उनकी मदद करने का काम कर रही है।
वे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में इस पहल का विस्तार कर रहे हैं। इससे मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों के फीडर और बचावकर्मी भी उनकी मदद कर रहे हैं। वे उन जानवरों के लिए भोजन और दूसरी वस्तुएं प्रदान कर रहे हैं।
चीनू ने बताया, "हमारे पास जानवरों को बचाने वाली एक वैन भी है, जिसके जरिए हम दिन के समय में अधिकतम जानवरों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।"
ऑक्सीजन, राशन और पशु सेवा से जुड़ी पहल जहां सिर्फ मुंबई के भीतर चल रही है, वहीं भोजन वितरण का काम पांच शहरों - मुंबई, बेंगलुरु, ओडिशा, हैदराबाद और दिल्ली में हो रहा है।
टीम के कुछ सदस्य जहां मैदान पर तैनात हैं, वहीं कुछ अपने घरों के भीतर काम संभाल रहे हैं। कुछ अन्य लोग कॉल और बैकएंड ऑपरेशन संभाल रहे हैं और इन पहलों को अपना समर्थन प्रदान कर रहे हैं।
इन लोगों को कई कंपनियों से सीएसआर फंड भी मिल रहा है। लेकिन इनके ऑक्सीजन सेवा में सबसे बड़ी मदद अनंत खुशियां पहल से मिल रही है। टीम ने सोशल मीडिया के जरिए भी फंड जुटाया है।
चीनू का कहना है कि टीम को इन पहलों को चलाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें बीमार व्यक्ति के साथ समाज में भेदभाव की समस्या के अलावा, बीमारी की जागरूकता को लेकर कमी, महामारी की आशंका और अपर्याप्त फंडिंग शामिल हैं।
वह कहते हैं, "जब भी आप कुछ अच्छा करते हैं, लोग हमेशा आपको नीचे लाने की कोशिश करते हैं।"
इन चुनौतियों के बावजूद, चीनू रुकने वालों में से नहीं है। उनका लक्ष्य लोगों की उनकी जरूरत के समय सेवा करना है।
Edited by Ranjana Tripathi