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इस महिला ने समाज में बदलाव लाने के लिए छोड़ दी कॉर्पोरेट की सुख-सुविधाओं वाली नौकरी, गरीबों की ऐसे कर रही हैं मदद

इस महिला ने समाज में बदलाव लाने के लिए छोड़ दी कॉर्पोरेट की सुख-सुविधाओं वाली नौकरी, गरीबों की ऐसे कर रही हैं मदद

Monday December 09, 2019 , 6 min Read

अधिकांश कॉलेज ग्रेजुएट्स के सपने कॉमन होते हैं, एक अच्छी सैलरी वाली जॉब, बहुत सारी सुविधाएं और एक आरामदायक जीवन। लेकिन उनमें से कुछ लोग इन सुख-सुविधाओं को छोड़ने और एक ऐसे मार्ग पर चलना पसंद करते हैं जो सामाजिक बदलाव की तरफ लेकर जाता है। ऐसी ही एक महिला हैं राधा अरक्कल (Radha Arakkal), जिन्होंने ब्रांडस्केप वर्ल्डवाइड के लिए कंसल्टिंग पार्टनर के रूप में अपनी सुख-सुविधाओं वाली कॉर्पोरेट जॉब छोड़कर कुछ अलग करने का फैसला किया।


जॉब छोड़ने के बाद उन्होंने एक ऐसा जीवन जीने का फैसला किया जो सामाज में प्रभाव डाल सके। 2018 से, राधा सामाजिक क्षेत्र में एक स्वतंत्र सलाहकार के रूप में काम कर रही हैं और वर्तमान में पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के हिंगलगंज में 120 बच्चों वाले स्वप्नोपुरन वेलफेयर सोसाइटी के इंग्लिश मीडियम स्कूल को मेंटॉर कर रही हैं। 


योरस्टोरी से बात करते हुए राधा कहती हैं,

"मैंने दुनिया भर में कई ब्रांडों की मदद की है, जिन्हें काफी लाभ भी हुआ है। अब, मैं अपने सीखने और कौशल का उपयोग एनजीओ को उनके संचालन और परियोजनाओं को बढ़ाने में मदद करने के लिए कर रही हूं।"
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राधा अरक्कल ने ब्रांडस्केप वर्ल्डवाइड के लिए कंसल्टिंग पार्टनर के रूप में अपनी सुख-सुविधाओं वाली कॉर्पोरेट जॉब छोड़कर कुछ अलग करने का फैसला किया।

पिछले एक साल में, राधा ने कुछ कंसल्टिंग असाइनमेंट्स लिए हैं। सत्व कंसल्टिंग (Sattva Consulting) के साथ उन्होंने 'एवरीडे गिविंग' पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट किया। इसके अलावा उन्होंने टीच फॉर इंडिया की फेलो रिक्रूटमेंट कम्युनिकेशंस में मदद की और एक स्मॉल एनजीओ को भी मेंटॉर किया है।

टर्निंग प्वाइंट

कॉर्पोरेट जगत में 25 साल तक काम करने वाली राधा के पास फिजिक्स में बीएससी की डिग्री और मार्केटिंग में एमबीए की डिग्री है। उन्होंने अपने करियर के पहले 15 साल विज्ञापन, मीडिया स्ट्रेटजी और ब्रांड स्ट्रेटजी के क्षेत्र में बिताए। इस दौरान, उन्होंने भारत और मध्य पूर्व में पांच वैश्विक विज्ञापन एजेंसियों के साथ काम करते हुए बहुराष्ट्रीय और स्थानीय ब्रांडों के अभियानों को संभाला। अगले दशक के लिए, उन्होंने ग्लोबल मार्केटिंग कंसल्टिंग और मार्केट रिसर्च में काम किया, कोका-कोला और यूनिलीवर जैसी वैश्विक कंपनियों भी सर्विस दी। मई 2018 में, राधा ने ये सब छोड़ने का फैसला किया।


वे याद करते हुए कहती हैं,

“मैं सोच रही थी कि अब आगे क्या होगा। पिछले साल जुलाई की बात है जब मेरे पति एक दिन जिम से लौटे और उन्होंने मुझसे कहा कि 'पड़ोसी, संगीता मेनन (ILSS लीडरशिप प्रोग्राम कोहोर्ट 1) कुछ ऐसी बातें कर रही थीं जो शायद तुम्हें पसंद आएं।”


राधा बताती हैं कि एक लंबी बातचीत के बाद उन्होंने ILSS प्रोग्राम के अगस्त 2018 एडिशन के लिए आवेदन कर दिया। आवेदन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में उन्होंने जो निबंध लिखे, उसने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह किस चीज को लेकर फिक्रमंद हैं।





वह कहती हैं,

"मैं जानती थी कि मुझे इसी (सामाजिक क्षेत्र) की तलाश थी।"

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शुरूआत

तब से, राधा सामाजिक क्षेत्र के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने टीच फॉर इंडिया के लिए कंसल्टिंग का काम किया, जहां उन्होंने टीएफआई की फैलोशिप रीक्रूटमेंट के लिए कम्युनिकेशन स्ट्रेटजी को सघन बनाया। उन्होंने इस फॉर्मल डिजिटल एजेंसी के बोर्ड में आने तक एक अंतरिम कैंपेन डेवलप करने में सम्युनिकेशन टीम का मार्गदर्शन किया। कैंपेन प्रभावी था, जिसका नतीजा ये निकला कि उस पीरियड में रीक्रूटमेंट टारगेट से ज्यादा हुई।


साबरमती में ग्लोबल एक्शन अगेंस्ट पॉवर्टी (GAP) सम्मेलन में, राधा कुछ छोटे और ऐसे गैर सरकारी संगठनों से मिलीं, जिन्होंने अपने समुदायों में शानदार कार्य किया था। उनके काम से प्रेरित होकर, उन्होंने जमीनी स्तर पर काम करने का संकल्प लिया।





राधा ने इस साल जून में सुंदरबन गांव में स्वप्नोपुरन वेलफेयर सोसाइटी के स्कूल का दौरा किया और वहाँ से पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्तमान में, राधा सक्रिय रूप से स्वप्नोपुरन वेलफेयर सोसाइटी (एसडब्ल्यूएस) का मेंटॉर और सपोर्ट कर रही हैं, एनजीओ छोटा है लेकिन इसकी महत्वाकांक्षाएं बड़ी हैं।


कक्षा 5 तक के 120 बच्चों के एक बांस और घास के शेड से, स्कूल बारहवीं कक्षा तक के 750 बच्चों तक बढ़ना चाहता है और CBSE से मान्यता हासिल करना चाहता है। इसके लिए, एनजीओ ने पक्के स्कूल भवन के लिए भूमि का अधिग्रहण किया है। राधा उन्हें अपने बुनियादी ढांचे के लिए धन जुटाने और पैमाने के लिए योजना बनाने में मदद कर रही है।


स्कूल के बारे में बचा करते हुए राधा कहती हैं,

“अगर मैं अपने देश से गरीबी को खत्म होते देखना चाहती हूं, तो मुझे इसके लिए कुछ करना होगा। हमारे सबसे गरीब समुदायों के बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें बेहतर भविष्य के लिए उचित अवसर देने से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है? ये तेजस्वी बच्चे हैं! उनके माता-पिता मानते हैं कि एक अच्छी 'इंग्लिश मीडियम' की शिक्षा उनके अवसरों को कई गुना बेहतर कर देगी। यह सपना स्वप्नोपुरन एक दूरस्थ गांव में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाकर पूरा करने की कोशिश कर रहा है।”


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स्कूल के बच्चे के साथ राधा

राधा ने स्कूल के लिए धन जुटाने के लिए मुंबई और कोलकाता में कई मध्यम आकार के व्यवसायों और परोपकारी लोगों से मुलाकात की। उन्होंने अपने व्यक्तिगत कनेक्शन और एक 'दान उत्सव' कार्यक्रम के माध्यम से उचित राशि जुटाई है। फंड रेसिंग के अलावा, राधा एनजीओ कर्मियों को सक्रिय रूप से सलाह दे रही हैं, अकाउंटिंग और रिपोर्टिंग सिस्टम को सुव्यवस्थित करने पर काम कर रही हैं, जो एनजीओ की वेबसाइट को सुधारने में मदद करती हैं, और संचार को बेहतर बनाती हैं।


राधा बेस्ट सिटी टीचर्स को गांव के स्कूल में डिजिटल रूप से लाने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाना चाहती हैं और इसको लेकर वे बहुत उत्सुक हैं। लेकिन गाँव में दिनों तक बिजली नहीं आती। एनजीओ 'टाटा स्टील कोलकाता 25K रन' में भाग ले रहा है और मैराथन साइट पर सौर ऊर्जा जनरेटर के लिए फंड की अपील कर रहा है। स्कूल को अब एक डोनर मिल गया है जो स्कूल की बिल्डिंग को फंड करेगा। उस छोटे से गाँव के सपने को साकार करने से पहले एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

तय करना है लंबा सफर

राधा ने ट्रैवल करना जारी रखा है और वे बड़े और छोटे गैर सरकारी संगठनों से मिलती रहती हैं जो जमीनी स्तर पर शानदार काम कर रहे हैं। उनकी योजना हमारे शहरों से उचित संसाधनों को ऐसे समुदायों तक पहुंचाना है जिन्हें उनकी जरूरत है।