सरकार के सम्मेलन में डिस्टर्बेंस न हो क्या इसलिए चीन ने रोके GDP आंकड़े?
चीन मंगलवार को जीडीपी के आंकड़े जारी करने वाला था, जिसे बाद में जारी करने का ऐलान किया गया है. निवेशकों को डर है कि आगे कई और अन्य अहम आर्थिक आंकडों को भी बीजिंग सरकार टालने का फैसला न ले ले.
इस सप्ताह निवेशक बीजिंग में अधिकारियों के सभी तरह के बयान पर नजर बनाए हुए हैं. ऐसे में सरकार की तरफ से अहम आर्थिक आंकड़ों पर चुप्पी साधे रहना यह साफ-साफ बता रहा है कि बीजिंग सरकार की कोविड जीरो पॉलिसी और राजनीति इकॉनमी पर भारी पड़ गई है.
एक्सपर्ट्स की ऐसी भी राय है कि यह पिछले दो साल का सबसे खराब प्रदर्शन भी हो सकता है. चीन ने कोविड से निपटने के लिए अपने कई आर्थिक शहरों में कड़े लॉकडाउन लगाए थे. साथ ही रियल एस्टेट क्षेत्र में आए संकट ने चीन की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया था.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट् के मुताबिक सरकार ने पिछले सप्ताह कई बड़े आर्थिक रिपोर्ट्स को देर से जारी करने का फैसला किया है. इनमें जीडीपी जैसे आंकड़े भी शामिल हैं. चीनी सरकार की तरफ से ऐसा करने के पीछे न कोई ठोस कारण बताए गए हैं और न ही आंकड़े कब जारी होंगे इसका कोई समय.
इस मामले से जुड़े एक शख्स का कहना है कि इन आंकड़ों पर जिन अधिकारियों के दस्तखत चाहिए थे वो कम्यूनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में उपस्थित थे. कोविड प्रोटोकॉल की वजह से उनकी गतिविधियां सीमित थीं और इस वजह से वो समय पर दस्तावेजों पर साइन नहीं कर सके.
इस वजह से रिपोर्ट को समय पर जारी करना मुमकिन नहीं हो सका. ऐसा बताया जा रहा है कि इन्हीं प्रतिबंधों की वजह से मंगलवार को जीडीपी समेत अन्य कई आंकड़ों को जारी नहीं किया जा सका. अब निवेशकों को इस बात की चिंता है कि गुरुवार को लोन प्राइम रेट जारी होने वाले वो समय पर आएंगे या नहीं.
ब्लूमबर्ग के सर्वे में ज्यादा इकनॉमिस्ट्स ने कहा है कि दरों के जस का तस रहने का अनुमान है क्योंकि पीबीओसी ने दो महीने से दरों में कोई बदलाव नहीं किया है इसके बाद भी युआन में कमजोरी बनी हुई है. इसलिए दरों में फेरबदल करने का कोई मतलब नहीं बनता.
अहम आर्थिक आंकड़ों में अप्रत्याशित देरी इस बात को उजागर करती है कि कैसे सत्ता पार्टी की मीटिंग को सरकार के काम को किनारे रखकर प्राथमिकता दी गई है. यह दुनिया की दूसरी सबसे इकॉनमी की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है.
इसके अलावा अधिकारियों की तरफ से इसके पीछे कोई भी अधिकारिक सफाई नहीं आने की वजह से निवेशकों के बीच शंका और बढ़ गई है और इस बात को औऱ हवा दे दी है कि क्या बीजींग सरकार आंकड़ें छुपाना चाह रही है.
हांगकांग यूनिवर्सिटी में इकॉनमिक्स प्रोफेसर कार्सटन होल्ज ने कहा,जीडीपी आंकड़े पर समय पर नहीं जारी होने का मतलब ये जरूरी नहीं आंकड़े खराब ही हैं. इतना ही कहा जा सकता है कि लोवर-लेवल अधिकारियों ने पार्टी के सम्मेलन के बीच दखल नहीं देने को तवज्जो दी.
आपको बता दें कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने इस साल 5.5 फीसदी की दर से अपनी जीडीपी ग्रोथ का लक्ष्य रखा है. हालांकि, कई आर्थिक जानकारों का कहना है कि चीन को इस लक्ष्य को हासिल करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने नसाल 2022 और 2023 के लिए चीन की जीडीपी ग्रोथ को घटाकर 3.2 फीसदी और 4.4 फीसदी कर दिया है
Edited by Upasana