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टीवी के रिमोट ने दिया था आइडिया और बन गए भारत के सबसे युवा अरबपति, कुछ ऐसी कहानी है OYO रूम्स के फाउंडर और CEO रितेश अग्रवाल की

टीवी के रिमोट ने दिया था आइडिया और बन गए भारत के सबसे युवा अरबपति, कुछ ऐसी कहानी है OYO रूम्स के फाउंडर और CEO रितेश अग्रवाल की

Thursday June 04, 2020 , 3 min Read

महज 13 साल की उम्र में रितेश सिम कार्ड बेंचा करते थे और फिर सफर कुछ ऐसे आगे बढ़ा कि वो देश के सबसे कम उम्र के अरबपति बनकर उभरे।

रितेश अग्रवाल, संस्थापक और सीईओ, ओयो रूम्स

रितेश अग्रवाल, संस्थापक और सीईओ, ओयो रूम्स



आपकी सफलता कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है। आपकी लगन, निरंतरता और मेहनत को आगे ले जाने के प्रमुख साधन होते हैं। हमारे सामने हजारों ऐसी कहानियाँ हैं जहां लोगों ने ज़ीरो से शुरुआत करते हुए सफलता का वो मुकाम छुआ जिसकी अधिकांश लोग सिर्फ कल्पना ही करते हैं। ऐसा ही एक नाम हैं ओयो होटल्स के संस्थापक और सीईओ रितेश अग्रवाल।


देश के सबसे सफल उद्यमियों में से एक और सबसे कम उम्र में अरबपति बनने वाले रितेश की शुरुआत बेहद सामान्य ही थी। रितेश का परिवार उड़ीशा में एक छोटी सी दुकान चलाता था। साल 2011 में रितेश महज 13 साल के थे, जब उन्होने सिम कार्ड बेंचने शुरू कर दिये। रितेश ने इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला जरूर लिया, लेकिन उन्हे लगा कि वो कॉलेज की पढ़ाई में बेहतर नहीं कर पाएंगे और उन्होने कॉलेज ड्रॉपआउट कर दिया।


रितेश ने जीक्यू इंडिया से बात करते हुए बताया कि कैसे उनके रिशतेदारों के घर पर एक ही टीवी था और जिसमें डेली शोप चला करते थे, जबकि वो उसमें कार्टून देखना चाहते थे, बस ओयो रूम्स को शुरू करने का पहला आइडिया उनके दिमाग में यहीं से आया।

रितेश ने जब इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का फैसला किया, तब छोटे होटल्स की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी। ना तो उन होटल्स के पास अधिक ग्राहक थे और ना ही होटल्स में साफ-सफाई को गंभीरता से लिया जाता था।





रितेश ने इस दौरान होटल्स के मालिक से बात कर उन्हे कुछ बदलाव करने को कहे और होटल की कुछ तस्वीरों को इंटरनेट पर भी पोस्ट किया। इसी का नतीजा था कि होटल जो जल्द ही अधिक ग्राहक मिलने शुरू हो गए।


होटल्स को ग्राहकों के लिए उपलब्ध शुरुआत रितेश ने साल 2013 में कर दी थी, लेकिन ऐसा नहीं है कि रितेश हमेशा सफल ही हुए। इस सफर में उनके अनुसार उन्हे 6 बार असफलता का सामना करना पड़ा। रितेश कहते भी हैं कि ‘अगर आप असफल नहीं हुए हैं, इसका मतलब है कि आपने अभी पूरी तरह से प्रयास नहीं किया है।’


जब रितेश 18 साल के हुए तब उन्होने 'ओरैवल स्टेस' नाम से पोर्टल शुरू किया, जो लोगों को किफ़ायती दामों पर होटल्स बुक करने की सुविधा उपलब्ध कराता था, जिसे बाद में ओयो रूम्स के नाम से आगे ले जाया गया। शुरुआती चरण में ओयो महज एक वेबसाइट थी, लेकिन साल 2016 में ओयो ने बड़ी तेजी से होटल्स को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान ओयो के साथ रोजाना एक-दो नए होटल्स जुड़ रहे थे और आज कंपनी के साथ 43 हज़ार से अधिक होटल्स जुड़े हुए हैं। इसी के साथ कंपनी वैश्विक स्तर पर 800 शहरों में अपनी सेवाएँ दे रही है, जबकि कंपनी में 20 हज़ार कर्मचारी काम कर रहे हैं।


योरस्टोरी के साथ हुई बातचीत में रितेश मज़ाकिया अंदाज में कहते हैं, “मेरे परिजनों को लगता था मैं जीवन में कुछ नहीं कर पाऊँगा। अगर मुझे किसी आईटी कंपनी में नौकरी मिल जाती तो मैं बहुत अच्छा करता।”

ओयो होटल्स में सॉफ्टबैंक, एयरबीएनबी, ग्रीन ओक कैपिटल्स और सिकोया कैपिटल्स इंडिया जैसे बड़े निवेशकों ने निवेश किया है। कंपनी का मूल्य अब 10 बिलियन डॉलर से अधिक है।