जानिए कैसे हवा में उगाया जा सकता है आलू , इस तकनीक को समझने के बाद खेत न होने पर भी बन सकते हैं किसान
एक ऐसी तकनीक जिसमें ना जमीन की जरूरत होगी और ना ही जुताई और फसल तैयार करने के लिए अधिक लागत मूल्य की। आपको सुनने में जरूर अजीब लगेगा लेकिन यह सच है कि अब आलू की फसल बिना खेत के भी की जा सकती है। इसके किसानों को इस नई तकनीक का उपयोग करना होगा।
दुनिया के आठ अजूबों के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा लेकिन आज हम आपको जो बताने जा रहे हैं, वो भी किसी अजूबे से कम नहीं है। हालांकि, इस अजूबे में कोई विशाल इमारत नहीं है और ना ही यह किसी प्रेम की निशानी है। बल्कि ये अजूबा है खेती-किसानी करने के नए तरीका का।
एक ऐसी तकनीक जिसमें ना जमीन की जरूरत होगी और ना ही जुताई और फसल तैयार करने के लिए अधिक लागत मूल्य की। आपको सुनने में जरूर अजीब लगेगा लेकिन यह सच है कि अब आलू की फसल बिना खेत के भी की जा सकती है। इसके किसानों को इस नई तकनीक का उपयोग करना होगा।
किस तकनीक का करना होगा इस्तेमाल
भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है। इसकी 65 से 70 प्रतिशत आबादी आज भी कृषि आधारित काम-धंधों पर टिकी हुई है। दिन-प्रतिदिन हो रही नई -नई तकनीकों के आविर्भाव के कारण किसानों की परेशानियाँ और उनके काम को आसान भी बनाए जाने के निरंतर जमीनी प्रयास किये जा रहे हैं।
इन्हीं प्रयासों के चलते हाल ही में हरियाणा के करनाल जिले में स्थित प्रौद्योगिकी केंद्र के वैज्ञानिकों ने एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके हवा में आलू उगाने का नया तरीका ईजाद कर दिखाया है। यही नहीं इसके बाद कृषि विभाग ने दूसरे राज्यों और बागवानी विभाग के किसानों को इस तकनीक के प्रति जागरुक करने पर जोर देने का फैसला किया है।
क्या-क्या होंगे इस तकनीक के फायदे
करनाल डिस्ट्रिक्ट में बने इस एग्रीकल्चर सेंटर के विशेषज्ञों का दावा है कि इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए अब हर छोटा-बड़ा किसान और आम इंसान बिना किसी बड़े खेत और जमीन का इस्तेमाल किये बगैर आलू की फसल का अच्छा उत्पादन कर सकेगा। इस तकनीक के जरिए आलू उगाने के लिए अब जमीन और मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के मुताबिक, ऐसा करने से न केवल दिनोंदिन कम होती जा रही खेतीहर जमीन की कमी को पूरा किया जा सकेगा, बल्कि पैदावार में भी 10 गुना तक वृद्धि हो जाएगी। जिसमें कम लागत में आलू की ज्यादा फसल की पैदावार करके किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
प्रौद्योगिकी केंद्र के एक एग्रीकल्चर एक्सपर्ट अनिल थडानी ने एक इंटरव्यू में बताया कि Aeroponic Potato Farming तकनीक में लटकती हुई जड़ों के जरिए न्यूट्रीएंट्स दिए जाते हैं। इस तकनीक की मदद से कृषि संस्थान आलू के स्वस्थ बीज जमा करता है।
ऐसे आसान भाषा में समझें इस तकनीक को
हाल ही में खेती -किसानी की दुनिया में तकनीक के इस्तेमाल के बाद दो तरह की टेक्नोलॉजी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इसमें पहली है हाइड्रोपोनिक और दूसरी है एयरोपैनिक फार्मिंग। हाइड्रोपोनिक तकनीक में जहां पौधों को पूरे समय पानी में रखा जाता है।
वहीं, एयरोपैनिक फ़ार्मिंग टेक्नोलॉजी पद्धति में सिंचाई के लिए किये जाने वाले पानी का इस्तेमाल स्प्रे के रूप में पौधों को पोषक तत्व दिए जाने का काम किया जाता है।
Edited by Ranjana Tripathi