गरीबों, वंचितों की भलाई के काम कर रहे हैं कोलकाता के कुलदीप मैती
विगत चार दशकों से देश के दर्जनभर राज्यों में असहाय, गरीब, वंचित, दलित वर्गों को आसान शर्तों पर लोन उपलब्ध कराने वाली 'विलेज फाइनेंशियल सर्विसेज' के संस्थापक कुलदीप मैती निकट भविष्य में कुल 20 प्रदेशों में अपनी कंपनी की संख्या तीन सौ तक पहुंचा देना चाहते हैं।
अपने 4.71 लाख ग्राहकों वाली कोलकाता की कंपनी 'विलेज फाइनेंशियल सर्विसेज' (वीएफएस) के संस्थापक चेयरपर्सन कुलदीप मैती असहाय, गरीब, वंचित और दलित वर्ग की सेवा में लगे एक समर्पित, मूक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। आर्थिक मोरचे पर परेशान हाल लोगों को आसानी से लोन उपलब्ध कराने के लिए उनको अब तक ग्लोबल विजनरी अवॉर्ड, चैंपियन ऑफ चेंज, सीईओ ऑफ द ईयर, मैनेजर ऑफ द ईयर, राष्ट्र प्रतिभा पुरस्कार, राजीव गांधी एक्सिलेंस अवॉर्ड, विजय रतन अवॉर्ड आदि से सम्मानित किया जा चुका है।
उनकी फाइनेंशियल कंपनी का भारत के दर्जनभर प्रदेशों में विस्तार हो चुका है। कंपनी की ओर से अभी 2018-19 की तीसरी तिमाही में नौ सौ करोड़ रुपये का लोन बांटा गया है। मैती निकट भविष्य में अपनी कंपनी का बीस राज्यों तक विस्तार करने में जुटे हुए हैं। वह चाहते हैं कि आगामी वित्तीय वर्ष तक उनकी फाइनेंस कंपनी की शाखाओं की संख्या 240 से बढ़कर तीन सौ तक हो जाए। इस विस्तार के साथ कंपनी इस समय सत्तर करोड़ रुपए और जुटाने की योजना पर काम कर रही है। कुलदीप मैती ने आज से चार दशक पहले इस कंपनी की स्थापना की थी। उनकी कंपनी का उद्देश्य था, वंचित तथा विपन्न लोगों को आसान शर्तों पर कर्ज उपलब्ध कराना। पहली बार वर्ष 1982 में प.बंगाल के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए विलेज फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक स्वयंसेवी संगठन के रूप में कदम रखा।
उस समय संगठन का नाम था विलेज वेलफेयर सोसाइटी। उसके बाद वर्ष 1994 में भारत सरकार ने गरीबों की मदद करने के लिए जब एक माइक्रो क्रेडिट प्रोजेक्ट शुरू किया तो मैती को भी प्रोग्राम पार्टनर के रूप में उसमें शामिल कर लिया गया। उसके बाद वर्ष 2004 में उन्होंने एक बार फिर संस्था का नामांतरण किया- विलेज माइक्रो क्रेडिट सर्विसेज। और आखिरकार दो साल बाद उन्होंने एक कंपनी के रूप में इसका नाम कर दिया- विलेज फाइनेंशियल सर्विसेज। आज पूर्वी भारत में वीएफएस आरबीआई से रजिस्टर्ड पहला माइक्रो फाइनेंस संस्थान है।
कुलदीप मैती कहते हैं कि देश की बड़ी आबादी को अब भी जरूरत पड़ने पर अन्य स्रोतों से ही पैसे उधार लेने पड़ते हैं। अब हालांकि कई ऐसे संस्थान इस कारोबार में उतर रहे हैं, जो लोगों को समय पर पैसे की मदद कर उनका जीवन आसान बनाने में मदद कर रहे हैं लेकिन उनकी कंपनी विलेज फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड समाज के निचले तबके के लोगों की प्राथमिकता से लोन देने के ट्रैक पर काम कर रही है। उनका मानना है कि आज जद्दोजहद भरे आम आदमी के लिए सही समय एवं आसान शर्तों पर पर्याप्त कर्ज उपलब्ध हो जाना किसी चमत्कार से कम नहीं होता है। शायद इसीलिए आज देश के कई राज्यों में लोग वीएफएएस की सफलता बखानते रहते हैं। मैती की कंपनी की एक खास विशेषता यह भी है कि इसका सबसे ध्यान ग्राहक की मदद पर केंद्रित होता है।
अब कंपनी पर लंबी अवधि के लोन लेने वाली कारोबारी भी भरोसा करने लगे हैं। मैती अपने ग्राहकों को सिर्फ लोन ही ऑफर नहीं करते बल्कि अपना बिजनेस प्लान बनाने और उस पर गंभीरता से काम करने में भी उनकी मदद करते हैं। वह ग्राहकों के लिए जागरूकता अभियान चलाते रहते हैं। वह अपने ग्राहकों के साथ अपनी कंपनी के काम करने के तरीके के बारे में भी बताते रहते हैं। वह ग्राहकों को यहां तक जानकारी देते हैं कि डिजिटल ट्रांजेक्शन के कौन-कौन से फायदे होते हैं। उनकी कंपनी ग्राहकों को फायदेमंद सरकारी कार्यक्रम की भी जानकारी देती रहती है ताकि वे उससे भी समय रहते लाभान्वित हो सकें।
वीएफएस के ग्राहक कंपनी से संयुक्त देनदारी समूह वाले मॉडल पर दो साल की अवधि के लिए तीस से साठ हजार रुपए तक लोन ले सकते हैं। मैती का मानना है कि गरीबी उन्मूलन और वित्तीय समावेश में छोटे लोन अधिक मददगार साबित होते हैं। अब तक बाजार का बड़ा हिस्सा इस तरह के प्रयोगों से वंचित पड़ा है। बैंकों के तौर-तरीके बदलने के साथ ही बाजार में अब वीएफएस जैसे संस्थानों के लिए एक बड़ा स्पेस बनता जा रहा है। चूंकि धरातल पर बैंकिंग सेक्टर गरीबों और वंचितों से कतराता है, इसलिए ऐसे लोगों के बीच वीएफएस की गहरी पैठ होती जा रही है। वीएफएस प्रबंधन को तो यह भी बखूबी मालूम है कि कर्ज रोके बिना डिफॉल्ट किस तरह कम किया जा सकता है।