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रेलवे की नौकरी छोड़कर चंचल कौर गांव में बेटे को सिखा रही हैं ऑर्गेनिक खेती

रेलवे की नौकरी छोड़कर चंचल कौर गांव में बेटे को सिखा रही हैं ऑर्गेनिक खेती

Monday December 23, 2019 , 3 min Read

अजमेर में रेलवे की नौकरी छोड़कर इंदौर के गांव असराबाद बुजुर्ग में जा बसीं चंचल कौर अपने बेटे गुरुबख्श को गांव की लाइफस्टाइल में ढाल रही हैं। उनका पूरा परिवार इको-फ्रेंडली है। उनके पूरे परिवार ने पद्मश्री राजेन्द्र पालेकर से ऑर्गेनिक खेती और पद्मश्री डॉ जनक पलटा मिगिलिगन से इको फ्रेंडली जीवन जीने की कला सीखी है।

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बेटे गुरुबख्श के साथ चंचल कौर

फोटो साभार: सोशल मीडिया

कभी अजमेर (राजस्थान) में पति राजेन्द्र सिंह के साथ रेलवे में नौकरी करती रहीं चंचल कौर पिछले दो साल से इंदौर (म.प्र.) के गांव के असराबाद बुजुर्ग में जमीन खरीदकर बेटे गुरुबख्श को किसी नौकरी या बिजनेस के बारे में न सोचकर ऑर्गेनिक खेती करना सिखा रही हैं।


पूरा परिवार इको फ्रेंडली लाइफस्टाइल में रहता है। उनके घर में सोलर कुकर पर खाना पकता है। खुद की उगाई सब्जियां बनती हैं। खेत में जो सब्जी ज्यादा होती है, उसे बेचा नहीं जाता, परिचितों और दोस्तों को दे दिया जाता है। घर में प्लॉस्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित है।


चंचल बताती हैं,

‘‘अजमेर के रेलवे अस्पताल में चीफ मैट्रन थीं। एक दिन उन्होंने अचानक संकल्प लिया कि वह अब नौकरी नहीं करेंगी और अपने बेटे को सफल किसान बनाएंगी। इसीलिए उन्होंने वर्ष 2016 में जमीन खरीदी और 2017 में असराबाद बुजुर्ग में जा बसीं। वह खुद एक किसान की बेटी हैं, लेकिन उस समय परिवार ने कभी नहीं चाहा कि कोई किसानी करे।’’


उन्होंने बचपन से यही सुना था कि अगर वह अच्छी पढ़ाई नहीं करेंगी तो उनको अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी। फिर तो उन्हे खेती करनी पड़ेगी।





चंचल बताती हैं

‘‘ऐसा संकल्प लेने के पीछे कैंसर से उनकी ननद का निधन रहा। डॉक्टरों ने बताया था कि अनियमित जीवन शैली के कारण कैंसर हुआ। तभी उन्होंने तय किया कि अब आगे सरकारी नौकरी नहीं करेंगी और इस्तीफा दे दिया।’’


वह अपने बच्चे को किसानी सिखाकर अलग जिंदगी देना चाहती थीं। उनके पति राजेन्द्र सिंह का भी सोचना रहा है कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता है। बड़े शहर में रहकर हम अच्छा पैसा कमा सकते हैं, लेकिन जीवन स्तर अच्छा न हो तो वैसे जिंदगी जीने का क्या मतलब।


नौकरी छोड़ना जोखिम भरा था, लेकिन उन्होंने सोचा कि बेटे गुरुबख्श को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है। वह नौकरी में रहकर भी पति के साथ हमेशा सादा जीवन जीती रही हैं। गुरुबख्श की भी परवरिश उसी परिवेश हुई है तो उसे गांव में एडजस्ट करने में जरा भी दिक्कत महसूस नहीं हुई।


इस समय इंदौर बाईपास पर एक फ्लैट में उनका पूरा परिवार रहकर खेतीबाड़ी करता है। अभी घर पूरा बना नहीं है। चंचल कौर बताती हैं कि उनके पति राजेंद्र सिंह ने पद्मश्री राजेन्द्र पालेकर से ऑर्गेनिक खेती की ट्रेनिंग ली है। पूरे परिवार ने पद्मश्री डॉक्टर जनक पलटा मिगिलिगन से सोलर कुकिंग, सोलर ड्राईंग और जीरो-वेस्ट जीवन जीने की कला सीखी है।


उन्होंने 11 साल की उम्र में ही बेटे गुरुबख्श को खेती के अलावा और भी कई तरह के प्रशिक्षण दिला रही हैं। वह रोजाना उनके साथ खेतों पर जाता है और मन लगाकर खेती-बाड़ी के ही काम करता है।


गुरुबख्श को सबसे अधिक जानवरों से लगाव है। अब तो गाँव में उसके खूब सारे दोस्त भी बन चुके हैं। वह भी अपने दोस्तों को सोलर कुकिंग और ऑर्गेनिक खेती के हुनर दे रहा है। के या फिर खेती के तरीके सिखाता रहता है।