महाराष्ट्र में किसानों का होगा दो लाख रुपये तक का कर्ज़ माफ
महाराष्ट्र सरकार ने की किसानों के दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने की घोषणा...
महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को किसानों के दो लाख रुपए तक कर्ज माफ करने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यहां विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन यह घोषणा करते हुए कहा,
“30 सितम्बर, 2019 तक लिए गए फसल ऋण हमारी सरकार द्वारा माफ किए जाएंगे। ऋण की उच्चतम सीमा दो लाख रुपए तक है। इस योजना को महात्मा ज्योतिराव फुले ऋण माफी योजना कहा जाएगा।”
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि समय पर कर्ज का भुगतान करने वाले किसानों के लिए एक विशेष योजना लाई जाएगी।
महाराष्ट्र के वित्तमंत्री जयंत पाटिल ने कहा,
“कर्ज माफी शर्त रहित होगी और इसका विवरण भविष्य में मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किया जाएगा।“
राज्य के खजाने पर इस कदम से कितना वित्तीय भार पड़ेगा इस बारे में महाराष्ट्र सरकार ने अभी कुछ नहीं कहा। विधानसभा का सत्र समाप्त होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, “कर्जमाफी योजना में कम से कम दस्तावेज जमा करने होंगे और परेशानी नहीं होगी।”
उन्होंने कहा,
“किसानों को कर्जमाफी प्रक्रिया की बेहतर जानकारी देने के लिए एक विशेष फिल्म बनाई जाएगी। किसी को भी पिछली सरकार की कर्जमाफी योजना की तरह लंबी कतार में नहीं लगना होगा।”
जयंत पाटिल ने कहा कि जिन्हें कर्ज माफी योजना का लाभ लेना होगा, उन्हें केवल अपने आधार कार्ड के साथ बैंक में जाना होगा। पाटिल के अनुसार योजना का लाभ उठाने के लिए किसी ऑनलाइन फॉर्म की जरूरत नहीं होगी।
उन्होंने कहा,
“बैंक अधिकारी उस व्यक्ति के अंगूठे का निशान लेंगे और सरकार उसके ऋण खाते में राशि जमा करा देगी।”
पाटिल ने बताया कि सांसदों, विधायकों और सरकारी कर्मचारियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा और इसका लाभ पारंपरिक खेती करने वाले किसानों के अलावा फल और गन्ना उगाने वाले किसान भी उठा सकेंगे। हालांकि इस दौरान सदन में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि सरकार ने पूरा कर्ज माफ करने का अपना वादा पूरा नहीं किया।
उन्होंने यह भी कहा,
"शिवसेना सरकार किसानों को बेमौसम बरसात के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रति हेक्टेयर पच्चीस हजार रुपए की सहायता देने में विफल रही है।"
इसके बाद फडणवीस और अन्य भाजपा नेताओं ने विरोध में सदन से बहिर्गमन किया। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने से पहले खुद इसकी मांग की थी।