रुपये का रिकॉर्ड लो पर आना कैसे नुकसानदायक, क्या-क्या हो जाएगा महंगा
रुपये की कीमत में गिरावट का प्राथमिक और तात्कालिक प्रभाव आयातकों पर पड़ता है, जिन्हें समान मात्रा के लिए अधिक कीमत का भुगतान करना पड़ता है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को अमेरिकी मुद्रा Dollar के मुकाबले रुपया (Rupee) 8 पैसे की मजबूती के साथ 79.91 (अस्थायी) रुपये पर पहुंच गया. ऐसा विदेशों में डॉलर के कमजोर होने और घरेलू शेयर बाजार में भारी लिवाली के कारण हुआ. रुपया गुरुवार को 79.99 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहा था. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 80 रुपये के एकदम करीब पहुंचने से कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है.
PTI भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रुपये की कीमत में गिरावट का प्राथमिक और तात्कालिक प्रभाव आयातकों पर पड़ता है, जिन्हें समान मात्रा के लिए अधिक कीमत का भुगतान करना पड़ता है. हालांकि यह निर्यातकों के लिए एक वरदान होता है क्योंकि उन्हें डॉलर के बदले अधिक रुपये मिलते हैं.
कुछ लाभ लगभग खत्म
रुपये के मूल्य में तीव्र गिरावट ने भारत के लिए कुछ लाभों को लगभग खत्म कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय तेल और ईंधन की कीमतों के रूस-यूक्रेन युद्ध के पूर्व-स्तर तक गिरने से जो फायदा भारत को मिलता, रुपये के मूल्य में आई गिरावट से भारत उस लाभ से वंचित हो गया है. भारत पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन जैसी ईंधन जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित तेल पर 85 प्रतिशत तक निर्भर है. भारत में आयात होने वाली प्रमुख सामग्रियों में कच्चा तेल, कोयला, प्लास्टिक सामग्री, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, वनस्पति तेल, उर्वरक, मशीनरी, सोना, मोती, कीमती और अर्ध-कीमती पत्थर और लोहा एवं इस्पात शामिल हैं.
रुपये में बड़ी गिरावट से खर्च पर किस तरह पड़ सकता है असर
आयात: आयातित वस्तुओं के भुगतान के लिए आयातकों को अमेरिकी डॉलर खरीदने की जरूरत पड़ती है. रुपये में गिरावट आने से सामानों का आयात करना महंगा हो जाएगा. सिर्फ तेल ही नहीं बल्कि मोबाइल फोन, कुछ कारें और उपकरण भी महंगे होने की संभावना है.
विदेशी शिक्षा: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का मतलब होगा कि विदेशी शिक्षा अभी और महंगी हो गई है. न केवल विदेशी संस्थानों द्वारा शुल्क के रूप में वसूले जाने वाले प्रत्येक डॉलर के लिए अधिक रुपये खर्च करने की जरूरत पड़ेगी, बल्कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि के बाद शिक्षा ऋण भी महंगा हो गया है.
विदेश यात्रा: कोविड-19 मामलों में गिरावट आने के बाद विदेश यात्राएं बढ़ रही हैं लेकिन अब ये और महंगे हो गए हैं.
विदेश से रेमिटेंस: अनिवासी भारतीय (एनआरआई) जो पैसा अपने घर भेजते हैं, उन्हें रुपये के मूल्य में और अधिक भेजना होगा.
जून में आयात 57.55% बढ़ा
ताजा आंकड़ों के मुताबिक जून महीने में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले देश का आयात 57.55 प्रतिशत बढ़कर 66.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया. जून 2022 में ‘वस्तुओं का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर हो गया, जो जून 2021 के 9.60 अरब डॉलर से 172.72 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. जून 2022 में कच्चे तेल का आयात लगभग दोगुना बढ़कर 21.3 अरब डॉलर हो गया. जून 2021 में 1.88 अरब डॉलर के मुकाबले कोयला और कोक का आयात जून 2022 में दोगुना से भी अधिक होकर 6.76 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. इस साल जून में वनस्पति तेलों का आयात 1.81 अरब डॉलर का हुआ, जो 2021 में इसी महीने की तुलना में 26.52 प्रतिशत अधिक है.
Edited by Ritika Singh