104 साल उम्र में दौड़ लगाकर स्वर्ण पदक जीत रही हैं मन कौर, हाल ही में सरकार ने 'नारी शक्ति पुरस्कार' से किया था सम्मानित
ऑकलैंड में 2017 विश्व मास्टर्स एथलेटिक चैम्पियनशिप में 100 मीटर स्प्रिंट में स्वर्ण पदक अर्जित करने के बाद 104 वर्षीय मन कौर एक प्रसिद्ध एथलीट बन गईं और उनके उत्कृष्ट समर्पण और ताकत के लिए उनकी सराहना की गई।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर 104 वर्षीय मन कौर को राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण में उनके असाधारण योगदान को देखते हुए 2019 के लिए नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह वार्षिक पुरस्कार विशेष रूप से हाशिए और कमजोर महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में उनके असाधारण काम की पहचान के लिए व्यक्तियों, समूहों और संस्थानों को दिया जाता है।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार महिला और बाल विकास मंत्रालय से मन कौर को प्राप्त पत्र के अनुसार, उन्हे पुरस्कार के तौर पर 2 लाख रुपये का मानदेय और एक प्रमाण पत्र दिया है।
मन कौर ने 2007 में अपना पहला पदक तब जीता जब उन्होंने चंडीगढ़ मास्टर्स एथलेटिक्स मीट में 100 मीटर की दौड़ पूरी की, तब उन्होने उन्होंने अपने बड़े बेटे गुरदेव को पटियाला की दौड़ में भाग लेते हुए देखा था। इसके बाद उन्होने दुनिया भर में 30 से अधिक पदक हासिल किए, जिसमें ट्रैक और फील्ड इवेंट में भाग लेने के साथ जीतना भी शामिल है।
ऑकलैंड में 2017 विश्व मास्टर्स एथलेटिक चैम्पियनशिप में 100 मीटर स्प्रिंट में स्वर्ण पदक अर्जित करने के बाद मन कौर एक प्रसिद्ध एथलीट बन गईं और उनके उत्कृष्ट समर्पण और ताकत के लिए उनकी सराहना की गई। इसके बाद पोलैंड में विश्व मास्टर्स एथलेटिक चैम्पियनशिप में चार स्वर्ण पदक जीतने के लिए चली गई और अब उनके नाम कई विश्व रिकॉर्ड हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार मन कौर कहती हैं,
“मैं जब तक कर सकती हूँ दौड़ना और प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना जारी रखूंगी। यह मुझे बहुत खुशी देता है।”
कौर ने दुनिया भर में मास्टर्स खेलों में 20 से अधिक पदक जीते हैं और अब जापान में 2020 मास्टर्स गेम में स्वर्ण पदक जीतने की इच्छा रखती हैं। उन्होने 2016 में एक और कीर्तिमान स्थापित किया गया था जब वह अमेरिकी मास्टर्स गेम्स, वैंकूवर में दुनिया की सबसे तेज 100 वर्षीय महिला बन गईं थीं। यह कारनामा उन्होने ऑस्टियोपोरोसिस से डायग्नोज़ होने के बाद किया था।
महिलाएं और दुनिया भर के अन्य स्प्रिंटर्स उसे चंडीगढ़ की ‘मिरेकल मॉम’ के नाम से जानते हैं। यह पूछे जाने पर कि मन कौर किस तरह से रूढ़ियों को चकनाचूर करने में सक्षम थीं और यह साबित करती थीं कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, उनके बेटे ने Stuff को बताया था कि "वह अच्छा भोजन खाती हैं और प्रशिक्षण लेती हैं, उन्हे कोई बीमारी नहीं है, तो उनका मन भी अच्छा है। उसके आहार में अंकुरित अनाज, सोया दूध, फल और प्रोबायोटिक से भरपूर केफिर से बनी छह रोटियां शामिल हैं।
दुनिया भर के लोगों के लिए उन्हे एक प्रेरणा बताते हुए उनके बेटे ने कहा कि भारत के नेटिज़ेंस अक्सर फेसबुक पर उनके बारे में पूछते हैं।