Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ys-analytics
ADVERTISEMENT
Advertise with us

15 साल की उम्र में शादी, 20 में हुई विधवा, कैसे अब ये सिंगल मदर केरल में 200 परिवारों के जीवन का उत्थान कर रही

15 साल की उम्र में शादी, 20 में हुई विधवा, कैसे अब ये सिंगल मदर केरल में 200 परिवारों के जीवन का उत्थान कर रही

Wednesday January 08, 2020 , 5 min Read

जब उनकी उम्र की ज्यादातर लड़कियां करियर बनाने, मस्ती करने और गेम खेलने में लिप्त थीं तब 15 साल की उम्र में सिफिया हनीफ की शादी हो गई थी। लेकिन जैसे ही वह गृहस्थी जीवन की जिम्मेदारियों को संभालने की आदी हो रही थी, वैसे ही उन्होंने अपने पति को एक दुर्घटना में खो दिया।


क

फोटो क्रेडिट: New Indian Express



31 साल की सैफिया हनीफ बताती हैं,

"मुझे नहीं पता था कि मुझे अपने पति की मौत से कैसे डील करना है। ऐसा लगा जैसे पूरी दुनिया मेरे चारों ओर ढह रही थी। पैसों की चिंता से लेकर अकेले निर्णय लेने के तनाव तक, मैं इस सबसे गुजरी हूं। मैंने बहुत लंबा समय यह सोचकर बिताया कि मैं अपने बच्चों को अकेले कैसे पालूं।"

तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच भी, एक चीज जो सिफिया के पास थी, वह थी उनकी हिम्मत। सिफिया के माता-पिता ने उनसे उनके साथ रहने या पुनर्विवाह पर विचार करने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने का फैसला किया, जिसका लक्ष्य विधवाओं के जीवन से जुड़ी रूढ़ियों को तोड़ना था और बेहतर भविष्य की दिशा में काम करना था।


इतना ही नहीं, सिफिया ने न केवल खुद की और अपने परिवार की मदद की, बल्कि उन्होंने हाशिए के लोगों और वंचितों के बोझ को कम करने के अपने प्रयासों को भी बढ़ाया।


2015 में, उन्होंने बीमार माताओं, बूढ़े लोगों, व्यथित विधवाओं और कैंसर रोगियों की मदद करने के लिए एक धर्मार्थ ट्रस्ट, चिथल (Chithal) की स्थापना की। पिछले छह वर्षों में, उन्होंने 200 से अधिक परिवारों को भोजन, कपड़े और दवाएँ प्रदान करके सहायता प्रदान की है। हाल ही में, सिफिया को उनकी नेक सेवा के लिए प्रतिष्ठित नीरजा भनोट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

द टर्निंग प्वाइंट

सिफिया पलक्कड़ में वडक्केंचेरी से ताल्लुक रखती हैं, जो कभी खत्म न होने वाले ताड़ के पेड़ों से भरे रास्ते, ग्रीन लैंडस्केप वाले परिदृश्य और पहाड़ी इलाकों की खूबसूरती से भरा है। उनके पिता सऊदी अरब में जॉब करते थे, और वह शायद ही कभी आते थे। जब सिफिया ने चेरुपुशपम गर्ल्स हाई स्कूल से कक्षा 10 की पढ़ाई पूरी की, तो तैयार नहीं होने के बावजूद उनकी शादी कर दी गई।


वे कहती हैं,

"मेरे गाँव की ज्यादातर लड़कियाँ जल्दी ही वैवाहिक रिश्ते में आ जाती थीं। हालांकि, मैं इस विचार से बहुत सहज नहीं थी, लेकिन मुझे इसे स्वीकार करना पड़ा।"

दुर्भाग्य से, पाँच साल बाद, सिफिया ने दुर्घटना में अपने पति को खो दिया। बिना किसी जॉब के दो बच्चों की देखभाल कर रही एक मां के लिए ये आसान नहीं था। उन्होंने महसूस किया कि चीजों को वापस पटरी पर लाने का एकमात्र तरीका था, अपनी शिक्षा पूरी करना, और अपने बेटों को सपोर्ट करने के लिए जॉब ढूंढना।


k

बीमार माताओं, व्यथित विधवाओं और कैंसर रोगियों की मदद के लिए सिफिया हनीफ एक धर्मार्थ ट्रस्ट चलाती है।

सिफिया याद करते हुए बताती हैं,

“बेंगलुरु में मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे आश्वासन दिया कि वे मुझे जॉब खोजने में मदद करेंगे। लेकिन, जब मैं शहर गई, तो उनमें से कोई भी आगे नहीं आया। मुझे नहीं पता था कि क्या करना है, मैंने रेलवे स्टेशन पर लगभग दो रातें बिताईं। मेरा छोटा बेटा, जो उस समय सिर्फ एक साल का था, बुखार से पीड़ित था। जब मेरी सारी उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म हो रही थी, तभी एक बूढ़ी औरत, जो मेरे पास से गुज़र रही थी, ने मेरी तड़प को देखा और कुछ मदद की पेशकश की। वह मुझे घर ले गई, मुझे और मेरे बच्चों को खिलाया, और कुछ दिनों के लिए छत प्रदान की। अगर वो इतनी उदारता नहीं दिखातीं, तो मैं सोच भी नहीं सकती कि मेरे साथ क्या हुआ होता।”


समय के साथ, वह केरल में एक कॉल सेंटर में नौकरी पाने में सफल रहीं। उन्होंने काम करना शुरू कर दिया और साथ ही पत्राचार के माध्यम से अपनी कक्षा 11 और 12 की पढ़ाई शुरू कर दी। सिफिया ने कई डिग्री और पाठ्यक्रम हासिल किए, जिनमें कालिकट विश्वविद्यालय से साहित्य में स्नातक, Ezhuthachan प्रशिक्षण कॉलेज से बीएड, और डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से MSW और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डिप्लोमा शामिल है।


इन सब के बीच, सिफिया न केवल अपनी शिक्षा के लिए, बल्कि अपने बच्चों की स्कूली शिक्षा के लिए कई जॉब कर रही थीं- बीमा पॉलिसियों को बेचने से लेकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने तक।





वे वर्तमान में एक प्राथमिक स्कूल में फुल टाइम पढ़ा रही हैं। हालांकि, वह केवल अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने से खुद को रोकना नहीं चाहती थी, और दूसरों की मदद करना चाहती थीं। 

सैकड़ों लोगों के जीवन में लाईं उत्थान

साल 2013 के अंत में, सिफिया ने अपने गांव में कई अन्य विधवाओं से मुलाकात की, और उन्हें उन सभी दुखों की याद दिलाई, जिनसे वह गुजरी थीं। वह अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ करना चाहती थीं। इसलिए, सैफिया ने अपने वेतन के एक हिस्से को जरूरतमंद पांच परिवारों में योगदान देकर शुरू किया।


बाद में, उन्होंने कई और बीमार माताओं, बच्चों, बुजुर्गों और कैंसर के रोगियों के बीच अपने प्रयासों को बढ़ाया। दो साल बाद, उन्होंने अपना काम जारी रखने के लिए एक चैरिटेबल ट्रस्ट चिथल की स्थापना करने का फैसला किया।


k

सिफिया हनीफ ने एक बुजुर्ग महिला को दिया अपना एक कान

सिफिया कहती हैं,

"मलयालम में 'चिथल का अर्थ दीमक (termites)' होता है। इस शब्द को सुनकर ऐसा लग सकता है, जैसे इसका नकारात्मक अर्थ है, लेकिन ऐसा नहीं है। ठीक वैसे ही जब आप को बिल्कुल उम्मीद नहीं होती हैं वैसे ही दीमक दिखाई देती है, ठीक उसी प्रकार मैं भी वहां लोगों के लिए रहना चाहती हूं और उनकी सारी चिंताओं को दूर कर देना चाहती हूं।"

आज, वह सोशल मीडिया और क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म का लाभ उठाती हैं, ताकि जरूरतमंदों के लिए भोजन, कपड़े और दवाइयाँ खरीदने के लिए लोगों से धन इकट्ठा किया जा सके। अब तक, उन्होंने 200 से अधिक परिवारों की भलाई में योगदान दिया है।