मिलें कोच्चि में नि:शुल्क लाइब्रेरी चलाने वाली 12 वर्षीय यशोदा शेनॉय
"आजकल हम ज़्यादातर चीज़ें डिजिटल रूप में पढ़ते है, फिर चाहे टैबलेट पर कोई किताब हो या समाचार, लेकिन जो मज़ा एक किताब को हाथ में लेकर पढ़ने का होता है, वह डिजिटल रूप से पढ़ने में नहीं है। आइए आज हम बात करते है यशोदा की जो एक निशुल्क लाइब्रेरी चला कर समाज में शिक्षा का महत्त्व समझा रही है और बता रही हैं की किताबों की हमारे जीवन में कितनी अहम भूमिका है।"
एक ऐसी लाइब्रेरी की कल्पना कीजिए जो ना तो आपसे मेम्बरशिप फीस ले और ना ही अपने पास किताब को अतिरिक्त समय रखने के लिए कोई एक्स्ट्रा पैसे चार्ज करे, ऐसी लाइब्रेरी का ख्वाब हर पुस्तक प्रेमी का होता ही है। कोच्चि में रहने वाले पुस्तक प्रेमियों का यह सपना सच हुआ है और इस सपने को सच बनाया है एक 12 वर्षीय लड़की ने जिसका नाम है यशोदा शेनॉय।
यशोदा टीडी हाई स्कूल में सातवीं कक्षा की छात्रा हैं । यशोदा अपने घर में एक मुफ्त लाइब्रेरी चलाती हैं, जहाँ अंग्रेजी, मलयालम, हिंदी, तमिल, संस्कृत और कोंकणी में 3,500 से अधिक किताबें हैं। यशोदा ने लाइब्रेरी की शुरुवात करने के बारे में बताया,
“मेरा भाई एक लाइब्रेरी का सदस्य था, मैं भी कभी- कभी वहां जाता थी। एक दिन मैंने अपने पिता को लाइब्रेरी चलाने वाले लोगों को पैसे देते हुए देखा तो मुझे लगा की यह गलत है। आखिरकार, किसी को पढ़ने देना एक सेवा है। मैं चाहती थी कि हर कोई पढ़े, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।”
हालांकि, यशोदा कोई मेम्बरशिप फीस नहीं लेतीं, लेकिन वह अनुरोध करती हैं कि किताबें समय पर लौटाई जाएं। यशोदा के लिए लाइब्रेरी शुरू करना आसान नहीं था। उसके पिता दिनेश शेनॉय ने फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर पुस्तक प्रेमियों से अपनी बेटी की मुफ्त लाइब्रेरी में योगदान करने की अपील की। जल्द ही उसे एक परिवार से मदद मिली, जिन्होंने उसे 10000 रुपये की किताबें भेजीं। बाद में, यशोदा ने रद्दी वालों से भी किताबें जुटानी शुरू कर दीं। यशोदा ने किताबों का रद्दी में मिलने पर कहा,
“नयी किताबों का रद्दी में मिलना दुखद है। एक बार, मुझे दो बुक सेट मिले जो की पूर्व सांसद के वी थॉमस द्वारा दसवीं और बारहवीं के टॉपर्स को दिए गए थे लेकिन अब उन्होंने उसे रद्दी में फेंक दिया। यह दुख की बात है कि प्रतिभाशाली छात्र भी किताबें फेंक रहे हैं पर मुझे इस बात से सुकून मिलता है कि मैं उन किताबों को बचा कर उपयोग में ला रही हूँ।"
यशोदा की लाइब्रेरी को स्थापित करने के लिए जगह की ज़रूरत थी, जिसमें उसके पिता ने मदद की। यशोदा के उपयोग के लिए उन्होंने अपनी गैलरी का एक हिस्सा बदल दिया। किताबों के लिए रैक बनाने में एक पारिवारिक मित्र ने मदद भी की।
यशोदा की लाइब्रेरी में अब लगभग 110 मेंबर हैं, और वह सबसे अनुरोध करती हैं कि जब भी संभव हो, अपनी व्यक्तिगत संग्रह से पुस्तकें दान करें। हाल ही में यशोदा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था, जिसमें उसने अपनी लाइब्रेरी के लिए समर्थन माँगा। यशोदा ने कहा,
“मुझे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जवाब का इंतज़ार है। मुझे उम्मीद है कि वह मुझे किताबें भेजेंगे।”
-निधि भंडारी