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पांच सालों में बेघरों के लिए 100 घर बनवाने वाली महिला प्रिंसिपल से मिलिए

पांच सालों में बेघरों के लिए 100 घर बनवाने वाली महिला प्रिंसिपल से मिलिए

Thursday March 21, 2019 , 4 min Read

बेघर को मिला घर

हम कितना भी कह लें कि दुनिया बदल रही है और लोगों में नि:स्वार्थ भाव खत्म हो रहा है, लेकिन समाज में उपेक्षितों की मदद करने वाले भले इंसानों की कोई कमी नहीं है। केरल की एक स्कूल प्रिंसिपल ऐसी ही एक भली इंसान हैं जिन्होंने बेसहारों के लिए घर बनवाए। वो भी एक दो नहीं बल्कि पूरे 100 घर। हाल ही में 100वें घर का निर्माण कार्य पूरा हुआ है। घर बनवाने की मुहिम पांच साल पहले शुरू हुई थी जब लेडी कॉन्वेंट गर्ल्स हायर सेकेंड्री स्कूल की प्रिंसिपल लिजी चक्कलकल को पता चला कि उनकी एक स्टूडेंट्स क्लैरा बानू बेघर है।


बानू के पिता का देहांत कुछ समय पहले हुआ था और उसके पास रहने के लिए छत नहीं थी। इस हालात के बारे में जब लिजी को पता चला तो उन्होंने तुरंत बानू के लिए एक घर बनवाने की मुहिम छेड़ दी। स्कूल के अध्यापक, छात्र और बाकी तमाम लोगों से चंदा मिलाकर लिजी ने पैसे इकट्ठे किए और बानू के लिए एक 600 स्क्वॉयर फीट का घर बनवाया गया। इसके बाद तो जैसे सिलसिला शुरू हो गया। लिजी ने एक के बाद एक करके लगभग 100 घर बनवा डाले। उन्होने 2014 में स्कूल के प्लेटिनम जुबली समारोह में इसे एक चैलेंज की तरह शुरू किया गया।


कुछ ऐसे बने हैं नए घर

अब लगभग 5 सालों बाद 100 घर बनवाए जा चुके हैं। लिजी कहती हैं, '100 वें घर का निर्माण फरवरी के बीच में पूरा हुआ और 28 फरवरी को चेलानम स्थित बेघर परिवार को चाबी सौंपी गई। उनकी दो लड़कियां हैं और दोनों हमारे छात्र हैं।' बेघरों के लिए घर बनवाने से लेकर कई तरह के सामाजिक कार्यों में लिजी लगी रहती हैं। पिछले साल अगस्त में केरल में आई बाढ़ के दौरान उन्होंने प्रोजेक्ट होप नामक एक और अभियान शुरू किया था। इस परियोजना के तहत गंभीर रूप से प्रभावित होने वाले सौ और पचास घरों को अपनाया गया था। इसके लिए जुटाए गए धन और अन्य प्रयासों की मदद से, कुछ घरों की मरम्मत की जा रही है और कुछ घरों को फिर से बनाया जा रहा है।


लिजी के लिए यह आसान काम नहीं था क्योंकि एक घर के निर्माण के लिए 15 लाख रुपये की आवश्यकता होती है। गरीबों के लिए घर बनाने के प्रयासों पर बोलते हुए लिजी ने कहा, 'छात्र स्वेच्छा से अपने जन्मदिन के उपहार और पॉकेट मनी को इस पुण्य कार्य में दान करते थे। शिक्षकों और अभिभावकों ने भी खुले दिल से मदद की।' हालांकि उस वक्त यह काम थोड़ा मुश्किल था क्योंकि मदद के लिए काफी कम हाथ आगे आते थे। अब जब लोगों को इस कार्य के बारे में पता चल गया है को लोग खुले दिल से मदद करने के लिए आगे आते हैं।


बेघरों के साथ लिजी

अगर हम घर के लागत की बात करें तो लेबर चार्ज को छोड़कर बिल्डिंग मटीरियल समेत एक घर 5 लाख रुपये में तैयार हो जाता है। जितने भी घर तैयार किए गए हैं सारे 2बीएचके हैं और ये भूकंपरोधी होने के साथ साथ इनमें किचन और शौचालय भी बने हैं। कई सारे लाभार्थियों के बीच एक मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला का घर बनवाकर लिजी को काफी प्रसन्नता होती है।


वे कहती हैं, 'हमने एक मानसिक रूप से विकलांग महिला के लिए घर बनाया, जो कम उम्र में विधवा हो गई थी। उसे अपने ससुराल से अलग कर दिया था और इस वजह से उसकी मानसिक हालत खराब होती गई। आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन वह महिला अब ठीक हो रही है और उसने काम करना शुरू कर दिया। वह अपने बच्चों को स्कूल भी भेजने लगी है।' वे कहती हैं, "यह सिर्फ एक घर बनाने का सपना नहीं है। यह अपने आप में एक संपूर्ण परिवर्तनकारी प्रक्रिया है, जिससे लोगों को एक तरह से नया जीवन मिल रहा है।


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