MyPadBank के जरिये महिलाओं को फ्री सैनेटरी नैपकिन बांट रहें हैं बरेली के सोशल एक्टिविस्ट चित्रांश सक्सेना
उत्तर प्रदेश के बरेली में 27 वर्षीय चित्रांश सक्सेना MyPadBank नाम से एक नॉन-प्रोफिट ऑर्गेनाइजेशन चला रहे हैं, जहां वे उन महिलाओं को फ्री सैनिटरी पैड उपलब्ध कराते हैं जो आर्थिक रूप से इन्हें खरीदने में असमर्थ है।
पूरी तरह से प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया होने के बावजूद, मासिक धर्म को अक्सर भारतीय समाज में एक वर्जित विषय के रूप में देखा जाता है, खासकर अशिक्षित ग्रामीण जनता के बीच। एक प्रगतिशील समाज होने का हमारा दावा पीरियड्स के बारे में बात करने में हमारी शर्म के विपरीत है।
इस लंबे समय से उपेक्षित चिंता से जूझते हुए, उत्तर प्रदेश के बरेली के चित्रांश सक्सेना ने महिलाओं में मासिक धर्म जागरूकता फैलाने के लिए साल 2018 में एक नॉन-प्रोफिट ऑर्गेनाइजेशन 'MyPadBank' की स्थापना की।
चित्रांश सक्सेना ने अपनी टीम के साथ मिलकर 25 से अधिक जागरुकता अभियान चलाए हैं। शुरूआत से लेकर अब तक वे 8135 लड़कियों और महिलाओं को लाभार्थी के रूप में फ्री सैनिटरी नैपकिन / पैड बांट चुके हैं। इसके साथ ही उनकी टीम महिलाओं में मासिक धर्म जागरूकता फैलाने के लिए 10 वर्कशॉप्स आयोजित कर चुकी है।
'पैडमैन' से मिली प्रेरणा
चित्रांश ने MyPadBank की शुरुआत के बारे में बात करते हुए बताया,
“अक्षय कुमार और राधिका आप्टे अभिनीत फिल्म पैडमैन की रिलीज, जो कि मासिक धर्म योद्धा अरुणाचलम मुरुगनांथम के जीवन से प्रेरित थी, मेरे लिये सबसे महत्वपूर्ण प्रेरणा थी।”
उन्होंने आगे बताया, “इसने मुझे यह महसूस कराया कि पुरुष इस भ्रम को तोड़ने की दिशा में काम कर सकते हैं, और इससे ही मुझे मासिक धर्म के बारे में बात करने का विश्वास मिला।”
जब उन्होंने मासिक धर्म के बारे में जागरूकता फैलाने की इच्छा व्यक्त की, तो उनके परिवार ने भी उन्हें सपोर्ट किया और इस प्रकार जून, 2018 में 'MyPadBank' की शुरुआत की। पैडबैंक शुरू करने के पीछे मकसद बिल्कुल साफ था कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म के बारे में जागरूक किया जाए और इसके साथ ही उन्हें फ्री सैनेटरी पैड / नेपकिन बांटे जाएं।
MyPadBank ने फरवरी 2020 में देश में सबसे बड़ा सैनेटरी पैड बनाकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का खिताब हासिल किया है।
MyPadBank की टीम
चित्रांश सक्सेना MyPadBank के फाउंडर हैं और उत्कर्ष सक्सेना को-फाउंडर हैं। जबकि एना खान बतौर कंसल्टेंट MyPadBank से जुड़ी हुई हैं। इनके अलावा साहेर चौधरी (प्रोजेक्ट असिस्टेंट), राशी उदित (एक्टिविटी मॉनिटर), जेनिफर लाल (सोशल मीडिया मैनेजर), शिल्पी जायसवाल (मीडिया प्रभारी), डॉ. अंकित चौधरी (डेंटल केयर कंसल्टेंट) और महक नय्यर (कंटेंट राइटर) अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
कैसे काम करता है पैडबैंक?
चित्रांश बताते हैं,
“MyPadBank, दूसरे बैंको की तरह ही काम करता है। MyPadBank के जरिये प्रत्येक महिला को एक पासबुक जारी की जाती है जिसमें प्रत्येक महीने के लिए चेक-बॉक्स होते हैं। इसके लिये उनकी फोटो आईडी और डिटेल्स भी ली जाती है। हर महीने, हम उन्हें मुफ्त में आठ पैड का एक पैकेट देते हैं और बॉक्स पर टिक लगाते हैं।”
इसके अलावा हर महीने MyPadBank के स्वयंसेवकों का एक ग्रुप सैनेटरी पैड बांटने के लिये आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये पैड लाभार्थियों तक पहुंचे। इस यात्रा में कुछ विशेष प्रश्नों को संबोधित करना शामिल है, जो लड़कियों / महिलाओं के स्वास्थ्य / स्वच्छता से संबंधित हैं। स्वयंसेवक एक स्थायी मासिक धर्म, पैड के सुरक्षित निपटान, बुनियादी विकास को संबोधित करने वाले मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के क्षेत्रों में भी काम करते हैं।
संगठन यह भी सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अधिक पैड वेंडिंग और इंक्रीनेटिंग मशीन बनाने पर काम कर रहा है ताकि महिलाएं अपने मासिक धर्म के कारण स्वास्थ्य से समझौता न करें और पास के निजी या सार्वजनिक शौचालयों में पैड्स तक आसानी से पहुंच सकें। अब तक, टीम शहर के मुख्य बस स्टेशन पर इस तरह की एक मशीन लगा चुकी हैं।
चित्रांश ने गांव की महिलाओं और लड़कियों को पीरियड्स के बारे में जागरूक करके उन्हें पैड मुहैया करवा कर उन्हें स्वस्थ ज़िन्दगी प्रदान करने को अपना मकसद बना लिया हैं।
भविष्य की योजनाएं
चित्रांश सक्सेना MyPadBank के जरिये कम आय वाली महिलाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं। 'vocalforlocal' को प्रोत्साहित करते हुए वे कम लागत वाली, कपड़े के पैड बनाने वाली मशीन लगाना चाहते हैं। इसके साथ ही वे महिला सशक्तीकरण और नियोजित महिलाओं का एक नेटवर्क बनाने के लिए तत्पर हैं जो आत्म निर्भर हैं और एक स्थायी वातावरण बनाने में विश्वास करते हैं।
चित्रांश ने बताया,
“हम उन डॉक्टरों का एक नेटवर्क भी बनाना चाहते हैं जो MHM पर महिलाओं को संबोधित और मुफ्त परामर्श कर सकते हैं। हम शहर में हर महीने कम से कम 1 कार्यशाला आयोजित करने के लिए तत्पर हैं, जिसमें कम से कम 100 महिलाएं शामिल हैं।”
उन्होंने आगे बताया, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे कार्यक्रमों और प्रयासों के माध्यम से हम अपने शहर को राज्य का पहला शहर बनाने में सक्षम हों, जो अपनी आर्थिक स्थिति के बावजूद स्वच्छ और स्थायी स्वच्छता उत्पादों का उपयोग करता हो।
चित्रांश सक्सेना द्वारा चलाई जा रही इस नेक सामाजिक पहल में दान करके आप भी पुण्य कमा सकते हैं। दान करने के लिये यहां क्लिक करें।