फिर से शहरों की ओर रुख करने लगे पलायन करने वाले प्रवासी मजदूर, बच्चों को स्कूल से निकालने को हुए मजबूर
कई मज़दूरों ने खराब आर्थिक स्थिति के चलते अपने बच्चों को स्कूल से बाहर निकालने का फैसला किया है।
कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप के साथ ही देश भर में लागू हुए लॉकडाउन ने नौकरी और रोज़गार गायब होने से लाखों की संख्या में मजदूरों को उनके गृह राज्य की ओर पलायन करने पर मजबूर कर दिया था। इन मजदूरों ने उस दौरान अपने लिए सबसे कठिन दौर का अनुभव किया था।
अब हाल ही में हुए एक सर्वे में मजदूरों ने यह बताया है कि स्थिति सामान्य होने की दशा में क्या वो वापस उन शहरों में जाएंगे जहां से उन्हे पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
यह सर्वे ऐसे 45 सौ मजदूरों पर हुआ है, जिसके अनुसार ये मजदूर या तो उन शहरों को लौट आए हैं या फिर आने का विचार बना रहे हैं। फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार यह सर्वे 11 राज्यों 48 जिलों में किया गया है।
सर्वे के आंकड़ों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान अपने गृह राज्यों को वापस लौटे मजदूरों में से 29 प्रतिशत मजदूर उन शहरों को वापस आ चुके हैं, जबकि 45 प्रतिशत मजदूर उन शहरों में वापस आने की योजना बना रहे हैं।
मज़दूरों के इस तरह वापस शहर में आने की मुख्य वजह गाँव में उनके लायक रोज़गार का ना होना है। आमतौर पर इस दौरान अपने गांवों को लौटे लोग गाँव में ही मजदूरी का काम कर रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार करीब 24 प्रतिशत मज़दूरों अपनी खराब आर्थिक स्थिति के चलते अपने बच्चों को स्कूल से बाहर निकालने का फैसला किया है। बड़ी संख्या में मजदूरों ने इस दौरान अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए घर का सामान भी बेंचना पड़ा है।