बिज़नेस वेंचर्स की डिज़ाइन संबंधी ज़रूरतें पूरी कर रहा मुंबई का यह स्टार्टअप
भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में साल दर साल डिज़ाइन का क्षेत्र लगातार विकसित हुआ है। स्टार्टअप्स और कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स से जुड़े डिज़ाइन के पहले पर भारी निवेश करती आ रही हैं। आज की तारीख़ में, ज़्यादातर कंपनियों में डिज़ाइन लीड्स होते हैं, जो अपने प्रोडक्ट्स से बेहतर से बेहतर आउटपुट हासिल करने की कोशिश करते हैं और डिज़ाइन का पहलू, मार्केट में मौजूद प्रतिद्वंद्विता में स्टार्टअप या कंपनियों की स्थिति के निर्धारण में बेहद अहम भूमिका निभाता है।
इस अवधारणा पर चलते हुए, आईआईटी-बॉम्बे के तीन पूर्व छात्रों देबप्रॉतिम रॉय, विकास चौधरी और अंकित अग्रवाल ने जून, 2015 में कैनवस डॉट इन (Canvs.in) की शुरुआत की। उनका उद्देश्य बेहद सहज थाः डिज़ाइनरों और कलाकारों का एक समुदाय तैयार करना।
प्लैटफ़ॉर्म ने सबसे पहले भर्तियों (रिक्रूटमेंट), जॉब सल्यूशन्स और मर्चैंडाइज़िंग सल्यूशन्स के क्षेत्र में काम शुरू किया। इस प्लैटफ़ॉर्म पर सदस्यों को अपना काम अपलोड करने, ऑनलाइन सेलिंग, विशेषज्ञों से संपर्क करने, जॉब्स और प्रोजेक्ट्स ढूंढने और साथ ही, ऑफ़लाइन एग्ज़िबिशन/वर्कशॉप्स में हिस्सा लेने आदि की सुविधाएं मिलती हैं।
स्टार्टअप की टीम पूर्व में बीटा रन में कुछ आइडियाज़ आज़मा चुकी है। इसके बाद सितंबर, 2015 में उन्होंने 1 करोड़ रुपए की सीड फ़ंडिंग जुटाई। फ़रवरी, 2016 में टीम को एहसास हुआ कि सबसे उपयुक्त रेवेन्यू-मेकिंग मॉडल है, कैनवस क्लब (Canvs Club)। यह Canvs.in की एक सहयोगी इकाई है, जो डिज़ाइनरों की कम्युनिटी को प्रोजेक्ट्स पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मुहैया कराता है।
इस बदलाव के बाद, स्टार्टअप की टीम 9 सदस्यों से सिमटकर 5 पर आ गई है और बदलाव की पतवार की देबप्रॉतिम के हाथों में। बाक़ी दोनों को-फ़ाउंडर्स ने कंपनी छोड़ दी।
देबप्रॉतिम बताते हैं,
"असली ज़रूरत डिज़ाइनरों तक काम या नौकरी पहुंचाने की नहीं थी, बल्कि उद्देश्य था कि इसे पूरी तरह से मुकम्मल किया जाए। आज कंपनियां काम का स्तर देखती हैं और उनका ध्यान इस बात पर रहता है कि काम समय पर पूरा हो रहा है या नहीं। साथ ही, वह इस बात का ध्यान भी रखती हैं कि उनकी तरफ़ से जो विवरण दिया गया था, उसका पूरा तरह से ध्यान रखा गया या नहीं। उन्हें इस बात से फ़र्क नहीं पड़ता कि काम कौन कर रहा है।"
इसके बाद कैनवस क्लब एक बीटूबी सर्विस प्रोवाइडर में बदल गया। यह पूरे देश में कंपनियों को डिजिटल डिज़ाइन्स मुहैया कराने लगा। कंपनी का मुख्यालय मुंबई है और यह डिज़ाइन संबंधी ज़रूरतें पूरी करने में कंपनियों की मदद करती है। इस काम के लिए डिज़ाइनर्स और इनहाउस प्रोडक्ट मैनेजर्स क्लाइंट्स के साथ काम करते हैं। देबोप्रॉतिम मानते हैं कि डिज़ाइन स्पेस में हायरिंग एक बड़ी समस्या है।
देबप्रॉतिम कहते हैं,
"आमतौर पर कंपनियां कम वक़्त के लिए एक डिज़ाइन टीम को हायर नहीं करना चाहतीं और यहीं से शुरू होती है, कैनवस डॉट इन की भूमिका। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारी टीम प्रोजेक्ट के दौरान लगातार क्लाइंट के साथ संपर्क में रहे।"
स्टार्टअप प्रोजेक्ट में लगने वाले समय, टीम और टीम के सदस्यों की योग्यता के हिसाब से फ़ीस चार्ज करता है। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद, कंपनी यह भी सुनिश्चित करती है कि फ़ाइनल प्रोडक्ट ठीक वैसा ही हो, जैसी क्लाइंट की अपेक्षा थी।
डिज़ाइन टीम है तैयार!
कैनवस का दावा है कि स्टार्टअप शुरुआत से लेकर अभी तक 60-70 क्लाइंट्स को अपनी सर्विसेज़ मुहैया करा चुका है। टीम के पांच मुख्य सदस्यों के अलावा टीम के पास 80-90 डिज़ाइनर्स हैं, जो स्टार्टअप के लिए इन-हाउस प्रोडक्ट मैनेजर्स की भूमिका भी निभाते हैं।
देबप्रॉतिम कहते हैं,
"कैनवस मुख्य रूप से डिजिटल प्रोडक्ट डिज़ाइन का काम करता है। इतना ही नहीं, हम अपने डिज़ाइन ऑप्स सेटअप के ज़रिए फ़र्म्स के साथ मिलकर काम करते हैं और उनके डिज़ाइन एग्ज़िक्यूशन और प्रोडक्ट पाइपलाइन्स पर पूरा ध्यान रखते हैं। डिज़ाइन ऑप्स सर्विस, डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन से गुज़र रहीं बड़ी फ़र्मों के लिए बेहद लाभप्रद है।"
कंपनी ने सटीक आंकड़े बताने से इनकार किया, लेकिन उनका दावा है कि उनके रेवेन्यू में तीन गुना तक इज़ाफ़ा हुआ है। भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए देबप्रॉतिम ने बताया कि कंपनी अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज़ का पोर्टफ़ोलिया बढ़ाने के काम में लगी हुई है और साथ ही, स्टार्टअप की टीम निवेश की तलाश में भी जुटी है।