ट्विन टावर गिराने के लिए बिछाया जा रहा 3700 किलो बारूद, जानिए क्यों जमींदोज की जा रही हैं गगनचुंबी इमारत
दोनों टावरों को गिराने की प्रक्रिया आज शुरू होने वाली थी. हालांकि, CBRI की एनओसी ना मिलने की वजह से यह काम रोक दिया गया है. सभी विभागों को हिदायत दी गई है कि 2 दिन के अंदर CBRI को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराएं जिसके बाद CBRI उन दस्तावेजों का अध्यन कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को एनओसी दे सके.
उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित सुपरटेक (supertech) के अवैध ट्विन टॉवरों (twin towers) को सुप्रीम कोर्ट (supreme court) के सख्त आदेशों के बाद आगामी 21 अगस्त को गिराया जाना तय हो चुका है. एपेक्स और सियान नाम के इन दो टावरों को गिराए जाने की प्रक्रिया लंबे समय से लटकी हुई थी.
दोनों टावरों को गिराने की प्रक्रिया आज शुरू होने वाली थी. हालांकि, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) की एनओसी ना मिलने की वजह से यह काम रोक दिया गया है. सभी विभागों को हिदायत दी गई है कि 2 दिन के अंदर सीबीआरआई को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराएं जिसके बाद सीबीआरआई उन दस्तावेजों का अध्यन कर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को एनओसी दे सके.
3700 किलो विस्फोटक से ढहाया जाएगा
नोएडा प्राधिकरण के एक अधिकारी के अनुसार दोनों टावर को गिराने के दिन सुपरटेक और एटीएस सोसायटी पूरी तरह से खाली करायी जाएगी. दो गाड़ियों में पलवल से विस्फोटक आएगा. एक गाड़ी में जिलेटिन की रॉड और दूसरी गाड़ी में डेटोनेटर आएंगे. ऊपर के टॉवर से विस्फोटक लगाने का काम शुरू होगा. रोजाना 200 किलो विस्फोटक लगाया जाएगा. कुल 3700 किलो विस्फोटक से 21 अगस्त को ब्लास्ट होगा.
टावर गिराए जाने के दिन सुबह आठ बजे के बाद सोसायटी में पुलिस एवं राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) का नियंत्रण होगा. इसके लिए सोसायटी में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) निवासियों का सहयोग करेगी.
इमारतों में बारूद लगाने का काम दो अगस्त से शुरू होना था. हालांकि, अब इसमें कुछ दिन की देरी हो सकती है. इसका कारण है कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) ने अभी एनओसी नहीं दी है. एनओसी लेने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं.
इस दौरान एडफिस इंजीनियरिंग के कर्मचारियों को छोड़कर दोनों टावर के परिसर में किसी और व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. यह जानकारी नोएडा प्राधिकरण ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में सौंपी स्टेट्स रिपोर्ट में दी है. अधिकारियों के मुताबिक सुपरटेक के दोनों टावर को 21 अगस्त को दोपहर ढाई बजे जमींदोज किया जाएगा.
क्या है पूरा मामला?
नोएडा के सेक्टर-93 स्थित 40 मंजिला ट्विन टावरों का निर्माण 2009 में हुआ था. सुपरटेक के दोनों टावरों में 950 से ज्यादा फ्लैट्स बनाए जाने थे. हालांकि, बिल्डिंग के प्लान में बदलाव करने का आरोप लगाते हुए कई खरीदार 2012 इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए थे. इसमें 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे. जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं, 133 दूसरे प्रोजेक्ट्स में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश कर रखा है.
साल 2014 में नोएडा प्राधिकरण को जोरदार फटकार लगाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्विन टावर को अवैध घोषित करते हुए उन्हें गिराने का आदेश दे दिया था. हालांकि, तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
31 अगस्त 2021 को ट्विन टावर के निर्माण को नोएडा अथॉरिटी और डेवलपर के बीच मिलीभगत का मामला बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा स्थित सुपरटेक एमेराल्ड के 40 मंजिला ट्विन टावर को तीन महीने में गिराने के आदेश दिए थे.
शीर्ष अदालत ने घर खरीदारों की पूरी राशि बुकिंग के समय से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने का भी निर्देश दिया था. इसने एमराल्ड कोर्ट परियोजना के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को ट्विन टावरों के निर्माण के कारण हुए उत्पीड़न के लिए 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया था.
इसके बाद अलग-अलग कारणों से इसे गिराने की योजना टलती रही. अब सुप्रीम कोर्ट के सख्त रूख को देखते हुए नोएडा प्रशासन ने इसे 21 अगस्त को गिराने की तारीख तय की है.
सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त की समयसीमा दी है
सुप्रीम कोर्ट ने CBRI, सुपरटेक, एडिफिस और नोएडा के अधिकारियों को तोड़फोड़ योजना को अंतिम रूप देने के लिए 6 अगस्त को बैठक करने का निर्देश दिया है.
साथ ही कहा है कि एडिफिस और सुपरटेक को CBRI के साथ सहयोग करना चाहिए और सभी प्रासंगिक जानकारी प्रदान करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों इमारतों को ढहाने की समय सीमा 28 अगस्त निर्धारित की है. अगली सुनवाई 12 अगस्त को है.
क्या ट्विन टावरों को ढहाने से रोकने की संभावना बची है?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की 40 मंजिला ट्विन टावरों को गिराने की जगह वैकल्पिक समाधान का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका को न सिर्फ खारिज कर दिया बल्कि उन पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका एनजीओ ‘सेंटर फॉर लॉ एंड गुड गवर्नेंस’ ने दाखिल की थी. याचिका पर सुनवाई से पहले कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को चेतावनी दी थी कि अगर याचिका में दम नहीं होगा तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा.
याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि पिछले साल 31 अगस्त को टावर गिराए जाने का आदेश पारित किया गया था और पुनरीक्षण याचिका भी खारिज होने के बाद इसे अंतिम रूप दिया गया.
इस तरह एनजीओ पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस राशि को रजिस्ट्री में जमा किया जाए, ताकि कोविड से प्रभावित रहे वकीलों के परिजनों के लाभ के लिए इसका उपयोग किया जा सके.