NGO के विदेशी चंदे का 10 फीसदी तक घूस मांगते थे अधिकारी, CBI की जांच में आया सामने
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर एनआईए ने तकनीकी निगरानी शुरू की, जिसमें बिचौलिये और विदेशी चंदा नियमन (संशोधन) अधिनियम (एफसीआरए) इकाई में मंत्रालय के आरोपी अधिकारियों के बीच कथित सांठगांठ होने का पता चला.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एफसीआरए के उल्लंघन के मामलों में 437 फोन कॉल टैप किये, जिससे प्रदर्शित होता है कि आरोपी अधिकारी बिचौलियों के साथ सांठगांठ कर एनजीओ के विदेशी चंदा में कथित तौर पर पांच से 10 प्रतिशत के बीच रिश्वत मांग रहे थे. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर एनआईए ने तकनीकी निगरानी शुरू की, जिसमें बिचौलिये और विदेशी चंदा नियमन (संशोधन) अधिनियम (एफसीआरए) इकाई में मंत्रालय के आरोपी अधिकारियों के बीच कथित सांठगांठ होने का पता चला.
मामले में आरोपियों को 10 मई को गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के आवेदनों को आगे बढ़ाने के लिए उनके प्रतिनिधियों से कथित तौर पर रिश्वत ली थी.
सीबीआई ने मामले के सिलसिले में हाल में चार आरोपपत्र दाखिल किये थे. साथ ही, निकट भविष्य में पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का विकल्प मौजूद रखने के साथ-साथ एक व्यापक साजिश की अपनी जांच खुली रखी है.
टैप की गई बातचीत के अलावा, सीबीआई ने 12 पेन ड्राइव और करीब 50 मोबाइल फोन भी जब्त किये हैं. इससे जांच एजेंसी को वित्तीय लेनदेन और मंत्रालय में कथित रिश्वत गिरोह के कामकाज के बारे में काफी जानकारी प्राप्त हुई है.
आरोपियों के टैप किये गये कॉल और व्हाट्सऐप पर की गई बातचीत से मिली जानकारी के आधार पर सीबीआई ने मंत्रालय की एफसीआरए इकाई से रिकार्ड एकत्र किये हैं.
इस गिरोह का भंडाफोड़ उस वक्त हुआ जब गृह मंत्रालय को एफसीआरए इकाई में संचालित हो रहे तीन रिश्वत गिरोह के बारे में सूचना मिली. यह सूचना इतनी पुख्ता थी कि गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत इसकी सीबीआई जांच का आदेश दिया.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सीबीआई निदेशक को एक पत्र लिख कर रिश्वतखोरी से जुड़े गिरोह की जांच करने की मांग की, जिसके बाद विभिन्न संदिग्धों की निगरानी शुरू की गई.
सीबीआई ने 10 मई को देशव्यापी व्यापक तलाश अभियान शुरू किया था, जिसमें मंत्रालय की एफसीआरए इकाई के छह अधिकारियों सहित 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया .
आरोप पत्र के मुताबिक उक्त अधिकारी कथित तौर पर एफसीआरए के लंबित आवेदनों के विवरण मांगा करते थे और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत की मांग करते थे.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि इस कार्य में कई बिचौलिये इन अधिकारियों की मदद करते थे. अधिकारी आवेदकों को कथित तौर पर यह बताते थे कि उनके आवेदन में कुछ त्रुटियां हैं और उनका नवीकरण होने की संभावना नहीं है.
इसके बाद, कुछ अन्य सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से वे लंबित आवेदनों को आगे बढ़ाते थे और अपने विश्वसनीय सहयोगियों तथा हवाला कारोबारियों के मार्फत कथित तौर पर रिश्वत मिलने के बाद उन्हें (आवेदनों को) मंजूरी देते थे.