कुमार मंगलम बिड़ला: 28 की उम्र में संभाला कारोबार और 28 वर्ष में 30 गुना बढ़ा दिया ग्रुप का टर्नओवर
कुमार मंगलम बिड़ला, आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) के चेयरमैन हैं.
वर्ष 2023 के लिए पद्म पुरस्कारों (Padma Awards 2023) की घोषणा हो चुकी है. भारत के राष्ट्रपति की ओर से 106 पद्म पुरस्कार प्रदान करने की मंजूरी दी गई है. इस बार के पद्म पुरस्कारों में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं. जिन शख्सियतों को पद्म पुरस्कार दिए जाने वाले हैं, उनमें बिजनेसमैन कुमार मंगलम बिड़ला (Kumar Mangalam Birla) भी शामिल हैं. उन्हें पद्म भूषण के लिए चुना गया है. कुमार मंगलम बिड़ला, आदित्य बिड़ला ग्रुप (Aditya Birla Group) के चेयरमैन हैं. वैसे तो वह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं, लेकिन इस बड़े सम्मान के मौके पर डालते हैं एक नजर कुमार मंगलम बिड़ला के जीवन व करियर से जुड़े कुछ पहलुओं पर...
1967 में जन्म
कुमार मंगलम बिड़ला, 14 जून 1967 को राजस्थान के एक मारवाड़ी व्यवसायी बिड़ला परिवार में जन्मे. हालांकि उनका जन्म कोलकाता में हुआ और मुंबई में वह पले-बढ़े. उनके पिता का नाम आदित्य विक्रम बिड़ला और मां का नाम राजश्री बिड़ला था. कुमार ने 10वीं की पढ़ाई Sydenham College of Commerce and Economics से की और ग्रेजुएशन, मुंबई यूनिवर्सिटी के H.R. College of Commerce and Economics से की. कुमार मंगलम बिड़ला चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) होने के साथ-साथ लंदन बिजनेस स्कूल से MBA भी किए हुए हैं. वह इस स्कूल में मानद फेलो भी हैं.
पिता से नहीं कह पाए दिल की बात
कुमार मंगलम बिड़ला ने Times Lit Fest 2015 में कहा था कि उनका सीए करने का कोई इरादा नहीं था. लेकिन उनके पिता ने सीए करने को कहा और वह अपने पिता की बात टाल नहीं पाए. उनके पिता को लगता था कि सीए बनना, कुमार मंगलम के लिए सही चीज है और कुमार के पास इतना साहस नहीं था कि वह अपने पिता से कह सकें कि वह सीए नहीं करना चाहते हैं. इसलिए चुपचाप सीए की पढ़ाई के लिए विदेश चले गए.
महज 22 की उम्र में शादी
कुमार मंगलम बिड़ला की शादी केवल 22 साल की उम्र में 18 साल की नीरजा बिड़ला से हो गई थी. नीरजा का जन्म इंदौर में हुआ था. वह बिजनेसमैन शंभू कासलीवाल की बेटी हैं. यह पूरी तरह अरेंज मैरिज थी. शादी के एक साल बाद ही कुमार और नीरजा लंदन पढ़ाई करने चले गए. 1992 में कुमार मंगलम ने लंदन बिजनेस स्कूल से एमबीए की डिग्री हासिल की.
जब 28 की उम्र में कंधों पर आई बिजनेस की जिम्मेदारी
आदित्य विक्रम बिड़ला को 1991 में प्रोस्टेट कैंसर होने का पता चला. साल 1995 में उनका निधन हो गया. इसके बाद कुमार मंगलम को आदित्य बिड़ला ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया. उस समय उनकी उम्र मात्र 28 साल थी. लोगों ने इतनी छोटी उम्र में इतने बड़े बिड़ला साम्राज्य को चलाने को लेकर कुमार की काबिलियत पर सवाल उठाए, लेकिन उन्होंने अपनी कौशल, लगन, मेहनत और सोच से सबकी आशंकाओं को निराधार साबित कर दिया. कुमार ने न सिर्फ आदित्य बिड़ला ग्रुप को आगे बढ़ाया बल्कि नए सेक्टर्स में भी एंट्री की.
कुछ यूं की खुद को साबित करने की शुरुआत
आदित्य बिड़ला ग्रुप की बागडोर संभालने के बाद कुमार मंगलम ने सबसे पहला काम जो किया, वह यह कि उन्होंने टॉप मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के साथ जुड़कर उनकी कंपनियों को क्या चाहिए, यह समझा. कुमार को सलाह दी गई कि वह अपने व्यवसायों को अलाइन करें और विविध कंपनियों के बजाय प्योर प्ले कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करें. लेकिन कुमार मंगलम ने इसके खिलाफ फैसला किया. उन्होंने महसूस किया कि समूह की ताकत इसके कॉन्ग्लोमरेट स्ट्रक्चर में है. इसलिए उन्होंने अपनी टीम से कहा कि वह समूह की मौजूदगी वाले किसी भी व्यवसाय में एक प्रमुख खिलाड़ी बनना चाहते हैं. अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो उन्हें उस सेक्टर से बाहर जाना होगा. उन्होंने उन यूनिट्स को बेच दिया, जो या तो घाटे में चल रही थीं, या जहां उनके प्रभुत्व प्राप्त करने की कोई संभावना नहीं थी. बेचे जानी वाली यूनिट्स में उनके पिता द्वारा स्थापित पहली कताई यूनिट भी शामिल थी. उन्होंने यह भी महसूस किया कि आदित्य बिड़ला ग्रुप को अपनी अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी का तेजी से विस्तार करने की जरूरत है.
इस बीच, जिस तरह से समूह का प्रबंधन किया जा रहा था, उसमें उन्होंने बड़े बदलाव करना शुरू कर दिया. उस समय बिड़ला समूह में रोजगार एक बड़े संयुक्त परिवार में होने जैसा था, जिसमें कर्मचारियों के बच्चों को कंपनी में नौकरी का लगभग आश्वासन दिया गया था. जब कुमार मंगलम ने ग्रुप की चेयरमैनशिप संभाली, उस वक्त वह स्वयं 28 वर्ष के थे, लेकिन उनके कर्मचारियों की औसत आयु उनकी खुद की उम्र के दोगुने से अधिक थी. उन्होंने जो पहला काम किया, वह था लोगों को रोजगार देने में मेरिटोक्रेसी का सिस्टम लाना. उनका मानना है कि किसी भी कंपनी की मुख्य संपत्ति उसके लोग होते हैं. उन्होंने खुद को ऐसे प्रबंधकों से घेरा, जो उन्हें चुनौती देने से नहीं डरते थे. उन्होंने यह भी महसूस किया कि कंपनियों को कैसे चलाया जाएगा और उनका पालन कैसे किया जाएगा, इस पर स्पष्ट वैल्यूज निर्धारित करना महत्वपूर्ण था. डिसेंट्रलाइज्ड, सशक्त और जन-संचालित संगठन, सफलता की कुंजी थे.
फैमिली बिजनेस के अलावा कुछ और नहीं सोचा
इंडिया टुडे की साल 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक युवा के रूप में कुमार मंगलम का पारिवारिक व्यवसाय में शामिल होने के अलावा कुछ और करने की ओर कभी कोई ध्यान या महत्वाकांक्षा नहीं थी. वह हमेशा कुछ बड़ा करना चाहते थे, जो समाज को भी वापस लौटाए. जब वह सीए और एमबीए करके विदेश से लौटे, तो उनके पिता ने उन्हें अपनी कंपनी में छोटी इकाइयों का प्रभारी बना दिया. इंडिया टुडे के अनुसार, अपनी मृत्यु से ठीक पहले, आदित्य विक्रम ने अपने बेटे कुमार मंगलम को सलाह दी थी कि वह अपने व्यवसाय को उन मूल्यों के साथ चलाएं, जो उन्होंने कुमार को सिखाए हैं. कुमार के पिता की सीख थी 'मुझे पता है कि तुम बहुत कड़ी मेहनत करते हो, लेकिन तुम्हें जीवन का आनंद लेना है. जीवन, आनंद लेने के लिए है. बहुत बहादुर बनो. अपनी मां और बहन की देखभाल करो, और सार्वजनिक रूप से शोक मत करो.' कुमार मंगलम के मुताबिक, पिता की मौत और उसके बाद की चुनौतियों ने उनके लिए तेजी से बड़ा होने के अलावा कोई चारा नहीं छोड़ा.
आज कितना बड़ा है बिड़ला ग्रुप
आदित्य बिड़ला ग्रुप की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक कुमार मंगलम बिड़ला, भारत और विदेश में फैली ग्रुप की सभी प्रमुख कंपनियों के बोर्ड में चेयरमैन हैं. इन कंपनियों में Novelis Inc., Birla Carbon, Aditya Birla Chemicals, Domsjö Fabriker, Terrace Bay Pulp Mill, Hindalco Industries Ltd., Grasim Industries Ltd., UltraTech Cement Ltd., Aditya Birla Fashion and Retail Ltd. और Aditya Birla Capital Ltd आदि शामिल हैं. पिछले 28 सालों में उनके नेतृत्व में ग्रुप का टर्नओवर 30 गुना बढ़कर 60 अरब डॉलर पहुंच गया है.
इतना ही नहीं उनकी लीडरशिप में आदित्य बिड़ला ग्रुप ने भारत और अन्य देशों में 40 से अधिक कंपनियों का अधिग्रहण किया है. यह किसी भी भारतीय मल्टीनेशनल कंपनी द्वारा किए गए अधिग्रहणों में सर्वाधिक है. कुमार मंगलम बिड़ला ने कारोबारों को रिस्ट्रक्चर कर उन सेक्टर्स में ग्लोबल लीडर बनने में सक्षम बनाया, जिनमें उनके ग्रुप की मौजूदगी है. आज आदित्य बिड़ला ग्रुप की कई कंपनियां अपने सेक्टर की लीडर हैं. इनमें सीमेंट, केमिकल्स, मेटल्स, टेक्सटाइल, फैशन और फाइनेंशियल सर्विसेज शामिल हैं. आदित्य बिड़ला ग्रुप में मौजूदा वक्त में 100 देशों के 140,000 कर्मचारी काम करते हैं.
अगस्त 2021 में कुमार मंगलम बिड़ला ने वोडाफोन आइडिया के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया था. यह वेंचर, बिड़ला की आइडिया सेल्युलर और ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन की भारतीय शाखा वोडाफोन इंडिया के साल 2018 में हुए विलय से बना है. वोडाफोन आइडिया इस वक्त भारी कर्ज में डूबी है.
ये जिम्मेदारियां भी संभाल चुके हैं बिड़ला
- भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल में निदेशक रह चुके हैं.
- कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित सलाहकार समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं.
- व्यापार और उद्योग पर प्रधानमंत्री की सलाहकार परिषद में रह चुके है.
- कॉरपोरेट गवर्नेंस पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) समिति के चेयरमैन रह चुके हैं. इस पद पर रहते हुए उन्होंने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर पहली रिपोर्ट लिखी, जिसने कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मूलभूत सिद्धांतों को तैयार किया.
- एडमिनिस्ट्रेटिव एंड लीगल सिंपलीफिकेशंस पर प्रधानमंत्री की टास्क फोर्स के संयोजक रह चुके हैं.
- इनसाइडर ट्रेडिंग पर सेबी की समिति के चेयरमैन रह चुके हैं.
कुमार मंगलम बिड़ला पहले उद्योगपति हैं, जिन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) द्वारा मानद सदस्यता प्रदान की गई है. वह भारतीय उद्योग परिसंघ की राष्ट्रीय परिषद और भारत के एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की शीर्ष सलाहकार परिषद में हैं.
कितनी दौलत के मालिक
ब्लूमबर्ग बिलियेनियर इंडेक्स के मुताबिक इस वक्त कुमार मंगलम बिड़ला की नेटवर्थ 10.8 अरब डॉलर है. वह इंडेक्स के अनुसार दुनिया के सबसे अमीर लोगों में 180वें पायदान पर हैं. वहीं फोर्ब्स के मुताबिक, इस वक्त कुमार की नेटवर्थ 14.8 अरब डॉलर है.
शिक्षण संस्थानों से जुड़ाव
कुमार मंगलम बिड़ला शिक्षण संस्थानों से भी गहराई से जुड़े हुए हैं. वह बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) के कुलाधिपति हैं. इस इंस्टीट्यूट के पिलानी, गोवा, हैदराबाद और दुबई में कैंपस हैं. बिरला मुंबई में स्थित एक नए युग के बिजनेस स्कूल BITSoM की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन हैं. भारत के बाहर की बात करें तो कुमार मंगलम बिड़ला, लंदन बिजनेस स्कूल के एशिया पैसिफिक एडवाइजरी बोर्ड में कार्यरत हैं और लंदन बिजनेस स्कूल के मानद फेलो हैं. 2019 में उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल में अपने दादा, बी.के. बिरला की याद में 15 मिलियन पाउंड के स्कॉलरशिप प्रोग्राम की शुरुआत की थी. यह किसी यूरोपीय बिजनेस स्कूल को अब तक का सबसे बड़ा स्कॉलरशिप गिफ्ट है. कुमार मंगलम बिड़ला को कई अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है.