25 वर्ष पहले लॉन्च हुई इस कार की रतन टाटा के दिल में है खास जगह, Tata Motors की थी पहली पैसेंजर हैचबैक
Tata Indica, डीजल इंजन के साथ भारत की पहली हैचबैक कार थी.
टाटा ग्रुप (Tata Group) के मुखिया रतन टाटा (Ratan Tata) ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की है. इस पोस्ट में उन्होंने टाटा मोटर्स (Tata Motors) की इंडिका कार (Tata Indica) को याद किया है. 25 वर्ष पहले टाटा इंडिका को लॉन्च किया गया था. आज भले ही यह कार बिक्री के लिए मौजूद नहीं है लेकिन रतन टाटा के दिल में इस कार के लिए एक खास जगह है. और केवल रतन टाटा ही नहीं, कई लोग ऐसे हैं जिनकी खुद की पहली कार टाटा इंडिका थी. उनके लिए भी यह कार काफी खास है.
रतन टाटा की इंस्टाग्राम पोस्ट को अब तक 28.7 लाख से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं और कई लोगों ने कमेंट्स में इंडिका कार को लेकर अपने अनुभव शेयर किए हैं. टाटा इंडिका एक सुपरमिनी कार थी. यह टाटा मोटर्स की पहली पैसेंजर हैचबैक कार थी और इसे साल 1998 में लॉन्च किया गया था. यह डीजल इंजन के साथ भारत की पहली हैचबैक कार थी.
पहली पूरी तरह से स्वदेशी भारतीय पैसेंजर कार
1991 में जब रतन टाटा, ग्रुप के चेयरमैन बने, तब टाटा मोटर्स की पहचान ट्रक बनाने की सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर होती थी. टाटा मोटर्स ने 1988 में टाटा मोबाइल से पैसेंजर व्हीकल मार्केट में कदम रखा और 1991 में Tata Sierra को लॉन्च किया. बाद में 30 दिसंबर 1998 को पहली पूरी तरह से स्वदेशी भारतीय पैसेंजर कार टाटा इंडिका को लॉन्च किया. अनवीलिंग के एक सप्ताह के अंदर ही कंपनी को इसके लिए 1.15 लाख ऑर्डर मिल गए थे. लेकिन शुरुआत में टाटा इंडिका उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई. शुरुआती खरीदारों से कई शिकायतें मिलीं. उनका कहना था कि कार हॉर्सपावर डिलीवर नहीं करती और गैस माइलेज उतना नहीं है, जितना कि दावा किया गया है. शिकायतों को दूर करने के लिए टाटा मोटर्स ने कार में कुछ बदलाव किए और एक बार फिर इसे इंडिका V2 के नाम से लॉन्च किया. इसके बाद इंडिका कुछ इस तरह पॉपुलर हुई कि भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा डिमांड वाली कारों में शामिल हो गई. आगे चलकर इसके कई अपडेटेड वर्जन आए.
दो साल के अंदर टाटा इंडिका अपने सेगमेंट की नंबर वन कार बन गई थी. 2006-2007 के दौरान टाटा इंडिका की सालाना बिक्री 144690 यूनिट पर हुआ करती थी. इस कार को 2004 के आखिर तक यूरोपीय और अफ्रीकी देशों में भी एक्सपोर्ट किया जाता था. अगस्त 2008 तक यानी 10 सालों के अंदर टाटा इंडिका के उत्पादन का आंकड़ा 9.1 लाख यूनिट्स पर पहुंच गया था.
जब बिकने की कगार पर पहुंच गई थी टाटा मोटर्स
टाटा इंडिका को शुरुआत में मिली असफलता से उपजी हताशा और टाटा मोटर्स की परिस्थितियों को देखते हुए टाटा ग्रुप ने 1999 में कार कारोबार समेटने की तैयारी कर ली थी. फोर्ड मोटर्स ने टाटा का कार कारोबार खरीदने में दिलचस्पी दिखाई और टाटा को संदेशा भिजवाया. ऑटो मैन्युफैक्चरिंग के लिए मशहूर डेट्रायट मिशिगन झील के दक्षिण-पूर्व में, अमेरिकी इंडस्ट्री का नगीना माना जाता है. यहीं फोर्ड मुख्यालय में रतन टाटा और उनकी टीम पहुंची. लगभग तीन घंटे की बातचीत रतन टाटा और उनकी टीम के लिए एक अपमान की तरह रही. बातचीत के दौरान फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि जब पैसेंजर कार बनाने का कोई अनुभव नहीं था तो ये बचकाना हरकत क्यों की. हम आपका कार बिजनेस खरीद कर आप पर उपकार ही करेंगे. फोर्ड की इस बात से रतन टाटा बुरी तरह हिल गए. उसी रात उन्होंने कार बिजनेस बेचने का फैसला टाल दिया.
जब फोर्ड को मिला करारा जवाब
इसके बाद आया साल 2008...वह वक्त जब टाटा मोटर्स के पास बेस्ट सेलिंग कार्स की एक लंबी लाइन हो गई और उधर फोर्ड मोटर्स की हालत खराब होती जा रही थी. उस वक्त टाटा मोटर्स ने फोर्ड की लैंड रोवर और जगुआर ब्रांड को खरीदने का ऑफर दे दिया. तब इन दोनों कारों की बिक्री बेहद खराब थी और फोर्ड काफी घाटे में जा रही थी. टाटा के ऑफर पर फोर्ड की टीम मुंबई आई. उस वक्त बिल फोर्ड को कहना पड़ा- आप हमें बड़ा फेवर कर रहे हैं. रतन टाटा चाहते तो इन दोनों ब्रांड्स को बंद कर सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसके बाद जब लंदन की फैक्ट्री बंद होने की अफवाह उड़ी तो रतन टाटा ने कामगारों की भावना समझी. यूनिट को पहले की तरह काम करने की आजादी दी. आज लैंड रोवर और जगुआर दुनिया की बेस्ट सेलिंग कार ब्रांड्स में शुमार है. अप्रैल 2022 में Ford Motors ने भारत से अपना बिजनेस समेट लिया. एक महीने बाद, मई 2022 में TATA Motors की सहायक कंपनी Tata Passenger Electric Mobility Limited (TPEML) ने Ford Motors के गुजरात के साणंद स्थित कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को खरीद लिया.
5 डोर कॉम्पैक्ट हैचबैक
टाटा इंडिका एक 5 डोर कॉम्पैक्ट हैचबैक थी. इस कार को आंशिक रूप से टाटा मोटर्स द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया था. इसमें 1.4 लीटर पेट्रोल/डीजल इनलाइन-फोर इंजन था, जिसे आंतरिक रूप से 475DL के तौर पर जाना जाता था. यह स्वदेशी इंजन, टाटा द्वारा पिक-अप और एसयूवी की अपनी लाइन में पहले इस्तेमाल किए गए इंजन से प्रेरित था, लेकिन एक छोटे स्ट्रोक के साथ. मूल इंजन को 483DL के रूप में नामित किया गया था, जो चार-सिलेंडर और 83-मिमी स्ट्रोक के साथ था. टाटा इंडिका में एसी और इलेक्ट्रिक विंडोज जैसी सुविधाएं थीं, जो इससे पहले केवल इंपोर्टेड गाड़ियों तक ही सीमित थीं. टाटा मोटर्स ने अप्रैल 2018 तक इंडिका का उत्पादन किया.