डिफॉल्टर बन चुका है पाकिस्तान, जानिए किसी देश के दिवालिया हो जाने पर उसका क्या होता है
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने बयान दिया है कि देश दिवालिया हो चुका है. अब लोग सोच रहे हैं कि आगे पाकिस्तान का क्या होगा. आइए जानते हैं जब कोई देश दिवालिया हो जाता है तो उसका क्या होता है.
इन दिनों पाकिस्तान की हालत बद से बदतर (Pakistan Crisis) हो चुकी है. तेजी से बढ़ती महंगाई (Inflation In Pakistan) के बीच पाकिस्तान आर्थिक रूप से बदहाल हो चुका है. रोजमर्रा की चीजों की कीमतों में तो जैसे आग सी लगी हुई है. इसी बीच देश के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पाकिस्तान के लोगों के दिलों में दहशत पैदा कर दी है. ख्वाजा आसिफ ने सियालकोट में एक निजी कॉलेज के दीक्षांत समारोह के दौरान कहा है कि पाकिस्तान दिवालिया (Pakistan Bankrupt) हो चुका है. अब पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया के लोग ये सोच रहे हैं कि आगे क्या होगा? आइए जानते हैं किसी भी देश को दिवालिया घोषित करने के क्या नियम (Country Bankruptcy Rules) होते हैं. साथ ही समझते हैं कि अगर कोई देश दिवालिया घोषित हो जाता है तो उसका क्या (What happens when a country become Bankrupt) होता है.
पहले जानिए किसी देश को दिवालिया घोषित किए जाने के नियम
एक थ्योरी ये कहती है कि किसी भी देश को दिवालिया तब घोषित किया जाता है जब उसका विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो जाता है कि देश के तमाम भुगतान करने में भी दिक्कत होने लगे. यानी विदेशी मुद्रा भंडार का बहुत ज्यादा कम हो जाना किसी देश के दिवालिया होने की सबसे बड़ी वजह होता है. इसे आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि अगर किसी देश के पास इंटरनेशनल संस्थाओं या फिर दूसरे देशों से लिए कर्ज की किस्त तक चुकाने के पैसे नहीं होते हैं और उसके बाद देश आयात किए सामानों का भुगतान नहीं कर पाता है तो उसे दिवालिया माना जाता है.
वहीं दूसरी थ्योरी है जेएनयू के प्रोफेसर अरुण कुमार की, जिसे बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में भी पब्लिश किया है. अरुण कुमार का मानना है कि विदेशी कर्ज के पैसों की तुलना में किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार बेहद कम हो जाना दिवालिया होना नहीं होता है. उनका कहना है कि कर्ज तो अमेरिका, जापान, चीन जैसे बड़े देशों पर भी है. वह कहते हैं कि किसी देश के दिवालिया होने का सबसे बड़ा पैमाना है कि उस देश की क्रेडिट रेटिंग कैसी है. प्रोफेसर अरुण कहते हैं कि जब कोई देश अपने कर्ज को समय से नहीं चुका पाता तो वह डिफॉल्टर बन जाता है और यह दिवालिया होने की शुरुआत होती है.
अगर कोई देश दिवालिया हो जाए तो उसका क्या होता है?
जब भी कोई देश दिवालिया होता है तो वहां सबसे पहले राजनीतिक अस्थिरता आती है. लोग महंगाई और बेरोजगारी से परेशान हो जाते हैं. जिन लोगों के पास देश से बाहर जाने की सहूलियत होती है, वह देश छोड़कर भाग जाते हैं, ताकि दिवालिया होने के दुष्प्रभावों से बचा जा सके. लोगों के पास पैसों की किल्लत बढ़ती है तो लोग सबसे पहले बैंकों से अपने पैसे निकालना शुरू करते हैं. अपनी सेविंग और एफडी को तोड़ देते हैं, ताकि अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर सकें. ऐसी स्थिति में देश की सरकार बैंकों पर कंट्रोल करते हुए ट्रांजेक्शन को सीमित करने लगती है. कई बार तो लोगों के फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर रोक तक लगा दी जाती है.
देश के दिवालिया होने और आम आदमी के दिवालिया होने में फर्क
अगर कोई शख्स या कोई कंपनी दिवालिया घोषित होती है तो उसके क्रेडिटर्स की तरफ से उसकी संपत्तियों की नीलामी कराई जाती है और पैसे रिकवर करने की कोशिश होती है. वहीं अगर कोई देश दिवालिया होता है तो कर्जदार उस देश की प्रॉपर्टीज को नीलाम नहीं कर सकते हैं. हालांकि, अगर देश के बाहर कंपनी की कोई प्रॉपर्टी है तो उसके खिलाफ कुछ मामलों में कार्रवाई हो सकती है. कई मामलों में तो खुद दिवालिया देश ही विदेशी प्रॉपर्टी को नीलाम कर कर्ज के कुछ पैसे चुकाने की इजाजत दे देते हैं. यहां एक बात समझनी होगी कि देश दरअसल कभी दिवालिया नहीं होता, दिवालिया होती है उसकी सरकार, जो समय पर कर्ज का भुगतान नहीं कर पाती है. यही वजह है कि इसके लिए उस देश की प्रॉपर्टीज या असेट्स को नीलाम नहीं किया जाता है.
दिवालिया होने के बाद कर्जे चुकाने के लिए क्या करता हो कोई देश?
एक बड़ा सवाल ये है कि जब कोई देश दिवालिया हो जाता है तो उसके कर्जों का क्या होता है? जिन देशों या संस्थाओं से उसने वह कर्ज लिया होता है उसे वापस कैसे किया जाता है? यहां एंट्री होती है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ की. आईएमएफ से उस देश को आर्थिक मदद दी जाती है. साथ ही कर्ज चुकाने के तरीकों पर विचार किया जाता है. कई बार दूसरे देशों में मौजूद प्रॉपर्टी को नीलाम किया जाता है, ताकि कर्ज की कुछ रकम चुकाई जा सके.
साल 2001 में जब अर्जेंटीना डिफॉल्टर घोषित हो गया था तो उसने भी साफ कह दिया था कि कर्जे चुकाने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं. ऐसे में 2012 में घाना में मौजूद उसके नेवी शिप को सीज किया गया था और उससे कर्ज की कुछ भरपाई की गई थी. पाकिस्तान भी अगर दिवालिया घोषित हो जाता है तो मुमकिन है कि वह भी अमेरिका और लंदन में स्थित अपनी प्रॉपर्टी और होटल को नीलाम कर दे. देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान कब तक इस लड़ाई को लड़ पाता है.