पापा की कंपनी छोड़ दो बहनों ने गोवा में घरों को यूं बनाया टूरिज्म बढ़ाने का एक अवसर
दो बहनों ध्रुती कासु रेड्डी और ज्योत्सना कासु रेड्डी ने अपने करियर की शुरुआत अपने पिताजी के स्टार्टअप के साथ की। साल 2012 में दोनों बहनों ने मूशन इंडिया कंपनी के साथ काम किया। इस कंपनी का काम स्टेज पर 3डी होलोग्राफिक प्रोजेक्शन तकनीक का प्रयोग करके लोगों और वस्तुओं का लाइव और रिकॉर्डेड होलोग्राम प्रजेंटेशन करना था। कासु राज गोपाल रेड्डी (पिता) के ग्राहकों की लिस्ट में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल थे। नरेंद्र मोदी ने सा 2014 के इलेक्शन के अपने चुनावी अभियान में 3डी तकनीक का इस्तेमाल किया और भारत के प्रधानमंत्री बने। इस सफलता के बावजूद दोनों बहनों ने महसूस कर लिया कि 3डी कैंपेन बनाना और केवल 1 नामी ग्राहक का होना ही काफी नहीं है।
साल 2015 में गोवा की अपनी छुट्टियों के दौरान ध्रुती और ज्योत्सना ने समझ लिया कि गोवा राज्य में ऐसे भी कई लोग हैं जो यहां अपना एक दूसरा घर चाहते हैं लेकिन उनके पास ऐसी सेवा उपलब्ध नहीं है। ये लोग गोवा में छुट्टियों में रहने के लिए या निवेश के उद्देश्य से प्रॉपर्टी खरीदना चाह रहे थे। कई सालों तक केवल अमीर और प्रसिद्ध लोगों के पास ही गोवा में अपना घर था। इनमें से भी अधिकतर पर हमेशा ताला लगा रहता था। ये घर केवल मानसून के खत्म होने और गर्मियों के शुरू होने से पहले के समय में ही काम आते थे। बाकी समय यानी साल के 9 महीनों ये घर बंद ही रहते थे।
मौके पर चौका मारना
ध्रुती और ज्योत्सना ने नए साहसी व्यक्तियों खासकर अच्छे डिजाइन वाले अपने घर की ख्वाहिश रखने वाले उद्यमियों के लिए घर बनाने और उसका प्रबंधन करने को एक अवसर के रूप में देखा। ऐसे उद्यमियों को ध्यान में रखा जो काम में ना आने पर मकान से कुछ लाभ भी कमा सकें। उन्होंने साल में अधिकतर समय खाली पड़े रहने वाले मकानों को एक रीयल एस्टेट/हॉस्पिटैलिटी कंपनी के जरिए निर्माण और प्रबंधन की योजना बनाई। उन्होंने ऐसे मकानों को गोवा घूमने आने वाले लोगों (जो आलीशान मकानों में रहने के उत्सुक थे) को रहने के लिए उपलब्ध कराने का प्लान बनाया।
उन्होंने पूरे गोवा में ऐसी प्रॉपर्टीज को ऑनलाइन प्लैटफॉर्म AirBnB पर लिस्ट किया और हाई प्रोफाइल टूरिस्टों के लिए शुरू कर दिया। इनका पूरा मैनेजमेंट एक हॉस्पिटैलिटी सर्विस की तरह कासु एसेट्स करती थी। यह कंपनी मकान मालिकों के लिए किराए तक की आय सुनिश्चित करती है। यहां तक कि जब मकान मालिक लौटकर आते तो उन्हें घर की सफाई और खाने तक के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह स्टार्टअप सभी घरेलू सुविधाएं प्रदान करता है। फरवरी 2017 में दोनों बहनों ने कासु एसेट्स स्टार्टअप की शुरुआत की। कंपनी का नाम कासु रखने के पीछे उनके परिवार का नाम होने के साथ ही इस शब्द का तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में अर्थ भी कारण है। तीनों भाषाओं में कासु का मतलब होता है पैसा।
उनके पिताजी एक रीयल एस्टेट बिजनेस परिवार से थे और उन्होंने अपने अनुभव का प्रयोग दोनों बेटियों के मार्गदर्शन में किया। उन्होंने 3डी बिजनेस से दूरी क्यों बनाई? इस बारे में कासु एसेट्स की को-फाउंडर ज्योत्सना ने बताया, '3डी बिजनेस का काम करने, सेल्स और प्रशासन के मामले में ध्रुती और मैं काफी हद तक शामिल थे और आज भी हैं। इसने हमें भारतीय बाजार के बारे में और यहां के ग्राहकों की मानसिकता के बारे में सिखाया। साथ ही हमने विकसित पश्चिमी बाजार और भारतीय बाजार के अंतर को भी समझा। हम इस तकनीक (3डी) को पहली बार भारतीय बाजार में ला रहे थे। लेकिन हम पश्चिमी बाजार के मॉडल भारतीय बाजार में नहीं ला सके क्योंकि यहां का ग्राहक वस्तु की कीमत को लेकर काफी संवेदनशील है। 3डी बिजनेस में हमने कीमत और प्रॉडक्ट के बीच के तालमेल को गहराई से समझा। हमने किसी चीज के सफल हो जाने पर उसकी नकल करने वाले ट्रेंड को फॉलो नहीं किया।'
काम शुरू करना
हालांकि बैंगलोर की दो महिलाओं के लिए गोवा में बिजनेस सेट करना आसान का नहीं था। खासकर कि रीयल एस्टेट सेक्टर में। गोवा साल 1961 में भारत देश का हिस्सा बना था। वहां पर सभी टाइटल डीड्स (अधिकार दस्तावेज) अपनी पुर्तगाली विरासत वाले ही रहे। उन्हें गोवा के पुराने नियम समझने में जितनी परेशानी हुई। उतनी तो पुरुष प्रधान रीयल एस्टेट सेक्टर से नहीं हुई। उन्हें पुर्तगाली भाषा में लिखे अधिकार दस्तावेजों को समझने के लिए स्थानीय कानूनी टीम तैयार करनी थी।
दोनों बहनों ने मकान बनाने के लिए जमीन खरीदने का काम शुरू किया और पेशे से आर्किटेक्ट ध्रुती ने मकानों की डिजाइन को लेकर शोध करना शुरू किया। ध्रुती ने प्रसिद्ध वास्तुकार समीप पैडोरा संपर्क किया। वे अपनी प्रॉपर्टी में जो भी विला/मकान बनाते, उसका नाम वाना (VANA) रखते। हर वाना में खुद का एक पूल और कई बगीचे होते थे। चार बेडरूम वाले इन घरों को स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता वाले लेटराइट पत्थरों से बनाया गया। इनमें पूर्ण रूप से ऊंचाई वाली कांच की खिड़कियां बनी थीं जिनसे होकर सीधे प्राकृतिक यानी सूरज की रोशनी आती थी।
ध्रुती ने कहा, 'हर साइट अपने आप में अलग या कहें कि यूनीक है। और हमने यहां की भौगोलिक विशेषताओं, मानवीय सुविधाओं के साथ-साथ अपने प्रोग्राम से प्रेरणा ली है। हमने महसूस किया कि जो कोई भी छुट्टियों पर जाता है। वह एकांत में होने, प्रकृति को करीब से देखने, मनोरंजन के लिए और आराम करने के लिए जाता है। हम जो भी डिजाइन बनाएं, वे इन सब बातों के लिए अनुकूल होनी चाहिए।'
जैसे ही साल 2017 में पहली संपत्ति ने आकार लेना शुरू किया। दोनों बहनों ने अंजुना में 14 विला वाले जामा के निर्माण का काम शुरू किया। यह प्रॉजेक्ट मार्च 2018 में शुरू हुआ था और साल 2020 तक पूरा हो जाएगा। अभी तक वाना की 2 यूनिट और जामा की 6 यूनिट्स बिक चुकी हैं। इस बीच ध्रुती और ज्योत्सना ने दो नई प्रॉपर्टीज को विकसित करने का अनुबंध भी कर लिया। अभी तक हर प्रॉपर्टी में उन्होंने खुद ही पैसे लगाए हैं और फिलहाल धन के किसी बाहरी साधन की तलाश भी नहीं कर रही हैं।
बिजनेस मॉडल
कासु का बिजनेस मॉडल केवल बिक्री के बारे में ही नहीं है। यह स्टार्टअप मकान मालिकों के घर लौटने पर उनकी प्रॉपर्टी का प्रबंधन भी करता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि प्रॉपर्टी पर कभी भी ताला ना लगा रहे। यानी कभी भी प्रॉपर्टी खाली ना रहे। इन प्रॉपर्टीज को ऐसे यायावर यात्रियों (घूमते रहने वाले) के लिए तैयार किया जाता है जो प्रकृति के करीब रहना चाहते हैं। यह स्टार्टअप एंड-टु-एंड सर्विस प्रोवाइडर है।
ज्योत्सना कहती हैं, 'हम ग्राहकों को अच्छे घर और इन घरों के सेटअप के लिए सारी जरूरी सेवाएं देते हैं। हमारे पास बुटीक इंटीरियर पैकेज, रख-रखाव और हाउसकीपिंग, गार्ड जैसी सभी सुविधाएं किराए पर उपलब्ध हैं। हम मालिकों के लिए घर चलाने के अनुभव को सरल, कम परेशानी वाला और काफी हद तक संतुलित बनाना चाहते हैं। रीयल एस्टेट जैसी पारंपरिक इंडस्ट्री में हॉस्पिटैलिटी स्टाइल वाली सर्विस की शुरुआत करना ही हमें बाकियों से अलग बनाता है।'
उज्ज्वल भविष्य
कासु एसेट्स की दोनों संस्थापकों ने किसी प्रॉपर्टी का एक साल के लिए प्रबंधन करने के लिए लगने वाली कीमत का खुलासा नहीं किया। हालांकि हर प्रॉपर्टी मालिक एक विला खरीदने के लिए 3,50,000 डॉलर (लगभग 2 करोड़ 45 लाख रुपये) से अधिक का भुगतान करता है। ध्रुती ने बताया, 'हम इन परियोजनाओं को मालिकों के लिए सेकंड होम की तर्ज पर बढ़ावा दे रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हर प्रॉजेक्ट 5 साल में पूरा हो जाए।'
IBEF के अनुसार, भारत में रीयल एस्टेट सेक्टर के साल 2017 में 120 बिलियन डॉलर की तुलना में साल 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीदें हैं। साथ ही उम्मीद है कि साल 2025 तक यह सेक्टर देश की जीडीपी में 13% योगदान देगा। भारत की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए रीटेल, हॉस्पिटैलिटी और कमर्शिअल रीयल एस्टेट सेक्टर भी काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। इंटरनैशनल टूरिज्म में गोवा के भारत का सबसे व्यस्त स्थान बनने के साथ ही स्टार्टअप की योजना साल 2022 तक सनसाइन स्टेट पर फोकस करने की है। हालांकि दोनों ही संस्थापक दूसरे हेरिटेज मार्केट में अपने विस्तार की योजना से भी इनकार नहीं करती हैं। ध्रुती रेड्डी ने कहा, 'हम अपने डिजाइन के कारण सबसे यूनीक हैं। लेकिन जो चीज हमें बाकियों से अलग बनाती है। वह अपने ग्राहकों के लिए संपत्तियों का पूरी तरह से संतुष्टि पूर्वक प्रबंध करना है।'