मिलिये पीपल बाबा से, जो अब तक लगा चुके हैं 2 करोड़ से अधिक पेड़
'पीपल बाबा' ना सिर्फ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करते हैं, बल्कि वे अपने द्वारा लगाए गए हर एक पेड़ की देखभाल भी सुनिश्चित करते हैं।
प्रकृति से लगाव रखने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय तौर पर भाग लेने वाले कई नेक लोग आपको आज मिल जाएंगे, फिर भी दिल्ली के निवासी ‘पीपल बाबा’ की कहानी और उनकी प्रतिज्ञा सबसे अनूठी है। पीपल बाबा ने अपना जीवन ही पेड़-पौधों और प्रकृति को समर्पित कर दिया है।
बीते 44 सालों से चल रहा उनका यह सफर फिलहाल अनवरत जारी है और इस दौरान उन्होने 2 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए हैं। यही नहीं उनके इस संकल्प पर कोरोना महामारी भी ब्रेक नहीं लगा सकी है।
कब हुई थी शुरुआत?
बात है साल 1977 की जब पीपल बाबा यानी स्वामी प्रेम परिवर्तन महज 10 साल के थे, तब फौजी घर में जन्मे स्वामी प्रेम परिवर्तन ने अपने ही घर के सदस्यों से प्रेरणा लेते हुए 26 जनवरी 1977 को पहला पौधा लगाया था और यहीं से उनकी इस यात्रा की शुरुआत हुई।
शुरुआत में वो अपनी जेब खर्च से पौधे खरीदते और उन्हे स्कूल जाने और स्कूल से आने के दौरान रास्ते पर लगाया करते थे। पीपल बाबा के अनुसार उनके पिता आर्मी में थे और इसके चलते उन्हे कई राज्यों में भ्रमण करने और प्रकृति को और नजदीक से जानने का मौका मिला और कुछ इसी तरह उनका प्रकृति प्रेम एक जुनून में तब्दील हो गया।
नौकरी भी की
पीपल बाबा अंग्रेजी विषय में पोस्ट ग्रेजुएट हैं और उन्होने 13 सालों तह कई कंपनियों में इंग्लिश एजुकेशन ऑफिसर के तौर पर नौकरी भी की, हालांकि इस दौरान भी उनके पेड़ लगाने का कार्यक्रम लगातार जारी ही रहा, लेकिन कुछ समय के बाद उन्होने पौधों के प्रति अपने इस जुनून को फुल टाइम करने का फैसला किया। ऐसे में वो अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए बच्चों को ट्यूशन क्लास देते रहे।
पीपल बाबा अपने भ्रमण के दौरान जब भी बच्चों से मिलते हैं तो उन्हे देश के अन्य राज्यों में भ्रमण करने और प्रकृति को नजदीक से जानने के लिए प्रेरित भी करते हैं।
स्वामी प्रेम परिवर्तन ने जो 2 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए उनमें से करीब एक करोड़ से अधिक पेड़ नीम और पीपल के हैं। स्वामी प्रेम परिवर्तन एक बार राजस्थान के पाली जिले गए थे, जहां सूखे हुए कुएं से निजात दिलाने के लिए उन्होने निवासियों को वृक्षारोपण की सलाह दी और वहीं के सरपंच द्वारा ‘पीपल बाबा’ नाम से संबोधित किए जाने के बाद से यह नाम उनकी पहचान बन गया।
‘गिव मी ट्रीज़’
यह बात साल 2010 की है, जब बॉलीवुड अभिनेता जॉन अब्राहम ने पीपल बाबा के काम को देखा और उन्होने खुद आगे आकर इस काम को बड़े स्केल पर ले जाने और उन्हे सोशल मीडिया से जुड़ने की सलाह भी दी। इस के साथ आगे बढ़ते हुए पीपल बाबा ने साल 2011 में ‘गिव मी ट्रीज़’ नाम की एक संस्था की स्थापना की।
आज पीपल बाबा अपने लगाए हुए सभी पेड़ों की ना सिर्फ देखभाल सुनिश्चित करते हैं, बल्कि पेड़ों का लेखा जोखा भी रखते हैं। पीपल बाबा रोज़ाना वृक्षारोपण सुनिश्चित करते हैं और ट्रस्ट के माध्यम से आज उनके पास वॉलंटियर्स भी हैं जो उनकी इस काम में मदद करते हैं। कोरोना काल में भी पीपल बाबा ने आठ हज़ार से अधिक पेड़ लगाए हैं।
लोगों को देते हैं प्रशिक्षण
पीपल बाबा प्रशिक्षण शिविरों का भी आयोजन करते हैं, जिसमें आज दुनिया भर के साथ से अधिक देशों से आए हुए लोग हिस्सा ले चुके हैं और वे प्रशिक्षण के बाद अपने देश वापस लौट कर वहाँ वृक्षारोपण का काम सक्रिय तौर पर करते हैं। आज सार्वजनिक जमीन पर पीपल बाबा ने बड़े पैमाने पर पेड़ लगातार ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से जूझ रही धरती को बचाने का सक्रिय प्रयास किया है, जो अनवरत जारी है।