सड़क के गड्ढे ने ली थी मासूम बेटे की जान, आज उन गड्ढों को भर रहे हैं ये पिता
सड़क पर गड्ढे के चलते हुए हादसे में अपने तीन साल बेटे को खोने वाले मनोज कुमार वाधवा ने खुद ही सड़कों से गड्ढे मिटाने का जिम्मा ले रखा है। मनोज सरकारी तंत्र से जागकर इन गड्ढों को भरने की उम्मीद कर रहे हैं।
सरकारी तंत्र से निराशा लिए टेलीकॉम इंजीनियर मनोज कुमार वाधवा अपने दोस्तों की मदद से आज सड़कों पर गड्ढे भरने में लगे हैं। सड़कों पर उभर आने वाले गड्ढों के चलते होने वाले हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं और ये मनोज से बेहतर कोई नहीं समझ सकता, क्योंकि ऐसे ही किसी हादसे में मनोज ने अपने तीन साल बेटे को खो दिया था।
10 फरवरी 2014 को मनोज अपनी पत्नी और अपने तीन साल के बेटे के साथ किसी पारिवारिक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर अपनी बाइक से लौट रहे थे। उनका बेटा उनके और उनकी पत्नी के बीच में बैठा हुआ था, जबकि मनोज ने हाइवे पर एक गड्ढा देखा जिसपर पानी भरा हुआ था। मनोज ने अचानक बाइक में ब्रेक लगाई, जिसके चलते बाइक संतुलन बिगड़ गया और उनका बेटा एक पत्थर से जा टकराया। वो नुकीला पत्थर उनके बेटे के सीने में लगा, जबकि पीछे से आ रहा तेज़ रफ्तार वाहन उनकी पत्नी के पैरों से गुज़र गया।
मनोज ने आनन फानन में अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचे, जबकि अन्य लोगों ने उनके बेटे को फौरन दूसरे अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
हादसे के बाद मनोज ने मुंबई के पैथहोल वारियर्स और पैथहोल राजा नाम के दो ग्रुप से सड़कों पर गड्ढे भरने के बारे में जानकारी ली, जिसके बाद जरूरी सामग्री के साथ मनोज सड़कों पर इन खतरनाक गड्ढों को भरने के लिए निकल पड़े।
पैथहोल वारियर्स और पैथहोल राजा सरकारी तंत्र के फेल होने के बाद सड़कों पर इस तरह के गड्ढों को भरने का काम करते हैं।
वाधवा बताते हैं कि वह यह काम रविवार के दिन करते हैं और उन्हे उम्मीद है कि जिम्मेदार सरकारी विभाग एक दिन जग जाएंगे। वाधवा कहते हैं कि अगर वह कुछ लोग मिलकर इन गड्ढों को भर सकते हैं तो सारे संसाधन मौजूद होने बावजूद विभाग और ठेकेदार ऐसा क्यों नहीं कर सकते?
वाधवा जिक्र करते हैं कि
उस दिन अगर दिल्ली आगरा हाइवे पर वो गड्ढा न होता, तो वो अपने बेटे को नहीं खोते और वो आज 9 साल का होता।