पीएम की नई जंग ने अमेज़न, फ्लिपकार्ट समेत कई कंपनियों की नींद उड़ाई
'सिंगल यूज प्लास्टिक' मुक्त भारत बनाने का पीएम नरेंद्र मोदी का आह्वान रंग ला रहा है। कई मल्टीनेशनल कंपनियों की नींद उड़ी हुई है। इंडियन रेलवे और एयरपोर्ट अथॉरिटी के साथ ही, 29 राज्यों के 40 हजार ट्रेड फेडरेशन, चैंबर और एसोसिएशन से जुड़े 7 करोड़ व्यापारी आगामी 02 अक्तूबर की घोषणा से पहले ही जंग में उतर चुके हैं।
पंद्रह अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 'सिंगल यूज प्लास्टिक' मुक्त बनाने का आह्वान किया था। प्लास्टिक-प्रदूषण से सबसे ज्यादा समुद्र की सेहत खराब हो रही है। सरकार वर्ष 2022 तक भारत को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त बनाने का अभियान गांधी जयंती पर आगामी 02 अक्तूबर से शुरू करने जा रही है। इसके साथ ही छह तरह के प्लास्टिक प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग, इस्तेमाल और आयात पूर्ण प्रतिबंधित हो जाएगा। प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट, छोटी बोतल, प्लास्टिक स्ट्रा, कई टाइप्ड पैकिंग प्लास्टिक पाबंदी के दायरे में आ जाएंगे। सिंगल यूज प्लास्टिक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाली देश-दुनिया की ऐमजॉन, फ्लिपकार्ट, बिग-बास्केट समेत ई-कॉमर्स कारोबारी कई बड़ी कंपनियों की नींद उड़ी हुई है।
दिल्ली समेत देश के 7 करोड़ व्यपारियों ने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन का फैसला लिया है। कैट की एक बैठक में 29 राज्यों के 40 हजार ट्रेड फेडरेशन, चैंबर और एसोसिएशन से जुड़े व्यापारियों ने इसी माह 01 सितंबर से राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू कर दिया है। अब पचास ग्राम माइक्रॉन से कम वजन वाली प्लास्टिक थैलियां अब दुकानदार नहीं देंगे।
उधर, यूरोपियन यूनियन ने साल 2021 तक सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम जैसे स्ट्रा, फोर्क, चाकू और कॉटन बड्स का उपयोग पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य तय किया है। कई दक्षिण एशियाई देश तो प्लास्टिक के डंपिंग यार्ड बन गए हैं। चीन के कॉमर्शियल हब शंघाई ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर साल 2025 तक पूर्ण प्रतिबंध का लक्ष्य तय किया है।
पीएम मोदी की इस नई जंग से भारत की प्लास्टिक निर्माता कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर सीधे असर पड़ा है। सरकार उनके रोजगार के विकल्प पर भी विचार कर रही है। पहले इंडियन रेलवे ने ट्रेन और स्टेशनों को सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। अब एयर इंडिया ने प्लास्टिक के स्थान पर पेपर, स्टील,लकड़ी वाली पैकिंग के इस्तेमाल का ऐलान किया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने 55 हवाई अड्डों पर सिंगल यूज प्लास्टिक बैन कर दिया है। इससे पहले देश के 35 हवाई अड्डों पर प्लास्टिक बैन हो चुका है। हाल फिलहाल, इलाहाबाद, औरंगाबाद, भुज, गया, जबलपुर, जामनगर, जोधपुर, खुजराहो, लेह, राजकोट, सूरत एयरपोर्ट प्लास्टिक मुक्त हुए हैं।
हमारे देश में सालाना इस्तेमाल होने वाली कुल प्लास्टिक में से करीब 40 प्रतिशत खपत ई-कॉमर्स सेक्टर में होती है। प्रतिबंध से भारत में सालाना खपत होने वाली 14 मिलियन टन में से मात्र 5 से 10 प्रतिशत पर ही रोक लगाई जा सकेगी। सरकार की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को प्लास्टिक पैकेजिंग न करने का निर्देश दिया जा सकता है। सस्ती स्मार्टफोन कंपनियां और ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे ऐमजॉन, वालमार्ट, फ्लिपकार्ट अपने प्रोडक्ट, बुक, मेडिसिन को प्लास्टिक कवर में भेजती हैं। हमारे देश में प्लास्टिक इंडस्ट्री 1.8 लाख करोड़ रुपये की है। प्लास्टिक उत्पादों पर रोक से कैरी बैग, ग्लव्ज इत्यादि बनाने वाली छोटी कंपनियों की परेशानी बढ़ सकती है लेकिन, लिस्टेड कंपनियों पर इसका कोई खास असर नहीं होगा।
केंद्रीय पर्यावरण सचिव सीके मिश्रा के एक ताजा बयान के मुताबिक, केंद्र सरकार निर्देश जारी कर सकती है कि ई-कॉमर्स कंपनियां अपने कचरे को खुद रिसाइकिल करें। फ्लिपकार्ट ने सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल 25 फीसदी तक कम करने के दावे के साथ मार्च 2021 तक सौ फीसदी रिसाइकिल प्लास्टिक इस्तेमाल करने का लक्ष्य बनाया है। बिग-बास्केट ने बेंगलुरु में उत्पादों की पैकेजिंग में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दिया है। फ्लिपकार्ट भी सिंगल यूज प्लास्टिक पैकेजिंग का विकल्प ढूंढने के साथ ही रिसाइकिल और रिन्यूएबल मैटेरियल्स का इस्तेमाल करने का दावा कर रही है।
नोटबंदी, जीएसटी से प्लास्टिक की बड़ी कंपनियों को फायदा हुआ है। सुप्रीम इंडस्ट्रीज भारत में प्लास्टिक के उत्पाद बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। इसकी मौजूदगी करीब-करीब सभी सेगमेंट में है। पाइप्स बनाने के क्षेत्र में अग्रणी फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज अपनी क्षमता में 33 फीसदी तक विस्तार करने जा रही है। ग्लोबल बन चुकी तीसरी बड़ी कंपनी जैन इरिगेशन सिस्टम्स एग्रीकल्चर सेक्टर में कमाई कर रही है। चौथी शीर्ष प्लास्टिक प्रोडक्ट निर्माता कंपनी 'मोल्ड-टेक पैकेजिंग' की वाडीलाल इंडस्ट्रीज, हाटसुन एग्रो, हेरिटेज फूड्स आदि के साथ मिलकर औद्योगिक विस्तार में जुटी है।
इस बीच दस हजार से ज्यादा प्रतिभागियों पर किए गए एक ताजा सर्वे से पता चला है कि सिंगल यूज प्लास्टिक से देश को मुक्त करने में कैशबैक बड़ा कारक साबित हो सकता है। सर्वे में एक छोटे से कैशबैक के लिए 92 फीसदी उपभोक्ता ई-कॉमर्स पैकेजिंग प्लास्टिक को वापस करने के इच्छुक मिले तो 89 फीसदी लोगों ने कार्डबोर्ड पैकेजिंग बॉक्सेज की तरफदारी की। इस बीच प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। कई लाख टन प्लास्टिक हर साल प्रोड्यूस हो रहा है, जो कि बायोडिग्रेडेबल नहीं है। सिर्फ लगभग 7.5 फीसदी सिंगल यूज प्लास्टिक ही रिसाइकल हो पा रहा है। बाकी समुद्र में पहुंचकर जल जीवों की जान मुसीबत में डाल रहा है।