डिजिटल जमाने में रेडियो: जानिए कैसे हमारी रोज की जिंदगी में प्रवेश करता गया रेडियो
13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है। स्ट्रीमिंग म्यूजिक, गूगल होम और अमेजॉन ईको के बीच में, आइए एक नजर डालते हैं कि कैसे रेडियो ने तकनीकी इनोवेशन की इस गाथा को लिखा है।
“So don't become some background noise
A backdrop for the girls and boys
You had your time, you had the power
You've yet to have your finest hour.”
अंग्रेजी में लिखे इन लिरिक्स को जोर से गाए बिना पढ़ना मुश्किल है। क्वीन फ्रंटमैन फ्रेडी मर्करी के 1984 के इस हिट रेडियो गा गा ने न केवल इस हमेशा विकसित होने वाले माध्यम का सार पकड़ा, बल्कि इसे अमर कर दिया। हालांकि यह सच है कि वर्तमान समय में ब्रॉडकास्ट - टेलीविजन, वीडियो स्ट्रीमिंग और भी बहुत कुछ है जिसने रेडियो पर प्रभाव डाला है, लेकिन हम यह न भूलें कि आज की कोई भी तकनीक बिना रेडियो के संभव नहीं होती। रेडियो के इतिहास को समझने के लिए, आपको रेडियो वेव टेक्नोलॉजी के इतिहास को समझने की जरूरत है, जिसका उपयोग पहली बार वायरलेस कम्युनिकेशन के लिए किया गया था। हमारा आधुनिक जीवन जिन चीजों से परिभाषित होता है वो दरअसल रेडियो टेक्नोलॉजी के विकास पर ही आधारित है। वायरलेस कनेक्टिविटी से लेकर ब्लूटूथ और यहां तक कि IoT (Internet of things)- सक्षम उपकरणों से लैस स्मार्ट होम - यह सब रेडियो से शुरू हुआ।
सवाल यह है कि सबसे पहले इसकी खोज किसने की थी?
इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के साथ प्रयोग 1700 के दशक में शुरू हुआ। स्कॉटिश वैज्ञानिक जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने 1873 में इलेक्ट्रिसिटी और मैग्नेटिज्म पर अपने ग्रंथ के साथ सैद्धांतिक रूप से इसकी नींव रखी। लेकिन यह जर्मन भौतिक विज्ञानी हेनरिक हर्ट्ज (Heinrich Hertz) थे, जिन्होंने प्रयोग के माध्यम से इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म वेव्स (electromagnetic waves) के अस्तित्व को साबित किया।
हालांकि जब कोई रेडियो के अविष्कार पर नजर डालता है तो ये दो नाम सामने आते हैं - सर्बियाई-अमेरिकी आविष्कारक निकोलाई टेस्ला और इटैलियन आविष्कारक गुग्लिल्मो मार्कोनी (Guglielmo Marconi)। माना जाता है कि टेस्ला ने 1893 में सेंट लुइस में पहली बार यह प्रदर्शित किया था कि रेडियो का शुरुआती संस्करण कैसा होगा, लेकिन इस आविष्कार का श्रेय आमतौर पर मार्कोनी को दिया जाता है। क्यूं? क्योंकि उन्हें वायरलेस टेलीग्राफिक सिस्टम के लिए सबसे पहला पेटेंट दिया गया था। भले ही यह एक शानदार उपलब्धि थी, लेकिन इसके मूल आविष्कारक को लेकर बहस आज भी जारी है।
प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय के दौरान रेडियो
आज हम रेडियो को जिस तरह देखते हैं, यह उसके शुरुआती दिनों से बहुत अलग है। मार्कोनी द्वारा वायरलेस तकनीक को लोकप्रिय बनाने के बाद, रेडियो का उपयोग ज्यादातर टेलीग्राफी के माध्यम से संचार के लिए किया जाता था। यह नौसैनिक संचार के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। समुद्र में मौजूद जहाजों ने अन्य जहाजों और यहां तक कि लैंड स्टेशन के साथ संवाद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया। हालाँकि, प्रथम विश्व युद्ध से पहले रेडियो तकनीक की वास्तविक क्षमता का एहसास नहीं हुआ था। रेडियो का मिलिट्री में उपयोग महत्वपूर्ण सूचनाओं को भेजने और प्राप्त करने के लिए किया जाता था। संचार में रेडियो की सफलता के बाद, रडार तकनीक (पहले रिमोट-नियंत्रित वाहन) और विभिन्न निगरानी उपकरण भी बनाए गए थे।
सार्वजनिक हुआ रेडियो
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का युग रेडियो के लिए एक नए युग की शुरूआत थी। न केवल देशों ने सार्वजनिक उपयोग के लिए इस तकनीक को एकीकृत करना शुरू किया, बल्कि सूचनाओं को भेजने और प्राप्त करने के तरीकों में भी तेजी से बदलाव किया। उस समय तक, रेडियो तरंगों (Radio Waves) पर टेलीविजन प्रसारण बेहद लोकप्रिय हो गया। यहां तक कि प्रसारण कंपनियों जैसे कि यूके में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कंपनी या बीबीसी और यूएस में एटीएंडटी (AT&T), जोकि प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच जन्मीं थी, ने तेजी से गियर बदला और रेडियो में मनोरंजन को शामिल करना शुरू कर दिया। प्रोग्रामिंग कंटेंट ने इन्फॉर्मेशन-सेंट्रिक ब्रॉडकास्ट और एपिसोडिक फॉर्मट्स से लेकर म्यूजिक प्रोग्राम्स तक एक बड़ा बदलाव देखा है। रेडियो में ट्यून उस समय एक सामान्य रूप से उपयोग किया जाने वाला वाक्यांश था जहां संगीत और रेडियो लगभग पर्याय बन गए थे।
रेडियो, जैसा कि आज हम जानते हैं
केरमोड और मेयो (Kermode and Mayo) की फिल्म समीक्षा, बीबीसी का "फ्लैगशिप फिल्म प्रोग्राम", एक रेडियो शो है जो इतनी तेजी से आगे बढ़ा जिसने सारी सीमाओं को तोड़ दिया। यह 2001 में यूके में एक स्थानीय कार्यक्रम के साथ शुरू हुआ था। जैसे-जैसे साल बीतते गए, शो ने एक साथ वेबकास्ट की शुरुआत की, इसकी प्रोग्रामिंग को बीबीसी iPlayer पर उपलब्ध कराया और पॉडकास्ट के रूप में, विश्व स्तर पर अपने दर्शकों तक इसे पहुंचाया गया।
वर्तमान डिजिटल-हैवी लैंडस्केप में, रेडियो ने एक नया आकार लिया है, और यहां तक कि नए प्लेटफार्मों में भी प्रवेश किया है। यह वेब पर भी है। यह ऑडियो फाइलों और पॉडकास्ट में कंटेंट के रूप में भी जीवित है। यह 5जी नेटवर्क और हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के साथ बढ़ते हुए, तकनीक के रूप में लाखों लोगों तक अपनी पहुंच बनाए हुए है। टेस्ला और मार्कोनी ने संभवतः कल्पना भी नहीं की होगी कि वे इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के साथ प्रयोग करके कितनी बड़ी चीज हासिल कर लेंगे।
तेजी से बढ़ते हुए, वायरलेस तकनीक ने लगभग हर क्षेत्र को किसी न किसी तरीके से प्रभावित किया है। चिकित्सा के क्षेत्र में, IoT से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी डिवाइसेस और ईक्विपमेंट लगातार लोकप्रिय होते जा रहे हैं। IoT सेंसर्स अपनी सटीकता से पैदावार बढ़ाते हुए खेती के पारंपरिक तरीकों की जगह ले रहे हैं। यहां तक कि लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट भी अब सैटेलाइट ट्रैकर्स, इंटरनेट से जुड़े ट्रैकर्स और फ्लीट मैनेजमेंट के लिए वायरलेस सेंसर से अनजान नहीं हैं।
आठवें विश्व रेडियो दिवस से पहले, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने में कहा, "आज भी डिजिटल संचार की दुनिया में, रेडियो किसी भी अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म की तुलना में अधिक लोगों तक पहुंचता है।" यह सच है, हो सकता है कि रेडियो का स्टाइल और शेप बदल गया हो। लेकिन यह सार संयुक्त राष्ट्र जैसी एजेंसियों के समान ही है। दुनिया भर के रेडियो प्रसारणकर्ता इस विश्व रेडियो दिवस पर "संवाद, सहिष्णुता और शांति" के विषय पर बातचीत को बढ़ावा देने के लिए रेडियो का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए, अपने आइपॉड, स्मार्टफोन, गूगल होम्स और अमेजॉन ईकोस पर स्ट्रीमिंग म्यूजिक के बीच में, रेडियो को जरूर याद रखें जिसने टेक्नॉलोजी इनोवेशन की इस गाथा को लिखा है।
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