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भले गर्दिश में हों शेयर के सितारे, लेकिन रिलैक्सो का रुतबा अब भी बुलंदी पर

भले गर्दिश में हों शेयर के सितारे, लेकिन रिलैक्सो का रुतबा अब भी बुलंदी पर

Tuesday July 23, 2019 , 5 min Read

"एक ओर शेयर बाजार की सेहत लगातार नासाज़ चल रही है, शेयर के सितारे तक अपने गर्दिश के दिनों से गुजर रहे हैं, रिलैक्सो कंपनी ही नहीं, उसके निवेशक भी करोड़ों की कमाई से लाल हुए जा रहे। इस जादू जैसी कामयाबी के पीछे है, कंपनी के एमडी रमेश कुमार दुआ की सूझबूझ और आधुनिक फुटवियर मार्केट की गहरी, बारीक समझ।"



रिलैक्सो

रिलैक्सो फुटवेयर के एमडी रमेश कुमार दुआ (फोटो: Forbes)



अमीरों पर टैक्स के एलान से हांफते बाजार ने आज जबकि दिग्गज निवेशकों की भी हालत पतली कर रखी है, शेयर के सितारों के दिन गर्दिश में चल रहे हैं, दिल्ली के रमेश कुमार दुआ की कंपनी रिलैक्सो का रुतबा बुलंदी पर है। ऐसे कठिन वक़्त में भी ये कंपनी ही नहीं, इसमें पैसा लगाने वाले निवेशक भी मालामाल हुए जा रहे हैं। केंद्र में एनडीए गठबंधन दोबारा सत्तासीन होने के पचास दिन पूरे होने के बावजूद बजट के बाद से शेयर बाजार की सेहत लगातार नासाज़ चल रही है। अब तक निवेशकों को लगभग 12 लाख करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है।


30 मई, 2019 को बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का जो मार्केटकैप 156 लाख करोड़ रुपये से अधिक था, आज साढ़े सात फीसदी घट कर 144 लाख करोड़ रुपए रह गया है। आर्थिक विकास की दर में कमी भी बाजार के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। इससे विदेशी निवेश को भी झटके लग रहे हैं। पब्लिक शेयरहोल्डिंग की सीमा 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने के प्रस्ताव पर बड़े निवेशक नाराज बताए जा रहे हैं। जिन निवेशकों ने जून 2019 में 2,595 करोड़ रुपये और मई में 7,919 करोड़ रुपए निवेश किए थे, इस जुलाई माह में इक्विटी बाजार से 7,712 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं। सेंसेक्स 400 अंकों तक फिसल चुका है। इस बीच बीएसई का प्रमुख सूचकांक 38 हजार की ऊंचाई बरकरार रखने के लिए पसीने-पसीने हो रहा है।




आज, जबकि बाजार में कर्ज की मांग खामोश है, वोडाफोन-आइडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, जीआईसी समेत साढ़े तीन सौ से अधिक शेयर सतह पर आते जा रहे हैं और जेट एयरवेज, पीसी जूलर्स, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस कैपिटल, जैन इरिगेशन सिस्टम्स, दीवान हाउसिंग फाइनेंस, रिलायंस पावर, इंडियाबुल्स इंटिग्रेटेड सर्विसेज, जेपी एसोसिएट्स, सीजी पावर और यस बैंक के शेयर भी सत्तर प्रतिशत तक गोता लगा चुके हैं, रिलैक्सो ग्रुप की कंपनी रिलैक्सो फुटवेयर के शेयर अपने निवेशकों को करोड़ों की कमाई करा रहे हैं। इस कंपनी के शेयरों ने पिछले एक दशक में अपने निवेशकों को भारी रिटर्न देते हुए लगभग सोलह हजार सात सौ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज कराई है।


दस साल पहले ढाई रुपए रही उसके शेयरों की कीमत बढ़कर लगभग सवा चार सौ रुपए हो चुकी है। यानी एक लाख निवेश करने वाली की हैसियत डेढ़ करोड़ से अधिक की हो चुकी है। कंपनी इस चालू वित्त वर्ष में अपने टर्नओवर में पचीस प्रतिशत इजाफा कर ढाई हजार करोड़ रुपए का लक्ष्य पूरा करना चाह रही है। 


गौरतलब है कि इस समय नौ मैन्युफैक्चरिंग यूनिटों वाली रिलैक्सो के देश में तीन सौ से अधिक स्टोर पिछले वित्त वर्ष में दो हजार करोड़ का टर्नओवर हासिल कर लगभग तीस देशों में फ्रेंचाइजी के साथ छलांग लगाने में जुटे हुए हैं। इस बेमिसाल कामयाबी के पीछे है, कंपनी के 63 वर्षीय मैनेजिंग डाइरेक्टर रमेश कुमार दुआ की सूझबूझ और फुटवियर मार्केट की व्यापारिक समझदारी, जिन्होंने पिछले चार दशकों में, रिलैक्सो को सबसे बड़ी भारतीय फुटवियर निर्माता कंपनी बना दिया है। चालू वित्तीय वर्ष में उनकी कंपनी बाटा के 21 मिलियन जोड़ों की तुलना में 114 मिलियन जोड़े अधिक बेचकर टॉप पर पैर जमाए हुए है। दुआ बताते हैं कि अपनी स्थापना के बाद से ही कंपनी ने हर साल अपने राजस्व में 28 प्रतिशत की वृद्धि की है। 




उल्लेखनीय है कि 1976 में दुआ परिवार ने विरासत में मिले साइकिल के पुर्ज़े और जूते-चप्पल बनाने के उद्यम को बदलते हुए सिर्फ फुटवियर पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया। नए सिरे से अपना बिजनेस बड़ा करने के लिए रमेश कुमार दुआ को साढ़े तीन सौ रुपए किराए के ठिकाने में मात्र 10 हजार रुपए से फुटवियर का काम शुरू करना पड़ा। सबसे पहले उन्होंने अपने लिए कच्चा माल रबर की उपलब्धता आसान की। इसीलिए वह अपनी शुरुआती सफलता का श्रेय कच्चे माल की अपनी समझ और तलाश को देते हैं। 


रमेश कुमार दुआ टॉप उद्यमी होने के साथ ही एक अनुभव संपन्न 'रबर टेक्नोलॉजिस्ट' भी हैं। अपने प्रोडक्ट के लिए उन्होंने 'रिलैक्सो' नाम इसलिए चुना ताकि वे अपने वितरकों को बेहतर शर्तों पर सहमत कर सकें। दुआ बताते हैं कि जब 1995 में सरकार ने नियमों में बदलाव कर फुटवियर सेक्टर को लघु उद्योगों के लिए आरक्षित नहीं किया तो रिलैक्सो ने दोनों हाथों से इस अवसर को लपक लिया। उन्होंने तुरंत 7.5 करोड़ रुपये की लागत से ऐसा संयंत्र स्थापित किया, जो एक दिन में 50,000 जोड़े तैयार करने लगा। उसके बाद 2012 में शुरू हुई रिलैक्सो ने तेजी से अपनी मानव संसाधन नीतियों में भी अनुकूल बदल किया। एक ब्रांड के रूप में विज्ञापन के जरिए रिलैक्सो तेजी से लोगों की ज़हन में उतरने लगा। आज के समय में कंपनी अपने ब्रांड बन चुके उत्पादों के विज्ञापन के लिए सलमान खान, अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा जैसी बॉलीवुड हस्तियों पर पैसे खर्च कर रही है।