सस्ते में छोटे शहरों के युवाओं के सपनों को पंख लगा रहा यह एडटेक प्लेटफॉर्म
सफलता के चीफ रिवेन्यू ऑफिसर शाजन सैमुअल ने कहा कि स्विगी, जोमैटो के डिलीवरी ब्वाय जैसे ब्लू कॉलर जॉब में कोई तरक्की नहीं है. इसलिए हमारा उद्देश्य यूथ को फर्स्ट व्हाइट कॉलर जॉब दिलाना है. इस तरह से अगर 15-20 हजार का जॉब भी मिले तो भी उनके पूरे परिवार की मुश्किलें कम हो जाती हैं.
देश में तेजी से फल-फूल रहा एजुकेशन-टेक्नोलॉजी (एडटेक) मार्केट प्राइवेट एजुकेशन की तरह ही तेजी से गरीब और लो-इनकम हाउसहोल्ड के स्टूडेंट्स की पहुंच से दूर होता जा रहा है. ऐसे में कई एडटेक कंपनियां भारी-भरकम फीस के बजाय अफोर्डेबल फीस लेकर न सिर्फ स्टूडेंट्स की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी करवा रही हैं बल्कि उन्हें स्किल्ड से लैस कर जॉब मार्केट के लिए भी तैयार कर रही हैं.
सफलता
एक ऐसी ही एडटेक कंपनी है जो लो-इनकम हाउसहोल्ड के स्टूडेंट्स को अफोर्डेबल और एक्सेसिबल एजुकेशन मुहैया कराने के साथ ही उनके स्किल्स को निखारने का काम कर रही है.ऐसे हुई शुरुआत
सफलता की शुरुआत करीब 20 सालों तक मीडिया इंडस्ट्री में काम करने वाले हिमांशु गौतम और अशोक गौतम ने अप्रैल 2020 में की थी. हिमांशु सफलता के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) हैं जबकि अशोक चीफ टेक्निकल अधिकारी (CTO) हैं.
सफलता का मुख्य फोकस उत्तर प्रदेश पर है, लेकिन वह उत्तर भारत के अन्य हिंदी भाषी राज्यों उत्तराखंड, चंड़ीगढ़, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में अपना दायरा बढ़ा रहा है.
परीक्षा की तैयारी से लेकर स्किल निखारने पर फोकस
सफलता के तीन वर्टिकल हैं. पहला एकेडमिक में क्लास 9 से क्लास 12 के बच्चों को स्कूल और कॉलेज एग्जाम के लिए तैयारी कराई जाती है. दूसरा वर्टिकल सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने का है.
तीसरा वर्टिकल स्टूडेंट के स्किल्स को निखारने का है. इसमें बेसिक से लेकर एडवांस्ड डिजिटल मार्केटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग जैसे कोर्स सिखाए जाते हैं. इसमें 30 घंटे से लेकर 100 घंटे तक की लाइव क्लासेज कराए जाते हैं और उन्हें जॉब मार्केट के लिए तैयार करते हैं.
अफोर्डेबल है प्राइस
YourStory से बात करते हुए सफलता के चीफ रिवेन्यू ऑफिसर शाजन सैमुअल ने कहा कि हमने अपना इन-वर्टिकल इस साल फरवरी में शुरू किया है. इसमें स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग अभी चल रही है. हमारा डिजिटल मार्केटिंग 30 घंटे का लाइव प्रोग्राम है. इसके लिए हम 999 रुपये चार्ज करते हैं. वहीं, एडवांस प्रोग्राम 100 घंटे का होता है जिसके लिए हम 7000 रुपये चार्ज करते हैं. इसमें हम केस स्टडीज, असाइनमेंट, प्रोजेक्ट कराते हैं. इसके साथ ही हर सैटरडे को इंडस्ट्री के लोग आकर सेशन लेते हैं. मार्केट में ऐसे प्रोग्राम की कीमत 20 हजार से 25 हजार रुपये तक है.
सैमुअल कहते हैं कि अच्छे एजुकेशन के लिए स्टूडेंट्स लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में जाना पड़ता है. लेकिन ऐसे शहरों में रहना-खाना लो-इनकम हाउसहोल्ड के बच्चों के लिए महंगा हो जाता है. यही कारण है वे लोग अपने घर पर रहकर पढ़ना चाहते हैं.
फर्स्ट व्हाइट कॉलर जॉब दिलाना उद्देश्य
सैमुअल ने कहा कि हम मेंटरशिप उपलब्ध कराना चाहते हैं. अभी हमारा क्वालिटी एजुकेशन बहुत पीछे है. अभी जो बच्चा 12वीं पास किया है या कॉलेज से ग्रेजुएशन करके निकला है, उनके पास क्वालिफिकेश और डिग्री है लेकिन उनके पास स्किल्स नहीं है.
उन्होंने कहा कि स्विगी, जोमैटो के डिलीवरी ब्वाय जैसे ब्लू कॉलर जॉब में कोई तरक्की नहीं है. इसलिए हमारा उद्देश्य यूथ को फर्स्ट व्हाइट कॉलर जॉब दिलाना है. इस तरह से अगर 15-20 हजार का जॉब भी मिले तो भी उनके पूरे परिवार की मुश्किलें कम हो जाती हैं.
15 लाख रजिस्टर्ड यूजर्स
सैमुअल बताते हैं कि अभी हमारे पास 15 लाख रजिस्टर्ड यूजर्स हैं. 20 लाख लोग हर महीने हमारी वेबसाइट पर आते हैं. 15 लाख लोगों को हम अभी तक ट्रेनिंग दे चुके हैं.
उन्होंने कहा कि सफलता के पास स्किल्ड कोर्सेस में कुल 6000 स्टूडेंट्स हैं. 300 स्टूडेंट्स का पहला बैच पास पास हो चुका है. इसमें अभी तक कुल 150 स्टूडेंट्स की जॉब लगी है.
सैमुअल ने कहा कि हमारे लगभग सभी स्टूडेंट्स का इंटर्नशिप लग जाता है. इंटर्नशिप के लिए करीब 75 कंपनियों के साथ हमारा टाइअप है. इसके लिए अधिकतर कंपनियां स्टाइपेंड देती हैं लेकिन कुछ नहीं भी देती हैं.
87 फीसदी स्टूडेंट्स यूपी से
उन्होंने बताया कि हमारे 87 फीसदी स्टूडेंट्स उत्तर प्रदेश से आते हैं. हमारा फोकस उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पर है. उत्तर प्रदेश में स्टूडेंट्स की स्किल्स से जुड़ी समस्या का समाधान करके हम पूरे देश के समस्या की समाधान कर सकते हैं क्योंकि अकेले इस प्रदेश में 26 करोड़ लोग रहते हैं.
सैमुअल कहते हैं कि यूपी जैसे प्रदेश में जहां महिलाओं की पढ़ाई-लिखाई पर रोक लगाई जाती है, वहां भी हमारी 37 फीसदी स्टूडेंट्स महिलाएं हैं. सफलता में कर्मचारियों की कुल संख्या 130 है जिसमें से उनके पास 40 टीचर्स हैं.
'सफलता' की सफल कहानियां
सैमुअल ने बताया कि हमारा एक स्टूडेंट्स तुषार उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद के एक रिटेल स्टोर में मैनेजर का काम करता था. हमारा डिजिटल मार्केटिंग का कोर्स करने के बाद अब वह एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी iNext में 3 लाख सालाना की सैलरी पर डिजिटल मार्केटर के तौर पर काम कर रहा है.
वहीं, लोनी के रहने वाले रुपल लोहड़ा के पास ग्राफिक डिजाइनिंग करने के लिए लैपटॉप नहीं था तो सफलता ने उन्हें लैपटॉप दिया. आज उन्हें घर से बैठे-बैठे 16 हजार प्रति माह की जॉब मिल गई.
सैमुअल ने कहा कि आगरा के आयुष गोयल में आत्मविश्वास की बहुत कमी थी. हमने उन्हें आगरा में ही वर्क फ्रॉम होम की सुविधा वाला 15 हजार रुपये महीने की सैलरी पर जॉब दिलाया.
इस साल 10 करोड़ रिवेन्यू का टारगेट
सफलता एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है और अमर उजाला इसका एक स्ट्रैटेजिक पार्टनर है जो कि सफलता की फंडिंग करता है. इसके अलावा सफलता का D2C (डायरेक्ट टू कस्टमर्स) मॉडल है जिसमें कोर्स फीस से पैसे मिलते हैं. B2B में कॉरपोरेट, एनजीओ और स्कूल-कॉलेज पार्टनरशिप से पैसे आते हैं.
पिछले फाइनेंशियल ईयर में सफलता का कुल रिवेन्यू 2 करोड़ रुपये था. इस साल सफलता का 10 करोड़ रिवेन्यू जनरेट करने का टारगेट है. सफलता के गुडविल एंबेसडर क्रिकेटर विरेंदर सहवाग हैं. सफलता का उद्देश्य एक साल में 25 हजार स्टूडेंट्स को नौकरी दिलाना है.