मिलें बायो टॉयलेट से लेकर सैनिटरी नैपकिन मशीन लगवाने वाली शालिनी ठाकरे से
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की जनरल सेक्रेटरी शालिनी ठाकरे द्वारा स्थापित कल्कि फाउंडेशन महिलाओं के लिए सैनिटेशन और हेल्थ के मुद्दे पर काम कर रहा है। कल्कि फाउंडेशन का पहला प्रॉजेक्ट मुंबई के ग्रामीण इलाकों में बायो टॉयलेट्स की स्थापना करना था। फाउंडेशन ने कम विकसित क्षेत्रों और जंगलों में भी बायो टॉयलेट का निर्माण कराया ताकि स्वच्छता में किसी तरह की दिक्कत न आए। ऐसे इलाकों में न्यायिक वजहों से टॉयलेट नहीं बन पाते थे।
कल्कि फाउंडेशन ने मुंबई के तमाम स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीनें भी लगवाईं और सरकार के साथ साझेदारी करते हुए ग्रामीण इलाकों में सस्ते दर पर नपकिन उपलब्ध करवा रहा है। अभी तक कल्कि फाउंडेशन ने मुंबई के पश्चिमी उपनगरीय इलाकों में 100 से अधिक शौचालय बनवाने का काम किया है। इनमें बोरीवली, वर्सोवा, कांदिवली और दहिसर जैसे इलाके शामिल हैं।
वहीं कांदीवली, गोरेगांव और मलाड में स्थित 10 से अधिक प्राइवेट स्कूलों में सैनिटरी नैपकिन मशीन भी लगवाई है। स्वच्छता अभियान के अलावा फाउंडेशन ने रोजगार पर भी ध्यान दिया। 2016 में 12 रोजगार केंद्रों की स्थापना की गई और इन केंद्रों में महिलाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था कराई गई। हालांकि तकनीकी कारणों से अब इन केंद्रों को बंद कर दिया गया है।
कल्कि फाउंडेशन के अगले कदमों के बारे में बात करते हुए शालिनी कहती हैं कि उनका मकसद स्लम इलाकों में रहने वाली महिलाओं की स्थिति सुधारना है। वे बताती हैं, '2015 में मैं स्लम में रहने वाली लगभग 30-40 महिलाओं के एक समूह से मिली जिन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कभी शौचालय का इस्तेमाल ही नहीं किया। शौच के लिए बाहर जाने की वजह से उन्हें छेड़खानी जैसी मुश्किल से भी दो चार होना पड़ता था। इस बात ने मुझे व्याकुल कर दिया। लेकिन मैं इन महिलां के लिए कुछ करने के लिए दृढ़ संकल्पित थी।'
आगे का रास्ता
हमारे समाज में मासिक धर्म को एक वर्जना समझा जाता है और इस पर बात करने से सभी कतराते हैं। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को रसोई से लेकर पूजा घर में जाने की अनुमति नहीं मिलती। इस पर बात न होने की वजह से महिलाएं साफ सफाई का भी ख्याल नहीं रख पातीं। सैनिटरी प्रॉडक्ट्स महंगे होने की वजह से उनकी पहुंच से बाहर होते हैं। शालिनी का मानना है कि इसके बारे में लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है।
शालिनी कहती हैं, 'अगर सरकार, राजनीतिक दल और कॉर्पोरेट्स मिलकर काम करें तो महिलाओं की स्थिति में सुधार आ सकता है। सिर्फ सामूहिक प्रयास से ही समाज को बदला जा सकता है।' वे आगे कहती हैं, 'राजनेताओं तो सैनिटरी नैपकिन को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत शामिल करने की मांग करनी चाहिए। जब तक कानून को सही से लागू नहीं किया जा सकता तब तक लोगों के लिए स्वच्छता बनाए रखना असंभव होगा।'
कल्कि फाउंडेशन शुरू करने के अलावा शालिनी ने साल 2012 में सिनेमंत्र प्रोडक्शंस लॉन्च किया और मराठी फिल्म और थिएटर उद्योग में सराहनीय योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिनेमंत्र द्वारा बनाई गई उल्लेखनीय फिल्मों में से एक लय भारी भी है जिसमें मुख्य किरदार अभिनेता रितेश देशमुख ने निभाया था। 2009 में अपनी राजनीतिक शुरुआत करने वाली शालिनी ठाकरे, मुंबई के ठाकरे परिवार की पहली बहू हैं।