खराब शुरुआत, खाली जेब और गिरवी रखे गहने, कुछ ऐसी है 2,500 करोड़ सालाना कमाई वाली सोलर इंडस्ट्रीज की कहानी
हर सफलता की कहानी जो सुर्खियों में आती है, उसके पीछे अनगिनत असफलताएं, चुनौतियां और निराशाएं होती हैं। सफलता के लिए अपने रास्ते में आने वाले इन कांटों को दूर करने के लिए धैर्य, दृढ़ता और साहस चाहिए।
भारत अपना 71 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। ये देश के लिए एक ऐसा दिन है जब स्वतंत्रता आंदोलन के लिए जान गंवाने वाले पुरुषों और महिलाओं के खून-पसीने और आंसुओं को याद किया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए एक 67 वर्षीय उद्यमी सत्यनारायण नंदलाल नुवाल की प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं, जो 1970 के दशक में अपनी व्यावसायिक यात्रा शुरू करने के दौरान काफी संघर्षों से गुजरे थे।
बहुत कम लोगों को पता था कि उनकी कंपनी, सोलर इंडस्ट्रीज (Solar Industries), एक्सप्लोसिव, डेटोनेटर के अग्रणी निर्माताओं में से एक बन जाएगी, और भारत के सशस्त्र बलों के लिए एक्सप्लोसिव यानी विस्फोटक बनाने के लिए सरकार से लाइसेंस हासिल करेगी।
वे उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं,
“मैं राजस्थान के एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखता हूँ। जब मैं दसवीं कक्षा में था, तो मैंने व्यवसाय में अपना भाग्य खोजने के लिए स्कूल छोड़ दिया। लेकिन, उस समय, मैं इतना मासूम था कि मुझे नहीं पता था कि व्यवसाय शुरू करना कितना दुष्कर है। मैंने कई चीजों में हाथ आजमाया, जिसमें एक पट्टे पर देने वाला व्यवसाय और एक परिवहन कंपनी शामिल है, लेकिन सब कुछ विफल रहा।”
सत्यनारायण तब एक रिश्तेदार के साथ काम करने के लिए नागपुर चले गए। उनके पास किराए पर घर लेने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे और उन्होंने रेलवे स्टेशन पर सोकर उस बड़े शहर में अपनी शुरुआती रातें बिताईं। लेकिन महीनों के संघर्ष के बाद काले बादल छटने शुरू हो गए जब सत्यनारायण को विस्फोटकों का व्यापार करने और उसे स्टोर करने के लिए एक गोदाम का लाइसेंस मिला, लाइसेंस धारक को उन्हें 1,000 रुपये मासिक शुल्क का भुगतान करना था।
उन्होंने काफी सालों तक राज्य के स्वामित्व वाली कोयला खदानों को विस्फोटक की आपूर्ति करने और इम्पीरियल केमिकल्स इंडस्ट्री के लिए एक खेप एजेंट के रूप में काम किया। फिर भी चीजें आसान नहीं थीं, और पैसे की कमी थी। 1990 के दशक के मध्य तक कॉम्पिटिशन तेज हो गई थी क्योंकि कई कंपनियां कंसाइनमेंट एजेंटों के रूप में काम करने लगीं थीं। मार्जिन कम होने पर उन्हें अपनी पत्नी के आभूषण गिरवी रखने पड़े, जिससे बिजनेस के लिए कुछ धन जुटाया जा सके और यह चलता रहे। ऐसे में सत्यनारायण ने फैसला किया कि अब इस व्यापार से आगे बढ़ने और एक्सप्लोसिव की मैन्युफैक्चरिंग में हाथ आजमाने का वक्त आ गया है।
1995 में उन्होंने नागपुर में सोलर इंडस्ट्रीज की स्थापना के लिए पहला प्रयास किया था। उन्होंने पहले इसे एक एक्सप्लोसिव ट्रेडिंग बिजनेस के रूप में शुरू किया और फिर एक साल बाद फिर उन्होंने एक छोटे प्लांट से इसी की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की। प्लांट स्थापित करने के लिए सत्यनारायण ने 1 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश किया। हमारे साथ एक बातचीत में, पहली पीढ़ी के उद्यमी सत्यनारायण ने अपनी यात्रा के उतार और चढ़ावों को लेकर विस्तृत बात की।
सोलर इंडस्ट्रीज क्या करती है?
सोलर इंडस्ट्रीज मुख्य रूप से एक विस्फोटक निर्माण कंपनी है। कंपनी औद्योगिक विस्फोटकों का विनिर्माण, आपूर्ति और निर्यात करती है। यह विभिन्न विस्फोटकों के उत्पादों का निर्माण करता है। इसमें भारी एक्सप्लोसिव्स, पैकेज्ड एक्सप्लोसिव्स, पेंटाथ्रीथ्रिटोल टेट्रानिट्रेट (PETN) जैसे स्लरी और इमल्शन आधारित एक्सप्लोसिव्स, और कास्ट बूस्टर, डेटोनेटर और विस्फोट फ्यूज करने वाले एसेससरीज जैसे उत्पादों का निर्माण शामिल है। इसके उत्पाद माइनिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में उपयोग किए जाते हैं।
कंपनी के पास देश के आठ राज्यों में 25 और विदेशों में 4 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं। कंपनी दुनिया भर के 50 से अधिक देशों में अपने उत्पादों की आपूर्ति करती है। इसके पास जाम्बिया, नाइजीरिया, तुर्की में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं और दक्षिण अफ्रीका, घाना, ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया में ये अपने यूनिट खोलने वाली है।
सोलर इंडस्ट्रीज रक्षा क्षेत्र को हाई एनर्जी एक्सप्लोसिव्स (HMX) और HMX मिश्रित उत्पाद, प्रोपेलेंट, वॉरहेड और गोला-बारूद जैसे प्रॉडक्ट ऑफर करती है। साथ ही रॉकेट और मिसाइलों में इनके पूर्ण एकीकरण की सुविधा भी मुहैया कराती है।
कंपनी ने 2018 में ब्रह्मोस मिसाइलों के महत्वपूर्ण सॉलिड प्रोपेलेंट बूस्टर के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए टीओटी प्राप्त किया था।
रक्षा क्षेत्र के अलावा सोलर इंडस्ट्रीज 'स्पेस एप्लिकेशन फॉर प्रोपल्शन सिस्टम' के नए और संभावनाओं से भरे सेगमेंट में प्रवेश कर रही है। प्रोप्लशन सिस्टम किसी राकेट या मिसाइल को स्पेस यानी अतंरिक्ष की तरफ उड़ान भरने के लिए जरूरी धक्का मुहैया कराता है। कंपनी ने स्पेस एप्पिकेशन के बिजनेस में प्रवेश किया है। रक्षा क्षेत्र के लिए गोला-बारूद बनाने के वर्तमान व्यवसाय के साथ इसका सही सामंजस्य है। हालांकि विस्फोटक अभी भी कंपनी का मुख्य व्यवसाय बना हुआ है।
सोलर इंडस्ट्रीज आज देश की इंडस्ट्रियल एक्सप्लोसिव्स मार्केट की अग्रणी कंपनी है, जिसके पास करीब 25 प्रतिशत मार्केट शेयर है। यह इस मार्केट की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी के मार्केट शेयर से 12 प्रतिशत अधिक है। हमारा करीब 65 प्रतिशत रेवेन्यू घरेलू बाजार से आता है, जबकि निर्यात और विदेशी बाजारों का हिस्सा 35 प्रतिशत है।
सोलर इंडस्ट्रीज ने 2016 से काम करना शुरू किया है और वित्त वर्ष 2019 में कंपनी ने 2,461.6 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया।
कंपनी की चैनल रणनीति क्या है?
हमने अपने दो दशकों के अनुभव का लाभ उठाते हुए एक विभिन्न उत्पादों वाला पोर्टफोलियो तैयार है, जिसमें बल्क और पैकेज्ड विस्फोटक जैसे औद्योगिक विस्फोटकों से लेकर सिस्टम और रक्षा विस्फोटक शामिल हैं।
कंपनी के पास सीमेंट, लाइम स्टोन गोल्ड और दूसरे बड़े एक्सट्रैक्शन के लिए एक मजबूत डीलर नेटवर्क है।
हाल ही में कंपनी ने स्पेस एप्लिकेशन के लिए प्रोप्लशन सिस्टम के बिजनेस में प्रवेश किया है, जो कि गोला-बारूद के वर्तमान व्यवसाय के साथ तालमेल वाला बिजनेस है। कंपनी ने स्काई रूट नाम के एक स्टार्टअप में इक्विटी निवेश करने का फैसला किया है। यह स्टार्टअप अगले दो साल में छोटे सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के बिजनेस में कदम रखने वाली है। कंपनी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से सप्लाई ऑर्डर भी मिल चुका है। इस कंपनी में निवेश हमारे स्पेस एप्लिकेशन के लिए प्रोप्लशन सिस्टम को मुहैया कराने के रणनीतिक निर्णय के मुताबिक है।
हमें विश्वास है कि हम अपने क्षमता के विस्तार और नए उत्पादों को पोर्टफोलियो में शामिल करने के जरिए एक्सप्लोसिव्स इंडस्ट्री में अपनी मौजूदगी बढ़ाने में सक्षम होंगे। हमारे उत्पादों और सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है और हमारे मौजूदा विदेशी संयंत्र उत्पादन को बढ़ाना जारी रखेंगे।
चुनौतियों का सामना
सत्यनारायण कहते हैं, हमारे लिए निर्णायक मोड़ तब था जब हमें एहसास हुआ कि कंपनी के बिजनेस में यूजर इंडस्ट्री का सबसे अधिक योगदान है और 2007 तक कंपनी का 60 पर्सेंट रेवेन्यू कोल माइनिंग से आता था। सोलर दूसरे वर्टिकल्स में आए इन्हीं बदलावों पर फोकस करती है।
पिछले 14 वर्षों में कंपनी के प्रयासों का नतीजा है कि आज हमारे पास एक अच्छा विविधिता भरा प्रॉडक्ट प्रोफाइल और भौगोलिक उपस्थिति है। सोलर इंडस्ट्रीज की रेवेन्यू में हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेगमेंट का हिस्सा बढ़कर 27 प्रतिशत पहुंच गया है, जबकि डिफेंस बिजनेस का योगदान करीब 7 पर्सेंट है।
मार्केट साइज और नए उद्यमियों को सलाह
सत्यनारायण कहते हैं, ग्लोबल लेवल पर माइनिंग एक्सप्लोसिव का मार्केट 2018 में लगभग 13,900 मिलियन डॉलर का था और 2019 के अंत तक 14,250 मिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान था। इंडस्ट्री रिपोर्ट्स के मुताबिक 2025 तक मार्केट का साइज बढ़कर 16,800 मिलियन डॉलर हो जाएगा।
एक्सप्लोसिव्स इंडस्ट्री का भारत में भविष्य संभावनाओं से भरा दिखता है। हालांकि इंडस्ट्री में एंट्री के लिए सरकार की नीतियां, पर्यावरण मंजूरी, लाइसेंस की आवश्यकता, भूमि अधिग्रहण जैसे कुछ गंभीर अवरोधक हैं। इसके अलावा लंबी अवधि में पूंजी की बढ़ती लागत के साथ एक एक्सप्लोसिव्स प्लांट को लगाने की रिप्लेसमेंट लागत भी बढ़ रही है। इसलिए किसी को एक्सप्लोसिव्स के कारोबार में कदम रखने से पहले इन बातों पर विचार करना चाहिए।
व्यावसायिक यात्रा की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
पिछले कुछ सालों में सोलर ने रिसर्च एंड डिवेलपमेंट के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। इसमें नए उत्पादों के विकास, उत्पादों की दक्षता में सुधार और उत्पाद की गुणवत्ता और प्रदर्शन में सुधार जैसी उपलब्धियां हैं।
सशस्त्र बलों के लिए मल्टी-मोड ग्रेनेड का विकास हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि रही है। उत्पाद में कड़े गुणवत्ता के मापदंड हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने नब्बे के दशक के अंत में इस परियोजना को अपनाया था और 2011 से इसके विकास और यूजर ट्रायल पर काम कर रहा था।
2013 तक कंपनी ने तीन-लेयर शॉक ट्यूब के निर्माण की शुरुआत की और इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर का व्यावसायिक उत्पादन भी शुरू किया।
2018-19 में सोलर इंडस्ट्रीज 450,000 मिलियन टन विस्फोटकों के उत्पादन को पार करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई।
भविष्य की संभावनाएं
हम माइनिंग एक्सप्लोसिव और रक्षा उत्पादों के परिदृश्य पर बहुत सकारात्मक हैं। मिनरल खनन और रक्षा उत्पादों के मामले में दुनिया भर में इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा अवसर दिखता है। हमने अगले कुछ सालों में पांच अन्य देशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए खुद के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया है और हमें विश्वास है कि हम परिचालन और वित्तीय दोनों स्तरों पर अपने फोकस पर विचार करते हुए लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम होंगे।
हमारे माइनिंग सेगमेंट में हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में कोल इंडिया के उत्पादन में वृद्धि होगी क्योंकि वह अनुबंधों को अंतिम रूप दे रही है और श्रम समस्या का समाधान भी किया जाएगा। भारत की कोयला आवश्यकता 700 मिलियन टन के वर्तमान स्तर से 2023 तक 1,123 मिलियन टन तक जाने का अनुमान है।
हमारा हाउसिंग और इन्फ्रा कस्टमर सेगमेंट एक रचनात्मक दृष्टिकोण को भी दर्शाता है। ब्याज दरों में और कमी की उम्मीद है। ऐसे में हाउसिंग सेक्टर के आने वाले वर्षों में तेजी आने की उम्मीद है। डिफेंस सेक्टर में हम अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को बढ़ाने में सफल रहे हैं। यह हमें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों से अधिक ऑर्डर प्राप्त करने में मदद कर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देश हमारी आपूर्ति के स्रोत के लिए हमारी गुणवत्ता और क्षमता का आकलन कर रहे हैं जो वैश्विक निर्माताओं के बराबर है।
भारत सरकार ने रक्षा उत्पादन में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए ऑफसेट नीति की घोषणा की है। यह निर्णय लिया गया है कि दीर्घावधि में सभी गोला-बारूद स्वदेशी रूप से खरीदे जाने चाहिए और आने वाले वर्षों में रक्षा का निर्यात दोगुना होना चाहिए।
निर्यात कारोबार में ऑस्ट्रेलिया और घाना में हमारे नए विदेशी परिचालन बिंदु वित्त वर्ष 2020 में चालू हो जाएंगे। बढ़े हुए निर्यात और विदेशी विस्तार के साथ हम आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों से लगातार वृद्धि की आशा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि घरेलू मार्केट में वृद्धि होगी क्योंकि भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान अपनी घरेलू खरीद प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर रहे हैं। साथ ही हमारे अधिकांश उत्पादों का परीक्षण और सत्यापन पूरा हो चुका है। जाम्बिया और नाइजीरिया में हमारे विदेशी परिचालन में आने वाले समय में और अधिक स्थिरता आएगी।