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उपग्रह संचार प्रणाली से जोड़े जाएंगे दूर दराज में तैनात सैनिक, अब आसानी से कर सकेंगे अपने परिजनों से बातचीत

उपग्रह संचार प्रणाली से जोड़े जाएंगे दूर दराज में तैनात सैनिक, अब आसानी से कर सकेंगे अपने परिजनों से बातचीत

Saturday December 21, 2019 , 2 min Read

sainik

सांकेतिक चित्र

देश भर में 1400 से अधिक दूरदराज के उन क्षेत्रों को सरकार उपग्रह संचार प्रणाली अथवा वी सैट से जोड़ेगी, जहां सैनिक तैनात हैं । इस व्यवस्था से दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को फोन पर अपने परिजनों के साथ बातचीत करने में मदद मिलेगी । सरकार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी ।

ऐसे क्षेत्रों में तैनात सैनिक और अर्द्धसैनिक बल के जवानों को वीसैट सुविधा के तहत रोज एक जीबी डाटा उपलब्ध कराया जाएगा।

दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश ने संवाददाताओं को बताया कि 1409 दूरदराज के क्षेत्रों को वी सैट के माध्यम से जोड़ने के लिए डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) ने मंजूरी दे दी है । रोज एक जीबी डाटा उपलब्ध कराया जाएगा, जिसका इस्तेमाल वे अपने परिवार के लोगों के साथ बातचीत करने के लिए कर सकते हैं ।

उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में सैनिकों को अपने परिवार के साथ बातचीत करने के लिए सामुदायिक अथवा ग्रामीण टेलीफोन पर निर्भर रहना पड़ता था।

पर्वतीय इलाकों में तैनाती पर जुटे जवानों के लिए काफी राहत भरा फैसला है। सरकार के इस फैसले के बाद अब सैनिक और अर्ध सैनिक बलों के जवान कठिन जगहों पर तैनाती के साथ ही अपने परिचितों के साथ जुड़े रह सकेंगे।


परिवार से नहीं हो पता है संपर्क

आमतौर पर कई बार ऐसा देखा गया है कि दूर-दराज के इलाकों में तैनाती के दौरान परिवार से लगातार संपर्क न हो पाने के चलते सैनिक अवसाद का भी शिकार हो जाते हैं।


लंबे समय तक परिवार से दूर रहने वाले सैनिकों को सरकार के इस कदम से ख़ासी सुविधा मिलेगी। गौरतलब है कि पर्वतीय इलाकों में तैनाती के दौरान अधिक ऊंचाई पर होने के चलते सिपाहियों का संपर्क आम लोगों से कट जाता है, जिसके चलते सिपाहियों को मूलभूत जरूरतों के समान के लिए भी कई बार परेशान होना पड़ता है।


इन इलाकों में कश्मीर के पर्वतीय इलाकों के साथ ही साथ ही उत्तर-पूर्व के पहाड़ी इलाके शामिल हैं, जहां मोबाइल कनेक्टिविटी या तो है ही नहीं, अगर है भी तो न के बराबर है, ऐसे में सैनिकों को अपने संबंधियों से संपर्क करने में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। सरकार के इस फैसले के बाद अब इन दूर दराज के स्थानों में तैनात सैनिकों को ख़ासी राहत मिलेगी।


(Edited by प्रियांशु द्विवेदी )