[स्टार्टअप भारत] रचनात्मक खेलों के जरिए बच्चों में डिजाइन थिंकिंग विकसित करने पर काम कर रहा है अहमदाबाद का यह स्टार्टअप
Roundumbrella Co एक एड-डिजाइन स्टार्टअप है, जो खिलौनों और शारिरिक गेम्स के जरिए 12वीं कक्षा तक के बच्चों में डिजाइन थिकिंग विकसित करने के मिशन पर है।
पैरेंटिंग गुरु लंबे समय से इसकी वकालत करते रहे हैं कि बच्चों को इस तरह से पाला जाए, जिससे उनके लीक से हटकर सोचने की क्षमता विकसित हो। आंत्रप्रेन्योर शिवानी चक्रछत्री की डिजाइन थिंकिंग स्टार्टअप राउंडम्ब्रेला कंपनी, अब ऐसे ही गेम तैयार कर रही है जो बच्चों को यह सोचने में मदद करें कि सोचने की कोई सीमा नहीं है।
इस स्टार्टअप को शिवानी और मोहित सैनी ने मिलकर 2018 में शुरू किया था। राउंडमब्रेला कंपनी, अहमदाबाद स्थित एक एड-डिजाइन स्टार्टअप है जो खिलौनों और शारीरिक खेलों के जरिए 12वीं कक्षा तक के बच्चों में डिजाइन थिकिंग विकसित करने के मिशन पर है।
इसने 'बुल्बी फॉर किड्स' नाम से एक गेम बनाया है। यह एक 'धूप और छाया' खेल है, जो नए-नए तत्वों का मिश्रण बनाने के मूल सिद्धांतों के आधार पर रचनात्मक आत्मविश्वास को बढ़ाता है। संस्थापक बताते हैं कि यह इनडोर और आउटडोर दोनों तरह का खेल है, जहां बच्चे दो अलग-अलग वस्तुओं, अवधारणाओं और परिदृश्यों को जोड़ना सीख सकते हैं, जिससे कुछ बिल्कुल नया पैदा हो सके।
शिवानी कहती हैं, ''हम अपने खेल से 'कैसे' का जवाब देते हैं।" खेल के पीछे की अवधारणा को समझाते हुए वह कहती हैं कि शिक्षा के तीन स्तंभ हैं- बच्चे, शिक्षक, और सीखना, और पिछले दशक में हुए अधिकतर इनोवेशन और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के केंद्र में 'सीखने' वाले हिस्से में सुधार करना रहा है। इसमें 'स्टैंडर्ड वीडियो लेक्चरों' के जरिए शिक्षकों की भूमिका को मानकीकृत करना, 'बड़े पैमाने पर ऑनलाइन कंटेंट', और इसे सुलभ बनाना आदि शामिल है।
शिवानी कहती हैं, "शिक्षा में अगली चुनौती, जो एक शिक्षक की भूमिका को मानकीकृत करने से हल नहीं होती है, वह है बच्चों को तेजी से बदलती दुनिया और उन्हें अत्यधिक अनिश्चित भविष्य से निपटने के लिए तैयार करना।" वह यह भी दावा करती है कि राउंडम्ब्रेला के विकसित खेल 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों में सहानुभूति, लचीलापन और रचनात्मकता लाते हैं, जो भविष्य में रचनात्मक आत्मविश्वास के स्तंभ बन जाते हैं।
शिवानी एक ऐसी शिक्षा प्रणाली के निर्माण पर जोर देती है जो बच्चों में समस्या को सुलझाने की मानसिकता पैदा करें, ताकि उन्हें आसानी से अनिश्चितता की स्थिति से बाहर निकलने में मदद मिल सके। उनके अनुसार, एक डिजाइन थिंकिंग आधारित अध्यापन बच्चों में ऐसी मानसिकता का निर्माण करता है।
यह कैसे शुरू हुआ?
शिवानी एक इंजीनियरिंग ग्रैजुएट हैं और राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी), अहमदाबाद से निकलीं एक प्रोडक्ट डिजाइनर हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट जगत में अपना करियर बनाया और अपना खुद का बिजनेस शुरू करने से पहले वह डेलॉइट डिजिटल में एक डिजाइनर के तौर पर काम करती थीं। शिवानी कहती हैं, ''मुझे साधारण और सरल भौतिक उत्पादों को बनाने में हमेशा खुशी मिलती थी।
वह बताती हैं कि एक एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत वह जर्मनी गई थीं, जहां स्थानीय भाषा को समझने में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। उन्होंने खुद को समझाने के लिए पिक्चर कार्ड की मदद ली। इस ट्रिप से शिवानी के मन में विचार आया। वह एक इंजीनियर के रूप में कुछ नया करना चाहती थी, लेकिन उसके साथ ही वह डिजाइन में अपनी रुचि के साथ मानव केंद्रित समस्याओं को भी हल करना चाहती थी।
शिवानी के अंदर बच्चों के लिए कुछ ऐसी चीज बनाने का जुनून था, जिसमें किसी तरह की सीमा न हो और न ही कोई भाषा। इसी जुनून के साथ 2018 में भारत वापस आने के बाद उन्होंने डेलॉइट डिजिटल की अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने विभिन्न तरह के छात्रों से बातचीत करने के लिए स्कूलों का दौरा करना शुरू किया और उनके लिए गैर-डिजिटल प्रोडक्ट बनाए। एक स्वतंत्र डिजाइनर के तौर पर काम करते हुए, वह बच्चों के लिए गेम बनाने की कोशिश कर रही थी। शिवानी कहती हैं, "मेरे अंदर के प्रोडक्ट डिजाइनर को सरल और स्पर्श कर सकने योग्य उत्पादों के साथ मौलिक अनुभव डिजाइन करने में अपना उद्देश्य मिल गया।"
कुछ ही महीनों में, शिवानी ने महसूस किया कि सीखने के शुरुआती वर्षों के दौरान रचनात्मक आत्मविश्वास को बढ़ाने में खिलौने कैसे मदद करते हैं। इसने उन्हें शिक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया, और राउंडम्ब्रेला का जन्म हुआ। उन्होंने मोहित सैनी को चुना, जिनसे वह एनआईटी, सूरत में ग्रैजुएशन की पढ़ाई के दौरान मिली थीं। को-फाउंडर मोहित सैनी, आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र हैं।
चौंतीस वर्षीय मोहित की मां केंद्रीय विद्यालय में शिक्षिका हैं। वह कहते हैं, "ऐसा लगता है कि मुझे उनका धैर्य और शिक्षण के लिए प्यार विरासत में मिला है।" उनके खुद के शब्दों में, वह सीखने के कठिन अवधारणाओं को सरल अनुभवों में बदलने और कंपनी द्वारा बनाए गए खेलों के आसपास सामाजिक व्यवस्था बनाने का आनंद लेते हैं।
राउंडम्ब्रेला के अहम गेम 'बुल्बी फॉर किड्स' में तीन साल का रिसर्च एंड डेवलपमेंट लगा। सात लोगों की टीम के साथ, स्टार्टअप अब दुनिया भर में अपने 100 बॉक्स के पहले बैच को भेजने के लिए तैयार है।
शिवानी कहती हैं, "हम डिजाइन थिंकिंग के विभिन्न स्तंभों के आधार पर खिलौनों की एक पूरी सीरीज बना रहे हैं और हमें उम्मीद है कि इससे बच्चों को उनके रचनात्मक आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद मिलेगी।"
बाजार और प्रतिस्पर्धा
यूनिसेफ के मुताबिक देश में हर दिन 67,385 बच्चे पैदा होते हैं, यानी हर साल लगभग 2.5 करोड़ बच्चे। इसके साथ ही राउंडअंब्रेला की नजर एक बड़े बाजार पर है।
प्रतिस्पर्धा के बारे में बोलते हुए, शिवानी कहती हैं कि डिजाइन थिंकिंग के आसपास की अधिकांश गतिविधियां या तो फ्लैशकार्ड पर आधारित होती हैं, ऑनलाइन होती हैं, या फिर वर्कशॉप जैसी एक बार की गतिविधियां होती हैं। वह कहती हैं, "हम साधारण शारीरिक खेल बनाते हैं जो घर पर खेले जा सकते हैं, मजेदार हैं, और इसके साथ रचनात्मकता बढ़ाने में भी मददगार हैं।" वह आगे कहती हैं।
फंडिंग और आमदनी
कंपनी ने 5 लाख रुपये की सीड कैपिटल के साथ शुरुआत की थी। वह कहती हैं, "हमने एक क्राउडफंडिंग अभियान पूरा कर लिया है और यूएसए, यूके, कनाडा और भारत के 51 समर्थकों से 3000 डॉलर जुटाए हैं।"
कंपनी फिलहाल प्री-रेवेन्यू स्टेज में है। हालांकि, इसकी 100 बॉक्स की बिक्री पाइपलाइन है। यह डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) और बिजनेस टू बिजनेस मॉडल (B2B) दोनों चैनलों पर अपना बिजनेस मॉडल बना रही है, जहां यह शैक्षणिक संस्थानों के साथ कोलैबोरेशन करेगी। इसके 'बुल्बी फॉर किड्स' गेम की कीमत भारत के बाहर 55 डॉलर और भारत में 2000 रुपये से थोड़ी कम है।
भविष्य की योजनाएं
कंपनी अब फैसिलिटेटर्स और स्कूलों के लिए अपने शुरुआती डिजाइन थिंकिंग पैकेज की पेशकश के रूप में चार गेम की एक श्रृंखला को पूरा करना चाह रही है।
शिवानी अपनी बात खत्म करते हुए कहती हैं, “हमारी योजना अगले 18 महीनों में वर्कशॉप और खिलौनों के रूप में एक लाख से अधिक बच्चों तक पहुंचने की है। यहां हमारा पूरा मकसद खिलौनों को प्राकृतिक तत्वों के आधार पर आधारित करना है ताकि हम विविधता, समानता और समावेश को खूबसूरती से संभाल सकें।”