रिकॉर्ड संख्या में सौदे, एग्जिट पर बम्पर मुनाफा: क्यों भारत में VC के लिए धमाकेदार साल रहा 2019
बिजनेसमैन और वेंचर कैपिटलिस्ट फ्रेड विल्सन कहते हैं,
"वेंचर कैपिटल (VC) किसी कंपनी के स्टार्टअप दौर से उसके पब्लिक लिमिटेड कंपनी में बदलने के बीच की वैल्यू को हासिल करने के बारे में है।"
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत में वेंचर कैपिटल की स्थिति को इससे बेहतर तरीके से नहीं बयां किया जा सकता है। भारत में पिछले एक दशक से वीसी निवेश जारी है।
भारत की वीसी इंडस्ट्री ने पिछले 10 सालों में तीन अलग-अलग चरणों में काम किया है
2011 से 2015 के बीच इसमें अभूतपूर्व स्तर की गतिविधियां देखी गई जो एक तरह से 'परम आनंद' वाली स्थिति थी। मुख्यतः ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि VC स्टार्टअप के छोटे आधार पर काम करते हैं और भारतीय बाजार में नई एंट्री करने वाली कंपनियों की भीड़ लगी थी।
इसके बाद 24 से 36 महीनों का समय संयम बरतने और पूर्व पुनर्गठन का रहा, जो 2015 के अंत से शुरू होकर 2018 की शुरुआत तक था। इस दौरान VCs एग्जिट पर अनिश्चितताओं के चलते काफी सतर्क हो गए थे। उनका झुकाव कम और अधिक गुणवत्ता वाले निवेश की तरफ अधिक हो गया था।
फिर इसके बाद मई 2018 में वह निर्णायक क्षण आया जब वॉलमार्ट ने 16 अरब डॉलर की डील में फ्लिपकार्ट को खरीदा। कइयों का मानना है कि इस डील ने भारत की पूरी स्टार्टअप इकोसिस्टम को मान्यता दिलाया।
इसने फ्लिपकार्ट के शुरुआती निवेशकों को भी उनके निवेश पर भारी फायदा दिलाया। इसमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों निवेशक शामिल थे। यह कुछ ऐसा था जिसे लेकर भारत में काम करने वाले VC के बीच अब तक विवाद था।
उस समय एक प्रमुख उद्यमी और निवेशक ने योरस्टोरी को बताया था,
"यह कई नजरिए से अच्छा है। यह डील बताता है कि भारतीय स्टार्टअप भी शून्य से खड़ा हो सकते हैं, अरबों डॉलर का निवेश ले सकते हैं और निवेशकों को एग्जिट पर भारी फायदा भी दे सकते हैं। इसने कई सारे सारी आलोचनाओं का एक साथ जवाब दे दिया है।"
फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट डील ने भारत में VC निवेश को भी एक नया जीवन मुहैया कराया और संस्थागत कुंजी ने दोबारा सभी चरणों में मौजूद स्टार्टअप में निवेश करना शुरू कर दिया। (इसमें सीड लेवल से लेकर पुराने और एग्जिट के चरण में मौजूद स्टार्टअप शामिल हैं)
2019 में रिकॉर्ड संख्या में डील
इंडियन प्राइवेट इक्विटी एंड वेंचर कैपिटल एसोसिएशन (IVCA) और कंसल्टेशन फर्म बैन एंड कंपनी की संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में वीसी इंडस्ट्री ने स्टार्टअप्स में 10 अरब डॉलर का निवेश किया, जो 2018 से 55 प्रतिशत अधिक था। डील की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और डील की औसत साइज 20 प्रतिशत तक बढ़ गया।
डील की संख्या मुख्य रूप से अधिक सीड और शुरुआती चरण के दौर के कारण बढ़ी। डील कि संख्या में करीब 70 प्रतिशत बढ़ोतरी इन्हीं दौर के चलते हुई थी। दूसरे पहलुओं में चेक काटते समय VC के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और फाउंडिंग टीम की गुणवत्ता में सुधार शामिल थे।
असल में 2018 के अंत के बाद से, भारत में VC उद्योग ने नए सिरे से विकास के चरण देखे हैं, जिसमें फ्लिपकार्ट, मेकमायट्रिप और ओयो के निवेशकों को मार्की एग्जिट्स (कंपनी में किए निवेश पर उससे निकलते समय भारी मुनाफा) मिलने के साथ उछाल आया है। साथ ही SaaS, फिनटेक और ईकॉमर्स जैसे क्षेत्रों में तेज ग्रोथ से इसे मदद मिली है। सरकार की ओर विभिन्न सेक्टरों को ध्यान में रखकर उठाए गए कई कदमों और नियामकीय ढांचे में भी ढील देने से भी इसे मदद मिली है।
इसके अलावा विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग 2016 में 130 से बढ़कर 2019 में 63 हो गई, इससे भी नियामकीय इकोसिस्टम में निवेशकों का विश्वास बढ़ा।
IVCA के अध्यक्ष रजत टंडन कहते हैं,
"यह सब मौजूदा सरकार के समर्थन और पिछले कुछ वर्षों में पहली पीढ़ी के उद्यमियों की ओर से हासिल किए गए शानदार एग्जिट के बिना नहीं हो सकता था।"
भारत में आज 20 यूनिकॉर्न है और यह यूनिकॉर्न की संख्या मामले में सिर्फ चीन (206) और अमेरिका (203) से पीछे है। IVCA ने बताया,
"ई-कॉमर्स, SaaS और फिनटेक सेक्टर में तेजी से ग्रोथ करने वाली कंपनियों का एक पूरा समुदाय ही तैयार हो गया है।"
उसने बताया,
"हमारे पास ऐसी कंपनियों की भारी लिस्ट है, जो जल्द ही यूनिकॉर्न में बदल जाएंगी। कुछ यूनिकॉर्न 2025 तक डीकॉर्न हो जाएंगे।”
भारत में फंडिंग हासिल करने वाले स्टार्टअप की कुल संख्या 6,400 साल होने का अनुमान है और इस संख्या में 19 प्रतिशत की दर से सालाना बढ़ोतरी हो रही है। इनमें से कम से कम एक चौथाई स्टार्टअप अगले दौर की फंडिंग की तैयारी कर रहे हैं।
नए फंड का आगमन: बड़े एग्जिट
IVCA-बैन की रिपोर्ट बताती है कि 2019 में 43 नए फंड्स ने भारतीय निवेश के दौर में भाग लिया। इन दौर में करीब 50 प्रतिशत तक निवेश भारतीय स्टार्टअप्स में पहली बार निवेश कर रहे इन फंड्स ने किया।
इन फंड्स में सबसे प्रमुख नाम टैंगलीन (टाइगर ग्लोब के पूर्व एग्जीक्यूटिव द्वारा शुरू की गई), ए91 पार्टनर्स (सिकोइया के पूर्व पार्टनर्स द्वारा शुरू की गई), अराली वेंचर्स (एक सीड फंड, जिसका फोकस विशुद्ध टेक्नोलॉजी वाली कंपनियों पर है), सैमसंग वेंचर्स (सैमसंग कॉर्पोरेट वेंचर कैपिटल द्वारा शुरू की गई) और ITI (इंडिया इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट द्वारा शुरू किया एक शुरुआती दौर का फंड) शामिल है।
सिर्फ यही नहीं, बल्कि इसके साथ एग्जिट भी बढ़ गए। 2019 में, भारत में 39 मिलियन डॉलर के औसत मूल्य पर 132 वीसी एग्जिट हुए थे।
कई एग्जिट 100 मिलियन डॉलर से भी अधिक के थे, जिनके शीर्ष 10 में ओयो, यात्रा, पॉलिसीबाजार, देलहीवेरी, शॉपक्लूज, क्विकसिल्वर, इंडियामार्ट, अर्बनक्लैप, ड्रीम11 और लेंसकार्ट के डील शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है,
"2019 में VC एग्जिट की गति 2018 के अनुरूप थी, जहां अधिकतर एग्जिट सेकेंडरी/ स्ट्रैटजिक सेल्स के जरिए हुए।"
इस दौरान बायबैक, एग्जिट के दूसरे सबसे बड़े तरीके के रूप में उभरा।
इसका नेतृत्व OYO के संस्थापक रितेश अग्रवाल ने किया, जिन्हीने सिकोइया कैपिटल और लाइट्सपेड वेंचर पार्टनर्स से 1.5 बिलियन डॉलर का शेयर बायबैक किया। इसके बाद यात्रा ने 338 मिलियन डॉलर के एंटरप्राइज़ वैल्यूएशन पर एबिक्स को रणनीतिक बिक्री की। वहीं टाइगर ग्लोबल ने 150 मिलियन डॉलर में पॉलिसीबाजार से आंशिक निकासी की।
कंज्यूमर टेक्नोलॉजी ने की अगुवाई
कंज्यूमर टेक्नॉलजी लंबे समय से भारत में निवेशकों की पसंदीदा रही है। 2019 में हुए कुल निवेश का करीब 35 प्रतिशत इसी सेक्टर में हुआ, जिसमें से कई डील की वैल्यू 150 मिलियन डॉलर से भी अधिक की थी।
कंज्यूमर टेक्नोलॉजी के भीतर, वर्टिकल ई-कॉमर्स सबसे बड़े सब-सेगमेंट के तौर पर उभरा है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन और मोबिलिटी, हेल्थटेक, फूडटेक और एजुकेशन जैसे दूसरे सेगमेंट में भी तेजी से निवेश बढ़ा है।
कंज्यूमर और मोबिलिटी से जुड़े सौदों में 418 प्रतिशत की भारी भरकम बढ़ोतरी हुई है, जिससे यह कंज्यूमर टेक्नोलॉजी में सबसे तेजी से बढ़ने वाला सब-सेगमेंट बन गया।
IVCA-बैन के मुताबिक,
"निवेशकों की गतिविधि मुख्य तौर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों और दोपहिया मॉडलों में देखी गई। इसमें रेंटल सर्विस और राइड-हेलिंग सर्विसेज दोनों शामिल थे। वही इकॉमर्स अपने हॉरिजोंटल मॉडल से वर्टिकल कॉमर्स की तरफ शिफ्ट हुआ जिसमें सोशल और असिस्टेंट कॉमर्स जैसे नए मॉडल आए।"
2019 में कंज्यूमर टेक्नोलॉजी में हुए शीर्ष सौदों की बात करें तो इसमें सॉफ्टबैंक की अगुआई में ओला इलेक्ट्रिक में हुआ निवेश ($ 250 मिलियन); सिकोइया कैपिटल, टीमसेक और दूसरे फंड्स का जोलिंगो में निवेश ($ 226 मिलियन); सॉफ्टबैंक, टाइगर ग्लोबल, और सिकोइया कैपिटल का ग्रोफर्स ($ 220 मिलियन) में; टीमसेक, बेसेमर, ओरीओस, और दूसरे फंड का फार्माईजी ($ 220 मिलियन) में; सॉफ्टबैंक का फर्स्टक्राई ($ 150 मिलियन) में; एक्सल पार्टनर्स और बी कैपिटल का बाउंस ($ 150 मिलियन) में; अलीबाबा और मिराए एसेट का बिगबास्केट ($ 150 मिलियन); गोजेक और गोल्डमैन सैक्स का फासोस ($ 130 मिलियन) में निवेश सहित कई सौदे शामिल हैं।
दिलचस्प यह है कि ये सभी सौदे बाद के चरण (सीरीज D+) में हुए हैं, जो निश्चित ही इंडस्ट्री में एक नए प्रवृत्ति की स्थापना करते हैं।
IVCA-बैन आगे बताते हैं कि सीरीज D+ में हुए निवेश के औसत साइज में पिछले साल 130 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई, जो सभी चरणों में अधिकतम थी।
फिनटेक का उदय: पेमेंट्स की वापसी
2018 में फिनटेक कंपनियों के लिए लेंडिंग सबसे हॉट सेगमेंट के रूप में उभरा था लेकिन 2019 में पेमेंट ने एक बार फिर से वापसी की और अपना दबदबा स्थापित किया।
इसकी अगुवाई मुख्य रूप से पेटीएम के 1 अरब डॉलर के विशाल फंडिंग राउंड से हुई। इस राउंड की अगुवाई अलिबाबा की एंट फाइनेंशियल सर्विसेज, सॉफ्टबैंक विजन फंड, टी रोवे प्राइस और डिस्कवरी कैपिटल ने की।
इससे इस फिनटेक यूनिकॉर्न की वैल्यूएशन न सिर्फ 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर16 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई, बल्कि यह उस साल की भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की साल की सबसे बड़ी VC डील के रूप में भी दर्ज हुई।
फिनटेक के अन्य प्रमुख सौदों में टेनसेंट होल्डिंग्स की अगुआई में पॉलिसी बाजार का $ 150 मिलियन का दौर; सिकोया कैपिटल इंडिया, रिबबिट कैपिटल, टाइगर ग्लोबल, ड्रैगोनियर इन्वेस्टमेंट ग्रुप और जनरल कैटालिस्ट की अगुआई में CRED का $ 120 मिलियन का दौर; और रिबबिट कैपिटल और सिकोइया कैपिटल इंडिया की अगुआई में रेजरपे का $ 75 मिलियन का दौर शामिल था।
IVCA का मानना है कि फिनटेक की निरंतर वृद्धि को इस क्षेत्र को ध्यान में रखकर उठाए गए बहुत से विशिष्ट कदमों से मजबूती मिली है।
इनमें UPI के चलन को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से जोर दिया जाना, थर्ड पार्टी ऐप को बुनियादी ढांचे के इस्तेमाल की इजाजत देना, डिजीधन मिशन के जरिए उपभोक्ताओं और व्यापारियों को वास्तविक समय में डिजिटल लेनदेन करने की सुविधा मुहैया कराना, P2P प्लेटफॉर्मों को NBFC लाइसेंस देने की इजाजत देने जैसे कदम शामिल हैं, जिससे लेंडिंग मार्केट में विस्फोटक तरीके से बढ़ोतरी हुई।
B2B ईकॉमर्स का ग्रोथ
2019 की दूसरी सबसे बड़ी VC डील बी2बी ईकॉमर्स में हुई, जिसके तहत उड़ान ने D सीरीज की फंडिंग में 585 मिलियन डॉलर जुटाए। इस राउंड की अगुआई टेनसेंट, सिटी, लाइटस्पीड वेंचर पार्टनर्स, अल्टीमीटर कैपिटल, GGV कैपिटल, हिलहाउस कैपिटल और फुटपाथ वेंचर्स ने की थी
कुल मिलाकर, बी2बी ईकॉमर्स में पिछले साल 82 सौदे हुए, जबकि 2108 में यह संख्या 38 थी। IVCA-बैन के मुताबिक इस सेक्टर में निवेश 184 प्रतिशत बढ़ा है।
इस क्षेत्र में निवेशकों की रुचि बढ़ाने में कई पहलुओं ने योगदान दिया।
पहला, जीएसटी ने राज्यों के बीच माल परिवहन को अधिक सहज और सस्ता बना दिया है। दूसरा, छोटे व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग अभी तक डिजिटल टेक्नोलॉजी से दूर था, लेकिन इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार और नोटबंदी के बाद B2B पेमेंट में हुई वृद्धि के चलते अब वे तेजी से डिजिटल माध्यमों को अपना रहे हैं।
बी2बी भुगतान को सक्षम और सरल बनाने वाले स्टार्टअप्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी के साथ बी2बी एकाउंटिंग फीचर वाले स्टार्टअप्स में बढ़ोतरी इस ट्रेंड को आगे बढ़ा रहा है। इस सेगमेंट के प्रमुख स्टार्टअप्स में खाताबुक, ओकेक्रेडिट, इंस्टामोजो की ओर से हाल ही में लॉन्च किया गया क्रेडिट बुक शामिल है।
भविष्य की ओर टकटकी
भारत मे VC निवेश में पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इसके बावजूद देश में मौजूद करीब 80,000 स्टार्टअप्स में से सिर्फ आठ प्रतिशत को ही फंडिंग मिल पाई है। 80,000 के करीब देसी स्टार्टअप वित्त पोषित कर रहे हैं। बाकी अभी भी पूंजी के लिए छटपटा रहे हैं, जिससे वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें, बड़े पैमाने पर विस्तार कर सकें या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जा सकें।
यह आने वाले समय में लंबी अवधि के निवेश के लिए पर्याप्त जगह छोड़ता है।
इसके अलावा लिमिटेड पार्टनर्स (LPs) साउथईस्ट एशिया और चीन के बाद भारत को निवेश के लिहाज से दुनिया के तीसरा सबसे आकर्षक डेस्टिनेशन के रूप में देखते हैं। ऐसा देश की धीमी होती अर्थव्यवस्था और कोरोनोवायरस के प्रकोप के कारण हालिया मचे उथल-पुथल के बावजूद है।
बैन एंड कंपनी के पार्टनर अर्पण शेठ बताते हैं,
“वैश्विक आर्थिक माहौल के बावजूद, भारत के स्टार्टअप और VC इकोसिस्टम का विकास जारी है क्योंकि निवेशक देश की विकास क्षमता के आधार पर दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखते हैं। वे वर्तमान मंदी को संरचनात्मक से अधिक चक्रीय के रूप में देखते हैं।"
उन्होंने बताया,
"हम 2020 में कैश रिजर्व के रिकॉर्ड हाई स्तर, सावधानी के साथ संतुलित और दीर्घकालिक क्षमता में निहित आशावाद के साथ जा रहे हैं।"