सागर तट पर शून्य से शुरुआत करने वाले रेत के जादूगर सुदर्शन पटनायक
रेत पर निशान छोड़ना आसान नहीं होता है लेकिन ओडिशा के विश्व विख्यात सैंड ऑर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक सागर के किनारे अपनी कला का ऐसा जादू बिखरे चुके हैं कि उन्हे विश्व के कोने-कोने से लगातार सम्मानित किया जाता रहा है। इस माह उन्हे इटालियन गोल्डन सेंड अवॉर्ड-2019 से सम्मानित किया जा रहा है।
विश्व विख्यात सैंड ऑर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक कहते हैं कि सैंड आर्टिस्ट बनने के लिए बहुत पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं। बस, कला से जुड़ी कुछ तकनीकी चीज़ों की जानकारी होनी चाहिए। कला की कोई भी विधा हो, उसके ज़रिए विश्व-समाज को संदेश दिया जा सकता है। वह सबसे ज्यादा रेत कलाकृतियाँ जलवायु परिवर्तन पर बनाते हैं। यह विषय उनके दिल के करीब है। पुरी के तट पर उन्होंने जब गणेश चतुर्थी पर उन्होंने रेत से गणेश प्रतिमा बनाई तो उसके साथ प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की अपील भी की।
ओडिशा निवासी रेत के जादूगर सुदर्शन पटनायक को इटालियन गोल्डन सेंड अवार्ड-2019 के लिए चयनित किया गया है। उन्हें यह सम्मान इसी माह इटली में इंटरनेशनल स्कोराना सेंड नेटिविटी फेस्ट में दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पटनायक देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से 2014 में, पटनायक ने रूस की राजधानी मॉस्को में वर्ल्ड सेंड स्कल्पचर चैपिंयनशिप के गोल्ड मैडल से 2017 में, अमेरिका में ‘सैंड स्कल्पटिंग फेस्टिवल’ में ‘पीपल्स च्वॉइस अवॉर्ड’ से सम्मानित होने के साथ ही दुनियाभर में आयोजित 60 से अधिक सेंड आर्ट कॉम्पीटिशन में हिस्सा ले चुके हैं।
रेत पर निशान छोड़ना मुश्किल काम होता है, पर उड़ीसा के सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने पर्यावरण और एड्स जैसे सामाजिक मुद्दे रेत पर उकेर कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है। गरीबी से जूझकर बड़े हुए सुदर्शन पटनायक ने 2008 में बर्लिन में विश्व चैंपियनशिप जीती थी। वह कोपनहेगन सैंड स्कल्पचर चैंपियनशिप भी जीत चुके हैं। उन्हे जून 2012 में सोफिया ओपन सैंड आर्ट चैंपियनशिप के लिए भी चुना गया था।
सुदर्शन पटनायक ने महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने संबंधी संदेश देते हुए रेत पर कलाकृति बनाई थी। मैसाचुसेट्स के बोस्टन में रीवर बीच पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सैंड स्कल्पटिंग फेस्टिवल 2019 में हिस्सा लेने के लिए विश्व भर से चुने गए 15 शीर्ष रेत कलाकारों में पटनायक भी शामिल रहे। उन्हें उनकी रेल कलाकृति स्टॉप प्लास्टिक पॉल्यूशन, सेव आर ओशन के लिए पीपल्स च्वॉइस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पटनायक कहते हैं कि अमेरिका में मिला पुरस्कार भारत के लिए है, जो प्लॉस्टिक प्रदूषण से जूझ रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को रेखांकित करने वाली उनकी रेत कलाकृति के लिए हजारों लोगों ने वोट दिया, जो इस बात को दर्शाता है कि लोगों को भी प्रदूषित हो रहे हमारे महासागरों की गंभीर चिंता है।
सुदर्शन पटनायक बताते हैं कि उनका घर उड़ीसा में समंदर किनारे था। उन्हे बचपन से ही कलाकारी का शौक था लेकिन घर की आर्थिक हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह ठीक से पढ़ाई लिखाई भी कर पाते या आर्ट कॉलेज में दाखिला हो जाता। वह बचपन में घर से सुबह तीन बजे समुद्र किनारे चले जाते थे और सूर्योदय होते-होते रेत पर अपनी कलाकृति तैयार देते थे। वहां से गुजरने वाले काफी उत्सुकता से कलाकृतियां देखते। तभी एक दिन उन्होंने मन ही मन संकल्प लिया कि उनको अब इसी विधा में अनवरत साधना करनी है। उस समय में लोगों को पता ही नहीं था कि सैंड आर्ट क्या होती है।
जब सुदर्शन कलाकृति बनाने की अनुमति माँगते थे तो कहा जाता था कि बालू खराब हो जाएगा। तब उन्हे जानकारी नहीं थी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सैंड आर्ट कितनी लोकप्रिय है। यह भी कला की एक विधा है, जो बर्फ और रेत पर निखारी जाती है।
सुदर्शन बताते हैं कि ये बेहद दिलचस्प विधा है। सैंड कलाकृतियां अस्थाई होती हैं। गीले बालू पर कला उकेरी जाती है। इसका तरीका थोड़ा अलग है। बाकी कलाकृतियां नीचे से ऊपर की ओर बनती हैं, सैंड आर्ट ऊपर से शुरू होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसमें बहुत सी प्रतियोगिताएँ होती हैं। विश्व चैंपियनशिप भी होती है।
वह इस आर्ट में वर्ष 2008 में पहली बार विश्व ख्यात कलाकार के रूप में सामने आए। वह कहते हैं कि अगर वह इस कला से पैसे कमा सकते हैं तो बाकी लोग क्यों नहीं। उन्होंने तो शून्य से शुरुआत की थी। कई जरिए हैं कमाई के। भारत में बहुत से मेले लगते हैं, प्रदर्शनियाँ लगती हैं जहाँ इस तरह के कलाकारों को बुलाया जाता है और पैसे भी मिलते हैं। आजकल कॉरपोरेट कंपनियाँ भी ऐसे कार्यक्रम प्रायोजित करने लगी हैं।