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[Techie Tuesday] मिलें भारत के पहले सुपर कंप्यूटर परम और BYJU'S ऐप बिल्ड करने वाले प्रकाश रामचंद्रन से

[Techie Tuesday] मिलें भारत के पहले सुपर कंप्यूटर परम और BYJU'S ऐप बिल्ड करने वाले प्रकाश रामचंद्रन से

Tuesday January 28, 2020 , 12 min Read

आज भले ही भारतीय फिल्म अभिनेता शाहरुख खान भारतीय छात्रों को BYJU'S ऐप डाउनलोड करके "फाल इन लव विद लर्निंग" के लिए कह रहे हैं, लेकिन इसे संभव बनाया है पर्दे के पीछे काम करने वाले एक शांत और बेबाक आदमी ने। दुनिया के सबसे वैल्युएबल एडटेक स्टार्टअप्स में से एक बायजू के सीटीओ, प्रकाश रामचंद्रन, ने कोर कॉन्सेप्ट को समझने में आसान बनाने के लिए गेमीफिकेशन का उपयोग किया।


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प्रकाश रामचंद्रन, बायजू के सीटीओ



हालांकि वे इससे पहले अमेरिकी सोशल गेम डेवलपर जिंगा (Zynga) के लिए काम कर चुके थे इसलिए ये उनके लिए चुनौती नहीं थी, लेकिन उनके इस कदम ने छात्रों का ध्यान खींचा और शिक्षा को पाई के जैसा आसान बना दिया।


हालांकि, शानदार प्रोडक्ट और एप्लिकेशन बिल्ड करने के बारे में सीखना प्रकाश के लिए आसान था। जिसे आज की स्टार्टअप दुनिया में एक दुर्लभ सीएक्सओ माना जाता है। वैसे आपको बता दें कि उनके पास कोई प्रतिष्ठित आईआईटी या बिट्स पिलानी जैसा टैग नहीं है। मॉडल इंजीनियरिंग कॉलेज, कोच्चि के प्रोडक्ट प्रकाश कहते हैं कि उनकी कॉलेज एजुकेशन का बेस्ट पार्ट यह था कि उन्हें व्यक्तिगत ट्रेनिंग दी गई थी।


वे बताते हैं,

"मुझे याद है कि एक बार हम अपने प्रोफेसर के पास गए और उन्हें बताया कि कंप्यूटर लैब में सिस्टम काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बस हमारी ओर देखा और कहा, 'ओके, तुम ही इसे ठीक क्यों नहीं करते'? यह एक नया कॉलेज था; 480 छात्रों की कुल संख्या वाला एक छोटा कॉलेज। यही वह जगह थी जहां मैंने हैंड्स-ऑन कोडिंग, प्रोग्रामिंग और बिल्डिंग जैसी चीजें के बारे में सीखा।”

HP और CDAC (भारत का सुपर कंप्यूटर परम बनाने वाले) में काम कर चुके प्रकाश, इंजीनियरिंग से ज्यादा कोडिंग और टेक्नोलॉजी के प्रति आकर्षित थे। लेकिन कंप्यूटर के साथ उनका मिलन संयोग से हुआ।

कंप्यूटर के साथ पहला इंट्रैक्शन

प्रकाश का जन्म केरल के कोच्चि में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उनकी मां एक बैंकर थीं और पिता राज्य बिजली बोर्ड में काम करते थे। दो भाई-बहनों में से सबसे छोटे प्रकाश का कंप्यूटर के साथ पहला इंट्रैक्शन तब हुआ था जब वह 14 साल के थे।


वे कहते हैं,

“यह 1991 था, और मेरे पिता के दोस्त पास में ही एक कंप्यूटर कोर्स चला रहे थे; मेरे पिता ने मुझे भी इसमें ज्वाइन करा दिया। मैंने सामान्य चीजें के साथ इसे शुरू किया। मेरी जिज्ञासा धीरे-धीरे शांत हो गई और मैंने ग्राफिक्स के साथ खेलना शुरू कर दिया। जल्द ही, मैंने छोटे गेम बनाने और फिर प्रोग्रामिंग करने में अपना हाथ आजमाया।"


वे याद करते हुए कहते हैं,

“मैंने कोच्चि में नौसैनिक बेस में अपनी कक्षा 11 और 12 की पढ़ाई पूरी की। एक बार एक मैथ टीचर को कंप्यूटर पर कुछ डेटा एंट्री कराने की आवश्यकता था; यह मेरे लिए सिस्टम को यूज करने का एक अवसर था। यह दरवाजे में एक पैर रखने जैसा था, और प्रकाश ने इसका इस्तेमाल ऐसे किया कि उन्होंने पूरा दरवाजा ही खोल दिया। इंजीनियरिंग में उनकी एंट्री केवल कोर्स के लिए नहीं थी, बल्कि इसलिए कि उन्हें पता था कि उन्हें सिस्टम पर कोड और प्रोग्राम करने को मिलेगा।”

प्रकाश ने मॉडल इंजीनियरिंग कॉलेज में कंप्यूटर इंजीनियरिंग कोर्स किया।


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प्रकाश रामचंद्रन, बायजू के फाउंडर और सीईओ के साथ

रिस्ट्रिक्शंस के टाइम एक सुपर कंप्यूटर का निर्माण करना

कॉलेज से बाहर निकलने के बाद प्रकाश ने बार्न सिस्टम्स में अपना करियर शुरू किया और जल्द ही सीडीएसी में शामिल हो गए। वे बताते हैं, "परम, सुपर कंप्यूटर बनाया ही जा रहा था, और मैं कुछ बनाने का काम करना चाहता था।" यह 1999 में था। प्रकाश का कहना है कि यह वह समय था जब भारत ने अपना परमाणु परीक्षण पूरा किया था और देश प्रतिबंधित सूची (restricted list) में था।


वे बताते हैं,

"हमें दो से अधिक प्रोसेसर वाली मशीनें नहीं मिल सकती थीं, और उन दिनों हमें एक ऐसे सिस्टम की आवश्यकता थी जो बहुत सारी जानकारी और डेटा को प्रोसेस कर सके। मैं OSI नेटवर्किंग टीम का एक हिस्सा था, और इन सभी एप्लीकेशन्स को बहुत सारी गणना करने की आवश्यकता थी। तो उस समय जो अप्रोच अपनाई गई वो ये थी कि जो कुछ ऐसी समस्याएं हैं, उन्हें छोटी-छोटी समस्याओं में बांटा जाएगा, उन पर काम किया जाएगा और आगे बढ़ा जाएगा। उदाहरण के लिए, मौसम का पूर्वानुमान ( weather forecasting) कुछ और नहीं है, बल्कि टन्स ऑफ डेटा होता है जो कुछ गणना करने की कोशिश करता है। हमने इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान किया।"


वे कहते हैं कि उन दिनों में एक टीबी डेटा निकालना एक चुनौती थी, क्योंकि मशीनों में ही एक जीबी हार्ड डिस्क होती थी। प्रकाश ने 2002 तक CDAC में काम किया, जिसके बाद वह HP में चले गए, जहाँ उन्होंने ऑपरेटिंग सर्वर - HP OS पर काम किया।


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प्रकाश रामचंद्रन अमेरिका में एक भ्रमण के दौरान


प्रकाश बताते हैं,

“मैंने मशीन-डिपेंडेंट लेयर पर काम किया, जो मशीन के बूट होने, बंद होने या क्रैश होने पर ही चलती है। तो इससे मुझे सीखने में मदद मिली कि कैसे शॉर्ट ड्यूरेशन में जल्दी से कोड और प्रोग्राम किया जाए।” HP पूरी तरह से CDAC से अलग था। यह एक निजी फर्म में उनका पहला कार्यकाल था। वे कहते हैं, “मैं थोड़ा आलसी था और कुछ प्रोसेस थीं जो लंबी और थकाऊ थीं। इसलिए मैंने उन्हें ऑटोमैटेड बना दिया। इसके लिए मुझे कुछ चीजें सीखनी पड़ीं और एप्लीकेशन्स को बेहतर तरीके से समझना पड़ा।"


सादगी के महत्व को समझना

प्रकाश का मानना है कि एचपी और सीडीएसी दोनों में उनके अनुभव कुछ ऐसे हैं जो आज भी उनके साथ हैं।


वे कहते हैं,

“बुनियादी बातों को देखने के लिए बहुत सी चीजों की जरूरत है। शुक्र है कि मेरे पास शानदार टीम लीड्स थे जिन्होंने मुझे व्यावहारिक निटी-ग्रिटी डिटेल समझने में मदद की। इसने मुझे कुछ धैर्य विकसित करने में भी मदद की। बहुत सी चीजों फिक्स होने में समय लेती हैं; हो सकता है कि कोड की केवल दो लाइन किसी समस्या को पैदा कर रही हों, लेकिन यह समझना कि वो कौन सी लाइन समस्याएं पैदा कर रही थीं, एक ऐसी चीज है जिसके बारे में आपको लगातार काम करना होता है।”


एचपी में, प्रकाश कहते हैं कि उन्होंने एंड कंज्यूमर से बात करने का महत्व सीखा। एचपी में प्री-सेल टीम कुछ इंजीनियरों को क्लाइंट मीटिंग्स में ले जाती थी।


वे कहते हैं,

“इन बैठकों में, आप समझते हैं कि प्रोडक्ट कैसे काम करता है, इसका उपयोग कैसे किया जाता है, और यह अंतिम उपभोक्ता के लिए कैसे काम करता है। मैंने उस प्रोसेस पर FedEx के साथ काम किया। इस एक्सपोजर ने मुझे केवल तकनीकी समस्या से परे भी चीजों को जानने में मदद की; इसने मुझे दिखाया कि चीजों को कैसे अप्रोच किया जाना चाहिए। इसने मुझे सरलता का महत्व सिखाया।”


2004 में, प्रकाश सपोर्ट सॉफ्ट से जुड़ गए। यहां उनके कार्यकाल ने उन्हें समझने में मदद की कि कैसे इंजीनियरिंग बिजनेस के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ है।


वे कहते हैं,

“हमने कई प्रोडक्ट बनाए; कुछ सर्वाइव कर गए। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कुछ दिन पहले, मेरी एक मशीन क्रैश हो गई और जब मैंने इसे रिबूट किया, तो यह 'सपोर्ट असिस्ट' के साथ बूट हो गई। यह कुछ ऐसा था जिसे हमने बनाया था। जब एक सिस्टम क्रैश होता है सपोर्ट सॉफ्ट बहुत सारी प्रोसेस को अपने आप ही पूरा कर देता है, इससे मैनुअल इंटरवेंशन में कमी आती है।”

फार्मविले की यात्रा

सपोर्ट सॉफ्ट के बाद, प्रकाश को पता था कि उन्हें कुछ नया और अलग करना है और वह अगस्त 2009 में जिंगा (Zynga) में शामिल हो गया। यह एक ऐसा समय था जब गेम फार्मविले अपने उत्साह पर था, और जिंगा के तत्कालीन सीटीओ कैडिर ली भारत में इसे पुश करने की तलाश में थे।


वे बताते हैं,

“ज्वाइन करने के एक दिन पहले मैं कैडिर के साथ फोन कॉल पर था, वो जानना चाहते थे कि क्या मैं कुछ फिक्स कर सकता हूं। तो मैंने कहा कि मैं अगले दिन ज्वाइन कर रहा हूं, लेकिन तभी एहसास हुआ कि वह चाहते थे कि मैं उसी दिन फिक्स करूं, जिस दिन मैं इसे ज्वाइन करूंगा। तब मेरी समझ में आया कि स्टार्टअप की दुनिया में थोड़ी ऊबड़-खाबड़ चढ़ाई तो है।”


फार्मविले तेजी से बढ़ रहा था। मशीनों को जोड़ने के लिए समय नहीं होने के कारण, टीम को AWS में शिफ्ट करना पड़ा। प्रकाश याद करते हैं कि यह एक नया सिस्टम था।


वे कहते हैं,

“हम हर दो दिन में सर्वर को दोगुना कर रहे थे। मैं वहां दो साल के लिए था। इसलिए हर एक कोड परफेक्ट होना था। यहां ऐसा है कि अगर आपने प्रयाप्त तौर पर कुछ अच्छा बनाया है तो उसे डिप्लॉय करने की आवश्यकता है। कैडिर इस आइडिया में विश्वास करते थे कि 'कल बेस्ट देने के बजाए आज कुछ अच्छा दीजिए।"


जिंगा में, उन्होंने नई चीजें सीखीं: स्टार्टअप की दुनिया में, आपको दोनों चीजें करने की जरूरत है - ऐसे दौड़िए जैसे कि कोई टाइगर आपका पीछा कर रहा हो और ऐसे भी दौड़िए जैसे आप किसी मैराथन में दौड़ रहे हैं। हर दिन, चार से पांच मिलियन यूजर्स ज्वाइन कर रहे थे। प्रारंभ में, टीम ने छोटे सुधारों के साथ शुरुआत की, और जल्द ही बुनियादी ढांचे और कोर सिस्टम के निर्माण की ओर आगे बढ़े। “उन दिनों AWS के कुछ कम्पोनेंट्स नए थे और स्थिर नहीं थे। तो इसका मतलब था कि बिल्कुल स्क्रैच से कई सिस्टम बनाना।"


2011 तक, प्रकाश ने बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया। 2014 तक, वह गेम डेवलपमेंट में लग गए।


वे कहते हैं,

“भारत में एक मजबूत गेमिंग कल्चर नहीं था और हम में से कई के पास गेम डेवलपमेंट का बहुत अधिक एक्सपोजर भी नहीं था। हमने इंजीनियरिंग बिट्स को समझा, हमने मूल बातें समझीं और काम किया, उनका निर्माण किया, और P & L का चार्ज भी संभाला। गेम्स एक अलग बीस्ट होते हैं। ग्रोथ और डेवलपमेंट की जिम्मेदारी हम पर थी, और इसका मतलब यह था कि गेम कैसे डिजाइन किए जाते हैं, और लोगों को कैसे खर्च करने के प्रेरित किया जाए।”


वह बताते हैं कि गेमर्स नए अनुभव चाहते हैं, जिसका मतलब नई फीचर्स और विभिन्न पहलुओं का निर्माण करना है।


शिक्षा की दुनिया में कदम रखना

2014 में, खेल की दुनिया में बदलाव शुरू हो गया था। और प्रकाश को लगा कि उन्हें "और अधिक करने और अधिक जानने की जरूरत है"। वह हॉर्टोनवर्क्स में शामिल हो गया, जो एक बड़ी डेटा कंपनी थी जो एडोब स्टैक और ओपन सोर्स पर काम कर रही थी। वे कहते हैं,

“डायनमिक्स अलग हैं। आपको विभिन्न देशों और कंपनियों के लोगों के साथ काम करने की जरूरत होती है।"


यही वह समय था जब आनंदमॉय रॉय जो अब सेक्विया के साथ हैं और तब के जिंगा के निदेशकों में से एक, प्रकाश ने बायजू के संस्थापक बायजू रवीन्द्रन से परिचय कराया।


शिक्षा में अपनी रुचि के बारे में बात करते हुए प्रकाश कहते हैं,

“कुछ चीजें और विषय थे जिनमें स्कूल के बाद मुझे रुचि थी। यह प्राइमरी था क्योंकि CDAC और Zynga में ऐसे लोग थे जिनके पास मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने खगोल भौतिकी जैसे विषयों का अध्ययन किया था। जब बात फिजिक्स और मैथ्स की आती है तो मैं एक औसत छात्र था, लेकिन मैंने पाया कि वो मेरे काम को इंट्रस्टेड हैं। और यह इसलिए था क्योंकि किसी ने मुझे दिलचस्प तरीके से चीजें सिखाई थीं। तब मैंने महसूस किया कि विषयों को अधिक दिलचस्प तरीके से पढ़ाया जाना चाहिए।”


इस समय, BYJU'S धीरे-धीरे ऑनलाइन बढ़ रहा था और ऑफलाइन एक एक मजबूत प्रोडक्ट था। टीम ने एक अल्पविकसित उत्पाद बनाया था, जिसे पूरी तरह से ऑनलाइन करने की आवश्यकता थी।


वे कहते हैं,

“एक छोटी सी टीम थी, और अधिकांश को आउटसोर्स किया गया था। मुझे बिल्कुल शून्य से निर्माण करना था। 2015 में, मैंने टीम बनाने और एक बेहतर ऐप बनाने पर काम किया।”


प्रोडक्ट में उस समय कुछ वीडियो थे; टीम कॉल करती थी और फिर कोई ऑनलाइन पुश करता था। शुरुआत में, यह प्रोडक्ट को बेहतर तरीके से प्रदर्शित करने के बारे में था। टीम शुरू में एक एसडी कार्ड बेच रही थी, और ऑनलाइन जाना अनिवार्य था।

प्रकाश को अब ऐप और एसडी कार्ड दोनों का निर्माण करना था।


चुनौती यह थी कि उस समय कोई भी उस पैमाने पर एक एडटेक प्रोडक्ट नहीं बना रहा था, जिसे बायजू ने तैयार किया था। बायजू स्कूल लर्निंग के कंप्लीमेंट्री होने पर केंद्रित था, और इसका मतलब प्रोडक्ट के दृष्टिकोण से ही पुनर्विचार करना था। यहीं पर जिंगा के साथ उनके अनुभव ने मदद की।


वे कहते हैं,

“हमें एक बच्चे के लिए इसे और अधिक दिलचस्प बनाना था। इसका मतलब था कि वीडियो का समय कम करना, गेमिफिकेशन का उपयोग करना, छोटी छोटी चीजों में कंटेंट की पेशकश करना और चीजों को इंटरैक्टिव बनाना।” प्रकाश का कहना है कि टीम ने एक बेहतरीन उत्पाद बनाने में मदद की है। “टीमें बहुत महत्वपूर्ण हैं। आपको ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है जो आंतरिक रूप से प्रेरित होते हैं, खासकर गेमिंग और शिक्षा जैसे उत्पादों के लिए, और यह उन चीजों में से एक है जिन्हें मैं देखता हूं।”


तब से, BYJU'S मजबूत से और मजबूत होता चला गया है। आज, टीम विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों में तकनीक और उत्पाद को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है। तकनीक की सलाह देते हुए, वे कहते हैं कि आज कई नई चीजें आ रही हैं और यह अब किसी एक में एक्सपर्ट होने के बारे में नहीं है।


अंत में वे कहते हैं,

“आपको नई चीजों को सीखने और आजमाने में एक विशेषज्ञ होना चाहिए। अब ऐसे रोल मौजूद हैं जो 2005 में मौजूद नहीं थे, इसलिए अपने दिमाग को खुला रखें। जिंगा में भी, लोगों को यह समझाना कि हम क्या करते हैं, मुश्किल था। इसलिए हर दिन खुद को चुनौती दें।”