ये देश है महान: हिंदुओं ने रोजा रखा तो मुस्लिम ने मंदिर के लिए दान कर दी जमीन
रमजान के पवित्र महीने में इस बार भाईचारे की मिसालों ने एक बार फिर इंसानियत सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बंगलूरू में एसोसिएट डायरेक्टर अनंत गंगोला ने पुत्र-पुत्री के साथ अलविदा जुमे का रोजा रखा तो चंडीगढ़ में हिंदू और मुस्लिम परिवार ने एक-दूसरे के परिवार के सदस्यों को किडनी डोनेट की।
रमजान का पाक महीना पूरा होने के साथ ही सऊदी अरब में कल रात चांद दिखने के बाद मंगलवार को ईद मनाई जा रही है। मीठी ईद के नाम से जाना जाने वाला यह त्यौहार अपने साथ ढेर सारी खुशियां, प्यार और भाईचारा लेकर आता है, हर कोई मन-मुटाव भुलाकर एक दूसरे को मुबारकबाद देता है लेकिन इस मौके पर एक इफ्तार पार्टी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, सुशील मोदी एक साथ दिखे तो सियासी ट्वीट-वार छिड़ गया। बॉलीवुड सेलिब्रिटीज ने खास अंदाज में दी ईद की मुबारकबाद।
उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तो ईद पर अमेरिका से मंगाई गई सांप की खाल से बनी चालीस हजार की सैंडल पहनने की तैयारी में थे लेकिन तमन्ना पूरी नहीं हो सकी क्योंकि सैंडल बनाने वाले को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
इस बार रमजान का महीना हमारे देश में भाईचारे का कुछ अलग ही संदेश दे गया। रानीखेत (अल्मोड़ा) के चौधरी गार्डन निवासी एवं अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बेंगलूरू में एसोसिएट डायरेक्टर अनंत गंगोला ने पिछले 13 वर्षों की तरह इस बार भी रमजान के अखिरी शुक्रवार, अलविदा जुमे का रोजा रखा। इस बार रानीखेत में उनके साथ पुत्र अंबर और पुत्री अवनि ने भी रोजा रखा। दोनों बच्चे पिछले पांच साल से रोजा रख रहे हैं।
इसी तरह की मिसाल बने बुलढाणा (महाराष्ट्रा) में डिविजनल फॉरेस्टा ऑफिसर संजय एन माली, जिन्होंने अपने बीमार ड्राइवर के बदले खुद रोजा रखा। चंडीगढ़ में तो रमजान के महीने में एक हिंदू और एक मुस्लिम परिवार ने एक-दूसरे के परिवार के सदस्यों को किडनी डोनेट कर दी। यूनीक किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट से जुड़े इस मामले में बिहार की हिंदू महिला मंजुला देवी और कश्मीर के मुसलमान अब्दुल अजीज को बचाया गया। नागौर (राजस्थान) में तो इस बार रोजे का एक अलग ही तरह का सुखद वाकया हुआ। अशरफ खान ने चुरु जिले के सुजानगढ़ स्थित जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही एक हिंदू गर्भवती महिला सावित्री देवी को ब्लड डोनेट करने के लिए अपना रोजा तोड़ दिया।
साम्प्रदायिक सौहार्द्र की एक और तरह मिसाल श्योपुर (म.प्र.) सामने आई है। यहां के वार्ड संख्या एक के निवासी जावेद अंसारी ने मोतीपुर के पास गुप्तेश्चर रोड स्थित अपनी बगवाज गांव की जमीन का एक हिस्सा करीब 1905 वर्ग फुट ‘इमली वाले हनुमान मंदिर’ के लिए दान कर दी। रमजान के महीने में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की और भी नजीरें सामने आई हैं। प्रसंग वश बात तो मोहर्रम की है लेकिन साम्प्रदायिक सौहार्द्र का सुखद संदेश देती है। देवरिया में पिपरामदन गोपाल गांव के विष्णुहदत्तं दुबे न केवल अकीदत के साथ मुहर्रम मनाते हैं, मौलवी बुलाकर फातिहा पढ़वाते हैं, दरवाजे पर खुद का बनाया ताजिया रखकर जुलूस के साथ उसे कर्बला में दफन भी करने जाते हैं। यह परम्पषरा उनके घर में दो पीढ़ियों से चली आ रही है।
जिस देश में इस तरह का भाईचारा हो, फिर ईंद-होली-दिवाली की खुशियां क्यों न सबके सिर चढ़कर बोलें। मुरादाबाद (उ.प्र.) में सिरसी रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित मस्जिदे जहरा, मंदिर महादेव और दरबारे हुसैनी साम्प्रदायिक सौहार्द की ऐसी ही अनूठी मिसाल हैं। मस्जिद जहरा से मात्र दस मीटर की दूरी पर सिरसी का पहला सबसे बड़ा मंदिर महादेव है। इन दोनों के बीच मे दरबारे हुसैनी है जिसमे बड़ी संख्या में रोज अकीदतमंद अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं।
प्राचीन मंदिर महादेव के आसपास मुस्लिम आबादी है। मंदिर के प्रबंधक महेंद्र पाल रस्तोगी और मस्जिद व दरबारे हुसैनी के प्रबंधक आपस में एक दूसरे के गहरे दोस्त हैं। दोनों एक दूसरे की गमी-खुशी में शरीक होते हैं। दोनों अपने-अपने धर्म का पालन करते हुए लोगो को यह संदेश देते हैं कि दोस्ती में धर्म आड़े नहीं आता, प्रबंधक राजा मियां कहते हैं कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है।