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UNFAO कैंडिडेट ने गरीबी मिटाने के लिए भारत की हरित क्रांति को बताया आदर्श

UNFAO कैंडिडेट ने गरीबी मिटाने के लिए भारत की हरित क्रांति को बताया आदर्श

Tuesday June 04, 2019 , 2 min Read

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सांकेतिक तस्वीर

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन में महानिदेशक पद के लिए दावेदारी पेश कर रहे जॉर्जिया के पूर्व कृषि मंत्री डेविट किरवालिदजे के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (यूएनएफएओ) के महानिदेशक पद के उम्मीदवार डेविट किरवालिदजे का मानना है कि गरीबी और भुखमरी दूर करने के लिए भारत की हरित क्रांति आदर्श मॉडल है।


एक अगस्त से शुरू होने वाले चार साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र एफएओ के महानिदेशक के लिए चुनाव इसी महीने आयोजित किए जाने हैं। इस हाई-प्रोफाइल पद के लिए दौड़ने वाले उम्मीदवार में चीन के डोंगयु, फ्रांस के कैथरीन गेस्लैन-लैन एली, जॉर्जिया के डेविट किरवालिडेज़ और भारत के रमेश चंद शामिल हैं।





किरवालिदजे ने ‘पीटीआई भाषा’ को दिए इंटरव्यू में कहा, 'भारत (गरीबी और भुखमरी को दूर करने की दिशा में) काफी काम कर रहा है। हरित क्रांति कई देशों के लिए अच्छा मॉडल है कि कैसे इसे लागू करना है और कैसे परिणाम हासिल करने हैं।' उन्होंने कहा, 'मैं एक बात पर भरोसा करता हूं। आपके इसके अलावा कोई और भुखमरी दूर नहीं कर सकता।'


उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में उचित परिस्थितियां पैदा करना उनके विकास के लिए बहुत आवश्यक है। जब लोगों की बाजार तक पहुंच होती है और वे मुक्त व्यापार कर सकते हैं तो इससे खाद्य सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलती है। उन्होंने तर्क दिया कि एफएओ को ऐसा संगठन बनना चाहिए जो सभी को समान अवसर दे ताकि वे अधिक से अधिक और बेहतर उत्पादन कर सकें और बाजारों तक पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि एफएओ को सक्रिय बनने के लिए, शीघ्र निर्णय लेने के लिए अपनी नीतियों को फिर से आकार देने की आवश्यकता है।