जयपुर के इन 2 भाइयों ने 6 महीने से भी कम समय में 45 लाख रुपए लगाकर खड़ा किया फूडटेक बिजनेस
हम एक ऐप से चलने वाली दुनिया में रह रहे हैं, जहाँ टेक्नोलॉजी हर दिन एक नए उद्योग में प्रवेश कर रही है और इसे सरल, आसान और अधिक सुविधाजनक बना रही है। हालांकि इसके बावजूद भी फूडटेक स्पेस में ऐसी बहुत सारी चीजें आ रही हैं या हो रही हैं जो हैरान करने वाली हैं।
जहां सबसे पहले, बहुत बड़ी संख्या में फूड डिलीवरी सर्विसेस थीं, तो अब इस ब्लॉक के चारों ओर एक नया ऐप है जो फुल-सर्विस और सेल्फ-सर्विस रेस्तरां के लिए एंटायर ऑर्डरिंग और चेकआउट प्रक्रिया को डिजिटल रूप देकर आपके भोजन के तरीके को बदल रहा है।
जयपुर के दो भाइयों नंदित और गौरांग बिंदल के दिमाग की उपज, ज़ूप (Zoop) का उद्देश्य डिनर और रेस्तरां मैनेजर्स दोनों के लिए भोजन के अनुभव को आसान बनाना है। यह ग्राहकों को अपने स्मार्टफोन से सीधे ऑर्डर देने की अनुमति देता है, इसके लिए ग्राहक को बस अपने रेस्तरां में टेबल पर रखे एक क्यूआर कोड को स्कैन करना होता है जिसके बाद ऐप पर मेनू ओपन हो जाता है।
दोनों भाई कहते हैं,
“यह एक रेस्तरां में भोजन करते समय ग्राहक के सामने आने वाले उस इंतजार के समय और परेशानियों को समाप्त करता है। जूप हर ऑर्डर के टर्नअराउंड टाइम को बहुत कम कर देता है, रेस्तरां में लागत बचत और अतिरिक्त राजस्व बढ़ता है।”
ऐसे हुआ इस बिलियन-डॉलर आइडिया का जन्म
2017 में ऐप के आइडिया की कल्पना करने वाले गौरांग और नंदित कहते हैं,
"दरअसल फूड कोर्ट और QSRs में लगातार निराशा के अनुभवों से जूप का आइडिया पैदा हुआ था।"
हालांकि, इस प्लेटफॉर्म को जून 2019 में निष्पादित किया गया था। टेक्नोलॉजी और एक स्केलेबल एंव टिकाऊ व्यवसाय के निर्माण के बारे में पैसनेट दोनों भाइयों ने व्यक्तिगत रूप से फूड कोर्ट में लंबी कतारों और लंबे मेनू को ब्राउज करने की परेशानी और ऑर्डर के बाद घंटों तक इंतजार करने का संघर्ष किया है।
भले ही देखने में ये मामूली समस्याएं लग सकती हैं, लेकिन यह उन सार्वभौमिक समस्याओं में से एक हैं, जिन्हें अगर एड्रेस किया जाए, तो वे बहुमूल्य समय और धन बचा सकते हैं।
दोनों भाई कहते हैं,
"न केवल ग्राहकों, बल्कि रेस्टोरेंट चलाने वालों को भी उचित रूप से कुशल मैनपॉवर खोजने और उन्हें बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं।"
आखिरकार, रेस्तरां उद्योग में कर्मचारियां की नौकरी छोड़ने की दर काफी ज्यादा होती है, जिसके चलते, आमतौर पर प्रशिक्षण पर खर्च में वृद्धि और ग्राहक अनुभव से समझौता करना पड़ता है।
जैसा कि संस्थापक बताते हैं,
"विभिन्न निरर्थक प्रक्रियाएं जैसे मेनू को कई बार देखना, ऑर्डर लेने के लिए कई बार डेस्क तक जाना, या पेमेंट कलेक्ट करने में काफी समय का खर्च होना जिससे पीक आवर्स के दौरान बिक्री खोना, जैसी कई समस्याएं हैं जिनका ग्राहकों और रेस्टोरेंट चलाने वालों दोनों को सामना करना पड़ता है।"
जूप के एंड-टू-एंड सलूशन के साथ, इन समस्याओं को आसानी से खत्म किया जा सकता है क्योंकि ग्राहक एक बार बैठे और अपने स्मार्टफोन से सभी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
एक पेमेंट या ऑर्डर करने से आगे का ऐप
फूडटेक या यहां तक कि रेस्तरां-तकनीक के स्पेस का डिजिटलीकरण पूरी तरह से एक नोवल कॉन्सेप्ट नहीं है। बाजार में कई और प्वेयर्स भी हैं जो ऑर्डर, फीडबैक, पेमेंट्स या CRM के आसपास के मुद्दों को हल करते हैं। लेकिन जूप यहां अकेले इन सभी चिंताओं को संबोधित करते हुए और संपूर्ण सेवाओं को प्रदान करते हुए मैदान में डटा है। जूप की कोर यूएसपी फूड कोर्ट और क्यूएसआर में कस्टमर एफर्ट्स को 80 प्रतिशत तक कम करना है, वहीं इसके साथ ही पार्टनर आउटलेट्स के सामने आने वाली ऑपरेशनल चुनौतियों के साथ, टीम ग्राहकों के लिए मूल्यवान डेटा अंतर्दृष्टि पैदा करने की दिशा में भी काम कर रही है।
वे कहते हैं,
"यह कस्टमर डाइनिंग हिस्ट्री, प्रेफरेंस और रेकमंडेशन्स को भी दिखाता है, जो आउटलेट्स को ग्राहकों को व्यक्तिगत सेवाओं की पेशकश करने में मदद करता है।"
इसके अलावा, जूप एक लोयल्टी प्रोग्राम भी डेवलप कर रहा है जिसे ग्राहकों के उपभोग व्यवहार से जोड़ा जाएगा।
वे बताते हैं कि यह डीप डिस्काउंटिंग की समस्या को हल करेगा। मेकिंग में AI- इनेबल्ड डील और एल्गोरिदम आधारित ऑटोमेटेड रिवॉर्ड मैनेजमेंट सिस्टम भी है।
संस्थापकों का कहना है,
“हमने सबसे पहले डाइनिंग इंडस्ट्री के साथ शुरुआत की है, लेकिन अन्य क्षेत्रों जैसे होटल के कमरे, थिएटर और रिटेल चेन को पूरा करने की योजना है।"
जयपुर से पूरे भारत में
वे कहते हैं,
“हमने जयपुर में शुरू किया क्योंकि शहर का रेस्तरां बाजार आज भारत में सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। और जैसा कि, हम इस शहर के निवासी हैं, इसलिए हमारे लिए ऑपरेशन और लॉजिस्टिक आसान था। इसने हमें जल्दी से पायलट साइटों पर काम करने, उपयोग का विश्लेषण करने और उपयोग बढ़ाने के लिए उत्पादों में सुधार को रोल आउट करने में मदद की।”
45 लाख रुपये के साथ बूटस्ट्रैप, इन-रेस्टोरेंट ऑर्डर और चेकआउट प्लेटफॉर्म की स्थापना के लगभग चार महीने हो गए हैं। इस छोटी अवधि में, 11 तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों की एक टीम शामिल है, और ये पहले से ही 23 ब्रांडों पर सवार है। इनमें से कुछ नामों में टी ट्रेडिशन कैफे, ब्राउन शुगर कैफे, द मॉडर्न चौपाटी (फूडकोर्ट) और ट्रोव कैफे शामिल हैं।
वे कहते हैं,
“फूड कोर्ट के लिए, यह एक नो-ब्रेनर था क्योंकि आउटलेट के मालिकों ने तुरंत ऐसी प्रणाली की आवश्यकता को समझा। कैफे और लाउंज के लिए, मालिकों ने जूप के लाभों को समझा और इस कॉन्सेप्ट को ट्राई करने के लिए उत्साहित थे क्योंकि किसी ने इसी तरह की चीज को अब तक एक महत्वपूर्ण पैमाने पर निष्पादित नहीं किया था।”
जयपुर में सफल पायलट के बाद, ज़ूप भारत में टीयर I शहरों का विस्तार करना चाहता है, और एक उच्च श्रम लागत के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी विस्तार की योजना है। अगले 18 महीनों में, प्लेटफॉर्म पर 60 करोड़ रुपये मासिक का लेन-देन करते हुए, पूरे भारत में 6,000 आउटलेट्स को जोड़ने का लक्ष्य होगा।
संस्थापक कहते हैं,
"तब तक हमारा राजस्व लगभग 4-6 करोड़ रुपये मासिक होगा।" हालांकि, इस मील के पत्थर को पार करने का मतलब होगा कि अधिक कैपिटल को हासिल करना। और, गौरांग और नंदित इसके बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, क्योंकि वे "आक्रामक तरीके से फंड जुटाना चाह रहे हैं।"
अंत में, यह एक इंटीग्रेटेड ईकोसिस्टम बनाने और वर्तमान परिचालन चुनौतियों को खत्म करने के बारे में है। जैसा दोनों संस्थापक बताते है,
"जैसे-जैसे और अधिक आउटलेट जूप को अपनाते हैं, वैसे-वैसे पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रशिक्षित हो जाएगा और चुनौतियां अंततः दूर हो जाएंगी।”