इस DM ने अपने जिले में घटा दिये 75 प्रतिशत कोविड मामले, समय रहते खड़ा किया मजबूत मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर
महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद अब नए मामलों में 75 फीसदी की कमी दर्ज़ की गई है और इसके श्रेय जिले के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भारुड को दिया जा रहा है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश को बुरी तरह से बेहाल किया हुआ है। लगातार बढ़ते मामलों के साथ लगभग सभी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल नज़र आ रही हैं। बीते कुछ हफ्तों से देश में रोजाना कोरोना वायरस संक्रमण के औसतन 4 लाख नए मामले दर्ज़ किए जा रहे हैं।
कोरोना के इस भीषण प्रकोप को काबू में करने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही हैं, वहीं एक जिले के डीएम ने इस बीच कुछ ऐसा काम कर दिखाया है जिससे जिले में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में एक बड़ी कमी देखने को मिली है।
मामलों में 75 फीसदी की कमी
महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद अब नए मामलों में 75 फीसदी की कमी दर्ज़ की गई है और इसके श्रेय जिले के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भारुड को दिया जा रहा है।
डॉ. राजेंद्र भारुड खुद भी नंदुरबार जिले के ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। उनके पिता का निधन उनके जन्म से पहले ही हो गया था, जिसके बाद उनकी माँ ने पूरी तरह उनकी ज़िम्मेदारी उठाई। डॉ. राजेंद्र भारुड ने अपने पहले प्रयास में UPSC क्लियर करने से पहले MBBS की डिग्री भी पूरी की है।
जिले के वर्तमान हालात बारे में मीडिया से बात करते हुए उन्होने बताया है कि अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में जिले में कोरोना के हर रोज़ 11 सौ से 12 सौ नए मामले दर्ज़ किए जा रहे थे, हालांकि अब यह संख्या रोज के हिसाब से घटकर 200 से 250 तक आ गई है। इन आंकड़ों को डॉ. राजेंद्र भारुड एक सकारात्मक संकेत की तरह देखते हैं।
खड़ा किया मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर
जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भारुड ने अपने जिले में तीन ऑक्सिजन प्लांट स्थापित करने का भी काम किया है। इसी के साथ ही उन्होने जिले में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के साथ ही एक प्रभावी वैक्सीन ड्राइव की शुरुआत करने में सक्रिय भूमिका निभाई है।
जिलाधिकारी के अनुसार जब कोरोना महामारी की पहली लहर ने देश को अपनी चपेट में लिया था तब नंदुरबार के जर्जर इन्फ्रास्ट्रक्चर के चलते यहाँ के निवासियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। कोरोना महामारी की पहली लहर से ही सबक लेते हुए डॉ. राजेंद्र भारुड ने बीते साल सितंबर में ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी थीं।
बीते साल जिले में टेस्टिंग के लिए कोई सरकारी या प्राइवेट लैब भी नहीं थी, इसी के साथ जिले में एंबुलेंस जैसी बुनियादी सेवाओं की भी भारी कमी थी। डॉ. राजेंद्र भारुड ने वैश्विक हालात को देखते हुए इस बात का अंदाजा पहले ही लगा लिया था कि अगर भारत में कोरोना की दूसरी लहर आई तो ऑक्सिजन की भारी जरूरत पड़ेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होने जिले में 3 ऑक्सिजन प्लांट की स्थापना की जो कुल मिलाकर हर घंटे 24 सौ लीटर ऑक्सिजन का उत्पादन करते हैं।
तैनात की ‘ऑक्सिजन नर्स’
डॉ. राजेंद्र भारुड में जिले के लोगों की मदद के लिए कंट्रोल रूम और वेबसाइट की भी स्थापना की है, जिसे कोविड संसाधनों के अनुसार रियल टाइम में अपडेट किया जाता रहता है। जिले में पहले महज 20 बेड हुआ करते थे लेकिन अब कोविड मरीजों के लिए 12 सौ ऑक्सिजन वेंटिलेटर, आईसीयू बेड और 7 हज़ार आइसोलेशन बेड मौजूद हैं।
जिलाधिकारी ने कोविड अस्पतालों में ‘ऑक्सिजन नर्स’ को भी तैनात किया है जिनका काम कोविड मरीजों के SPO2 लेवल पर हर घंटे नज़र रखते हुए उनके लिए ऑक्सिजन सप्लाई की मात्रा को तय करना है। इस काम से जिले में काफी ऑक्सिजन बचाई जा रही है। यह मॉडल इतना कारगर साबित हो रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने इसे अन्य जिलों में भी लागू करने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि नंदुरबार एक आदिवासी बहुल जिला है। फिलहाल जिले में सरकारी शिक्षक व अन्य सरकारी कर्मचारी लोगों को वैक्सीन के लिए जागरूक करने के साथ ही उन्हे COWIN ऐप आदि को लेकर प्रशिक्षित भी कर रहे हैं।