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हिरोशिमा परमाणु हमला: सलामत बचीं इमारतों को बचाने के लिए हजारों ने याचिका पर हस्ताक्षर किए

हिरोशिमा परमाणु हमला: सलामत बचीं इमारतों को बचाने के लिए हजारों ने याचिका पर हस्ताक्षर किए

Wednesday December 18, 2019 , 2 min Read

हिरोशिमा में परमाणु बम हमले के बावजूद सलामत रह गईं 20वीं सदी के शुरुआती वक्त की दो इमारतों को गिराने की सरकार की योजना के खिलाफ सैकड़ों लोगों ने एक ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं।

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फोटो साभार: researchtvindia

एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को पुष्टि की है कि उन्हें 12,000 नागरिकों के हस्ताक्षर वाली एक याचिका प्राप्त हुई है, जिनमें वर्ष 1945 में हुए परमाणु विस्फोट में बची इमारतों को संरक्षित करने का अनुरोध किया गया है।


लाल ईंटों से बनीं ये तीन मंजिला इमारतें 1913 में बनाई गईं चार इमारतों का हिस्सा हैं और यहां जापानी सेना की वर्दी बनाने का काम होता था।


एक अधिकारी ने बताया कि भूकंप के संबंध में की जाने वाली नियमित जांच में दो साल पहले सामने आया कि तीव्र भूकंप आने पर ये इमारतें ढह जाएंगी।


अधिकारी ने कहा,

“हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है क्योंकि इनके ढहने से बगल में रहने वाले लोगों को नुकसान पहुंच सकता है।’’


चार इमारतों के समूह में से तीन पर स्थानीय अधिकारियों का स्वामित्व है और बची हुई संपत्ति पर राष्ट्रीय सरकार का स्वामित्व है। अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय सरकार के स्वामित्व वाली सभी तीन इमारतों को संरक्षित करने और उन्हें मजबूत बनाने में 7.7 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा।


हिरोशिमा प्लेस मेमोरियल या गेनबाकू डोम, छह अगस्त 1945 को हुए विश्व के पहले परमाणु बम विस्फोट के बाद सलामत बचा सबसे प्रसिद्ध ढांचा है। लेकिन इसके अलावा ग्राउंड जीरो से पांच किलोमीटर के दायरे में कई अन्य इमारतें हैं जो विस्फोट के असर से बच गईं थीं। अब जापान के लोग इन इमारतों के संरक्षण के लिए सरकार से अपील कर रहे हैं।





1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा में अमेरिका द्वारा किए गए परमाणु हमले में 1 लाख 40 हज़ार लोगों की मौत हुई थी, जबकि इस हमले से तहीक तीन दिन बाद नागासाकी में हुए परमाणु हमले में 74 हज़ार लोगों की जानें गईं थीं।


इसके पहले नवंबर में हिरोशिमा पहुंचे पोप फ्रांसिस ने दोनों शहरों में स्मारकों पर हमले के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। पोप ने तब इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि परमाणु हथियार से किसी भी देश की सुरक्षा नहीं हो सकती है।


(Edited by रविकांत पारीक)