Tiget Global ने Zomato से निकाली हिस्सेदारी, 1123 करोड़ रुपये में बेचे पूरे शेयर
Tiger Global के बाहर निकलने के कुछ महीने पहले चीनी दिग्गज Alibaba ने इस साल की शुरुआत में फूड डिलीवरी फर्म Zomato में अपनी हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा बेच दिया था.
ऑन डिमांड फूड डिलीवर करने वाली कंपनी
के शीर्ष निवेशकों में से एक, Tiger Global Management, सोमवार को अपने शेष शेयर 1,123.85 करोड़ रुपये में बेचकर बाहर निकल गया.बीएसई पर उपलब्ध बल्क डील के आंकड़ों के अनुसार, ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फर्म के Internet Fund III PTE Ltd ने 91.01 रुपये प्रति शेयर पर 12.34 करोड़ शेयर बेचे. पिछले हफ्ते, CNBC-TV18 ने बताया कि सॉफ्टबैंक कथित तौर पर ब्लॉक डील के माध्यम से Zomato में अपने शेयर बेचने की सोच रहा था क्योंकि 25 अगस्त को Blinkit डील समाप्त होने के बाद निवेशकों के लिए 12 महीने की लॉक-इन अवधि थी.
पिछले साल अगस्त में, Uber ने Zomato में अपनी 7.8% हिस्सेदारी 3,087.93 करोड़ रुपये में बेच दी, और दीपिंदर गोयल के नेतृत्व वाली कंपनी से बाहर निकल गई. बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक, निवेश फर्म Fidelity Investments and ICICI Prudential Life Insurance Company ने एक ही दिन कंपनी में हिस्सेदारी खरीदी.
इस महीने की शुरुआत में, Zomato ने 2 करोड़ रुपये का अपना पहला तिमाही लाभ दर्ज किया, जिसे Hyperpure में वृद्धि और फूड डिलीवरी सेगमेंट में मामूली सुधार से मदद मिली. पहले वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही तक इस मील के पत्थर तक पहुंचने की उम्मीद थी.
Hyperpure, जोकि Zomato का बिजनेस-टू-बिजनेस सप्लाई वर्टिकल है, ने पिछले साल अर्जित 273 करोड़ रुपये से रेवेन्यू में 126% की वृद्धि दर्ज की और 617 करोड़ रुपये हो गया. कंपनी ने कहा था कि यह मुख्य रूप से न्यूनतम ऑर्डर मूल्य में वृद्धि के कारण हुआ, जिसके कारण औसत ऑर्डर मूल्य में वृद्धि हुई.
इस उपलब्धि ने निवेशकों और फूडटेक अधिकारियों सहित उद्योग जगत के दर्शकों के बीच आशावाद की लहर दौड़ दी, इस उम्मीद में कि कंपनी के लिए बड़ा ब्रेक आ गया है.
सीईओ श्रीहर्ष मजेटी के अनुसार, प्रतिद्वंद्वी स्विगी ने मार्च में अपना पहला मुनाफा दर्ज किया. उन्होंने कहा कि Prosus समर्थित फूड एंड ग्रोसरी डिलीवरी फर्म नौ साल से कम समय में लाभप्रदता हासिल करने वाले बहुत कम ग्लोबल फूड डिलिवरी प्लेटफार्मों में से एक बन गई है.
रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि स्विगी ने इस साल की शुरुआत में कमजोर बाजार धारणा के बाद अपनी आईपीओ योजना को रोकने के बाद इसे फिर से शुरू कर दिया है.
Edited by रविकांत पारीक