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साइकिल पर साड़ियां बेचने से लेकर 17 देशों में निर्यात करने तक: कुछ ऐसी है कंकटला टेक्सटाइल्स की कहानी

विशाखापत्तनम स्थित कंकटला टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड (Kankatala Textiles Pvt Ltd) की शुरुआत 1943 में एक आउटलेट के साथ कंकटला अप्पालाराजू (Kankatala Appalaraju) ने की थी। आज, यह दक्षिण भारत में 11 आउटलेट्स में एक महीने में 25,000 से अधिक हथकरघा साड़ियों का निर्माण और बिक्री करता है।

साइकिल पर साड़ियां बेचने से लेकर 17 देशों में निर्यात करने तक: कुछ ऐसी है कंकटला टेक्सटाइल्स की कहानी

Sunday March 28, 2021 , 7 min Read

1930 के दशक में, कंकटला अप्पालाराजू ने आंध्र प्रदेश के तुनी में एक छोटी सी कपड़े की दुकान में काम करने के लिए स्कूल छोड़ दिया। उन्होंने जल्द ही वह दुकान भी छोड़ दी और विजाग रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजों को कपड़े बेचना शुरू कर दिया। इससे उन्हें टेक्सटाइल स्पेस में अपना खुद का कुछ बनाने का आत्मविश्वास मिला। 1941 में, वह एक हेल्पर के साथ, अपनी साइकिल पर सिल्क की साड़ी बेचने के लिए घर-घर जाते थे। उन्हें कुछ खरीददार भी मिले और फिर उन्होंने 1943 में विशाखापत्तनम में एक स्टोर शुरू करके अपने उद्यम का और विस्तार करने का फैसला किया।


लगभग 78 साल बाद, दक्षिण भारत में आज कंकटला टेक्सटाइल्स प्राइवेट लिमिटेड के 11 आउटलेट हो गए हैं, और इसने 2017 में अपनी वेबसाइट भी लॉन्च की है। तीसरी पीढ़ी के उद्यमी, और वर्तमान में, Kankatala Textiles के डायरेक्टर अनिरुद्ध कंकटला ने कंपनी, इसकी योजनाओं आदि के बारे में YourStory से बात की।

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साइकिल से लेकर एसी स्टोर और ई-कॉमर्स तक

अनिरुद्ध बताते हैं कि जब उनके दादा छोटे स्तर पर काम शुरू कर रहे थे, तब उनके पिता, मल्लिकार्जुन राव कंकटला, उनके चाचा- प्रभाकर कंकटला और सुब्बाराव कंकटला व खुद उन्होंने उद्यम में कुछ अन्य बदलाव लाए।


उन्होंने कहा,

"मेरे पिता पारिवारिक व्यवसाय में शामिल नहीं होना चाहते थे, लेकिन आखिरकार, वह मेरे दादा के साथ जुड़ने के लिए तैयार हो गए। उस समय, हम अभी भी एक स्टोर का संचालन कर रहे थे।”


वह आगे कहते हैं कि उनके पिता स्टोर में एक एयर-कंडीशनर चाहते थे "ये कुछ ऐसा था जो उस समय बहुत कम लोग चाहते थे।" अनिरुद्ध के पिता 1982 में व्यवसाय में शामिल हो गए। दूसरी ओर, अनिरुद्ध हमेशा व्यवसाय में शामिल होना चाहते थे। वह बताते हैं कि एक बच्चे के रूप में, वह अक्सर अपने पिता के साथ बनारस जाते थे ताकि ये देख सकें कि बुनकर अपना काम कैसे करते हैं। इन अनुभवों ने व्यवसाय में शामिल होने के उनके संकल्प को और मजबूत किया। उन्होंने पेन स्टेट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2015 में बिजनेस ज्वाइन किया और प्राइसवाटरकोपर्स, न्यूयॉर्क के साथ कुछ समय के लिए काम भी किया।


आज, परिवार के चार सदस्य व्यवसाय में शामिल हैं, जिनमें अनिरुद्ध के चचेरे भाई- भारत कंकटला और अरविंद कंकटला शामिल हैं। वह कहते हैं कि जब उन्होंने 2015 में व्यवसाय में प्रवेश किया था, तो उन्हें संगठन को बढ़ाने और उसके भीतर एक डिजिटल बदलाव लाने के लिए दृढ़ थे।


वे कहते हैं,

''मुझे बिजनेस मॉडल को समझने में लगभग एक साल लगा और तभी मुझे महसूस हुआ कि डिजिटल स्पेस में काफी अवसर है। इस तरह का परिवर्तन लाना आसान काम नहीं था। हमें कई पूर्व धारणाओं पर लड़ाई लड़नी पड़ी।"


वे कहते हैं,

“इंडस्ट्री के लोगों ने मुझे बताया कि ई-कॉमर्स से कुछ नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञापन की लागत और बड़े डिस्काउंट जैसी चुनौतियाँ मेरे वित्त पर भारी पड़ेगी।”


अनिरुद्ध का कहना है कि हालाँकि उनके पिता ऑनलाइन उद्यम के उनके फैसले के समर्थक थे, लेकिन उन्हें उम्मीद नहीं थी कि "बिजनेस जैसा चल रहा है वैसा ही रहेगा या बड़े पैमाने पर बढ़ेगा।" लेकिन अनिरुद्ध अपने व्यवसाय को डिजिटल बनाने की दिशा में काम करते रहे और 2017 में कंकटला की वेबसाइट लॉन्च की।

ऑनलाइन बेचना आसान नहीं है

कंकटला की हथकरघा यानी हांथ से बुनी हुई साड़ी काफी महंगा आइटम हैं। साड़ियाँ 5,000 रुपये से शुरू होती हैं और 5 लाख रुपये तक जाती हैं। स्वाभाविक रूप से, अनिरुद्ध को लोगों को ऑनलाइन बेचने के लिए राजी करना पड़ा।


वे कहते हैं, "अगर मैं अपने ग्राहकों से कहूं, 'यह एक सुंदर कांजीवरम साड़ी है। इसे खरीदें!' - ऐसा कभी नहीं होने वाला है।" ब्रांड को विश्वास पैदा करना था और धीरे-धीरे कर्षण को बढ़ाना था।


अनिरुद्ध कहते हैं कि पहले कुछ महीने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अकाउंट बनाने में बीते गए। वह कहते हैं कि व्यवसाय ग्राहक अधिग्रहण पर बहुत अधिक खर्च नहीं करना चाहता है और कर्षण को व्यवस्थित रूप से प्राप्त करने का प्रयास किया है।


वह कहते हैं,

“हमने फेसबुक पर हर दिन अलग-अलग साड़ी लुक को पोस्ट करना शुरू कर दिया (हम इस प्लेटफॉर्म पर बहुत बेहतर कर रहे थे)। हम कुछ यूजर-जनरेटेड कंटेंट के साथ, पहले के दिनों से अपने स्टोर की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें भी डालते हैं।"


उनका कहना है कि उत्पादों को खरीदने से पहले एक ग्राहक को ब्रांड को समझने और उस पर भरोसा करने की जरूरत है। आज, ब्रांड अपने ऑनलाइन चैनल के माध्यम से एक दिन में लगभग 7-10 साड़ियों की बिक्री करता है। पिछले साल इसने 5,000 साड़ियों की ऑनलाइन बिक्री की।


अनिरुद्ध का यह भी दावा है कि व्यवसाय एक महीने में 25,000 साड़ियों की बिक्री करता है। अनिरुद्ध अपने ग्रुप के टर्नओवर को लेकर खुलासा नहीं करना चाहते हैं, लेकिन यह कहते हैं कि वेबसाइट ने वित्त वर्ष 2020 में 12 करोड़ रुपये कमाए थे, और पिछले तीन वर्षों से प्रतिवर्ष 50 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।

Kankatala Textiles के डायरेक्टर अनिरुद्ध कंकटला

Kankatala Textiles के डायरेक्टर अनिरुद्ध कंकटला

एक मेहनती प्रक्रिया

उनका कहना है कि भारतीय कपड़ा बाजार "बड़ा ही असंगठित है।" वे कहते हैं कि साड़ी के एक टुकड़े के निर्माण के लिए सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता होती है जिसको मैन्युफैक्चर करने में कम से कम एक महीने से लेकर दो महीने का भी समय लग जाता है।


एक Fibre2Fashion विश्लेषण के अनुसार, भारत में महिलाओं के पहनने के बाजार का वास्तविक मूल्य 2017 में लगभग 19.2 बिलियन डॉलर था, जिसमें साड़ी सेगमेंट का बाजार में लगभग 33 प्रतिशत योगदान था। इस सेगमेंट में काम करने वाले कुछ ब्रांडों में फैबइंडिया, कारागिरी और ओलिव एंड ग्रेप्स लेयर्स शामिल हैं। ब्रांड ने 15 भारतीय राज्यों में 40 बुनाई समूहों के साथ करार किया है, जिसमें पश्चिम बंगाल, वाराणसी और कांचीपुरम जैसे स्थान शामिल हैं। ब्रांड साड़ियों की एक विशाल विविधता प्रदान करता है, जिसमें चंदेरी, हैंडस्पून कॉटन, एरी सिल्क, जॉर्जेट, गडवाल, कांचीपुरम आदि शामिल हैं। इसने अन्य श्रेणियों जैसे हाफ-साड़ी और दुपट्टे में भी विविधता लाई है। साड़ी मुख्य रूप से हथकरघा का उपयोग करके बनाई जाती है, जबकि जैक्वार्ड या पावर लूम कुछ अन्य वेरिएंट के निर्माण में भूमिका निभाते हैं।


अनिरुद्ध का कहना है कि भारतीय प्रवासी कंकटला का एक बड़ा ग्राहक बेस हैं। इसकी ऑनलाइन बिक्री का लगभग 55 प्रतिशत विदेशों से आता है। ब्रांड अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, आदि सहित 17 देशों को साड़ी बेचता है।


इन ट्रेंड्स पर प्रकाश डालते हुए, अनिरुद्ध ने कहा, “विदेशों में रहने वाले लोगों में एक सांस्कृतिक जागृति है। वे यहां रहने वाले भारतीयों से अधिक भारतीय उत्पादों को महत्व देते हैं।”

महामारी और पुनरुद्धार

आगे बढ़ते हुए, ब्रांड का उद्देश्य ऑनलाइन बिक्री के लिए अधिक आक्रामक बनना है। उनका कहना है कि कोरोनावायरस महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के शुरुआती महीने "बहुत कठिन थे।"


हालांकि, टीम ने इस समय को उत्पादों को ऑफलाइन से ऑनलाइन में स्थानांतरित करने के लिए उपयोग किया। अनिरुद्ध यह भी बताते हैं कि व्यवसाय को पूरी तरह से पुनर्जीवित करने में समय लगेगा क्योंकि बहुत सारे बुनकर महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के कारण हथकरघा में नहीं लौटे हैं।


कंकटला ने हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में आउटलेट खोलने की योजना बनाई है, साथ ही साथ उत्तर भारत में आगे बढ़ते हुए महाराष्ट्र और दिल्ली को लेकर भी योजना है। इससे बुनकरों में कुछ बदलाव आ सकता है। वे कहते हैं, "हम बुनकरों तक पहुंच रहे हैं और उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हमें अधिक उत्पादन की आवश्यकता है।" 


Edited by Ranjana Tripathi