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वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।

वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!

Sunday April 11, 2021 , 8 min Read

इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।

सेक्स वर्कर्स का जीवन संवार रहे गिरीश कुलकर्णी

अपने NGO, स्नेहालय के माध्यम से, गिरीश कुलकर्णी ने अयोग्य लोगों की सेवा करने के अपने आजीवन मिशन को अंजाम दिया, और वेश्याओं को रेड लाइट एरिया में उनके संघर्षों को दूर करने में मदद करते हैं।

स्नेहालय के बच्चों के साथ गिरीश कुलकर्णी

स्नेहालय के बच्चों के साथ गिरीश कुलकर्णी

बचपन में उन्होंने ट्यूशन क्लास के लिए जाते समय एक लड़की को देखा, जिसे गली के कुछ गुंडे पीट रहे थे और उसे वेश्यावृत्ति में जाने के लिए कह रहे थे।


गिरीश ने YourStory से बात करते हुए बताया, “मेरी उम्र की लड़की को तड़पते हुए देखना मेरे लिए एक भयानक दृश्य था। उस समय, मैंने खुद से पूछा कि क्या मुझे ऐसा कुछ करने के बारे में सोचना चाहिए जो लड़कियों को उनकी तरह मदद कर सके।”


महात्मा गांधी ने गरीब से गरीब व्यक्ति की सेवा कैसे की, इससे प्रेरित होकर, गिरीश ने अपने जीवन में भी उन सिद्धांतों का पालन करना शुरू किया। उन्होंने कई स्थानों पर स्वयं सेवा की और कई कारणों से काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। अपने प्रयासों के बावजूद, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें रेड-लाइट एरिया में उन महिलाओं की मदद करने की जरूरत है जो अपने पेशे को छोड़ने में असमर्थ, गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रही थीं।


1989 में, उन्होंने स्नेहालय की स्थापना की, जो एक एनजीओ है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पुनर्वास, जागरूकता और अभियानों के क्षेत्र में काम करता है।


गिरीश कहते हैं, “हमारे पास लगभग 65 करोड़ युवा भारतीय हैं, और यदि उनमें से प्रत्येक ने समाज के एक वर्ग को चुना है, तो भारत के लिए चीजें बहुत भिन्न हो सकती हैं। हम तुरंत एक व्यापक बदलाव नहीं देख सकते हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से बदलाव की उम्मीद पैदा कर सकते हैं।”

'विकलांगता का खात्मा' है प्रशांत गाडे का मकसद

प्रशांत गाडे - इनाली फाउंडेशन (Inali Foundation) के फाउंडर है, जो कि एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट एंटरप्राइज है जो कम लागत वाले कृत्रिम अंग (भुजाएं/बाहें) प्रदान करता है - व्यापक रूप से टेक्नोलॉजी के सदुपयोग के लिए प्रशंसित है, जो कृत्रिम अंगों के जरिए हजारों लोगों के जीवन संवार रहा है।

प्रशांत गाडे के जीवन का मकसद है लोगों की अक्षमता को खत्म करना

प्रशांत गाडे के जीवन का मकसद है लोगों की अक्षमता को खत्म करना

लेकिन यह टेकी पहले एक दार्शनिक (philosopher) है और बाद में एक आविष्कारक (inventor), दोनों भूमिकाओं में कॉमन बात जीवन में एक बड़े उद्देश्य को पूरा करने का उनका संकल्प है: दूसरों की मदद करना और जीवन को सक्षम बनाना।


इनाली फाउंडेशन के माध्यम से, वह ऐसा करने में सक्षम हो गये है: 3,500 से अधिक लोगों को काम करने और जीवन को स्वतंत्र रूप से जीने के लिए उन्हें कृत्रिम अंग देकर सक्षम बना चुके हैं।


वे कहते हैं, "जब मैंने शुरुआत की, तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतने बड़े पैमाने पर बढ़ेगा और इतने सारे लोगों को फायदा होगा। लेकिन आज मैं खुश हूं, सिर्फ इसलिए नहीं कि इससे बहुत सारे लोग लाभान्वित हो रहे हैं, बल्कि इसलिए कि मुझे दूसरों की मदद करने और जीवन में अपना उद्देश्य खोजने का अवसर मिला।”


आज, वह कहते हैं कि डसॉल्ट सिस्टम्स (Dassault Systemes) और इंफोसिस फाउंडेशन (Infosys Foundation) समर्थित इनाली फाउंडेशन एक मिशन पर है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति विकलांग ना रहे।

लाखों महिलाओं को सशक्त बना रहा बंधन बैंक

बंधन बैंक के संस्थापक चंद्र शेखर घोष ने महिलाओं के हाथों में सत्ता हस्तांतरण और आर्थिक रूप से समावेशी भारत के निर्माण को अपना आजीवन मिशन बना लिया है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है बंधन बैंक। इस बैंक की शुरुआत एक गैर-मुनाफाकारी संस्था के रूप में हुई थी, जो आगे चलकर बंधन बैंक बन गया। आज, यानि कि दो दशक बाद बंधन बैंक में 1.5 करोड़ से अधिक महिला ग्राहक हैं जो बैंक के कुल 2.2 करोड़ ग्राहक का दो-तिहाई हिस्सा हैं।

इंटरव्यू के दौरान YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ बंधन बैंक के एमडी और सीईओ चंद्र शेखर घोष

इंटरव्यू के दौरान YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ बंधन बैंक के एमडी और सीईओ चंद्र शेखर घोष

YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा को दिए एक हालिया इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “आज 1.5 करोड़ महिलाएं हमारी ग्राहक हैं। मैं इसे दिन-प्रतिदिन, महीने-दर-महीने आधार पर बढ़ा रहा हूं। लेकिन यह अंत नहीं है। कई और ग्राहक हैं, जिन तक मैं पहुंच सकता हूँ। हर बार नए ग्राहक (हमारे पास) आ रहे हैं। नई माताएं (हमारे पास) आ रही हैं। वे अपनी फैमिली के साथ अपने बुरे अनुभवों के बारे में हमसे बताती हैं। हालांकि अब वे अपना खुद का नया बिजनेस या फिर पहले से मौजूद बिजनसे को शुरू करने या फिर अपने पति के साथ एक संयुक्त बिजनेस शुरू करने में सक्षम हैं। यह एक बदलाव है जिसे मैंने देखा है।”


उन्होंने YourStory को बताया, “एक बहुत बड़ी चुनौती पुरुषों से महिलाओं को सत्ता हस्तांतरित करने की रही है। यह हमारे देश में बहुत कठिन है। भले ही महिलाओं के पास आय हो, लेकिन सत्ता हस्तांतरण करना बहुत आसान नहीं है। क्योंकि हमारा समाज मुख्य रूप से एक पितृसत्तात्मक समाज है।”


उन्होंने आगे कहा, "अभी तक, हम महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आप देख सकते हैं कि वित्त एक शक्ति है- जिसके पास वित्त का नियंत्रण है, वही परिवार, समाज और यहां तक कि देश पर भी नियंत्रण करता है।"

भारत की पहली पेशेवर महिला पोलो खिलाड़ी रीना शाह

एक शू डिजाइनर, एक बिजनेस की मालिक और डीजे, रीना शाह भारत की पहली महिला पोलो खिलाड़ी भी हैं। वह मानती है कि एक बार जब आप अपने जुनून और पैसे की खोज कर लेते हैं तो सफलता पीछे-पीछे आती है।

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रीना शाह भारत की पहली महिला पोलो खिलाड़ी हैं

2010 में रीना शाह को मुंबई में एक मैच देखने के बाद पोलो से प्यार हो गया। वह सरपट दौड़ते घोड़ों से अपनी आँखें नहीं हटा पा रही थीं और सोच रही थीं कि केवल पुरुष ही इस खेल को क्यों खेल सकते हैं। और फिर 38 साल की उम्र में, रीना ने पेशेवर रूप से पोलो को चुनने का फैसला किया। यह कोई ऐसा प्रोफेशन नहीं था जिसे महिलाओं के लिए जाना जाता था। इस स्पोर्ट में उनकी एंट्री कोई पहले से प्लान नहीं थी।


दिलचस्प बात यह है कि रीना ने पहले से ही अपने प्रीमियम फुटवियर ब्रांड रिनाल्डी डिजाइन (Rinaldi Designs) की स्थापना की थी, जिसमें नाओमी कैंपबेल, नताली पोर्टमैन, गोल्डी हॉवन, रेखा, शिल्पा शेट्टी और करीना कपूर खान सहित कुछ नामी ग्राहक शामिल हैं। रीना ने डीजे स्कूल ऑफ एम्स्टर्डम में खुद को टॉप 10 डीजे के रूप में भी स्थापित और प्रमाणित किया है।


अपनी पोलो यात्रा के बारे में बात करते हुए रीना कहती हैं, “मैं हमेशा एक कठिन खेल खेलना चाहती थी लेकिन पोलो के बारे में कभी नहीं सोचा। घोड़ों ने मेरा दिली जीत लिया। उस समय यह कुछ ऐसा था जिसे भारत में एक महिला नहीं कर रही थी। मैं कभी घोड़े पर नहीं बैठी थी, इसलिए मुझे पोलो के लिए घुड़सवारी सीखने में लगभग एक साल लगा, जो सामान्य घुड़सवारी से बहुत अलग है। मुझे पता था कि भारत में कोई पोलो स्कूल नहीं हैं, इसलिए मुझे एक महीने के लिए अर्जेंटीना जाना था, और फिर सैंटा बारबरा और इंग्लैंड।"


तब तक, वह भारत में सक्रिय रूप से पोलो खेलने वाली एकमात्र महिला बन गई थीं। यहां तक कि रीना ने एक पोलो स्कूल भी स्थापित किया है। रिनाल्डी पोला, आज उनकी पोलो टीम में समीर सुहाग, चिराग पारेख, गौरव सेगल और महामहिम महाराजा पद्मनाभ सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ी हैं।

मिसेज श्रीलंका के मंच पर हुआ हाईवॉल्टेज ड्रामा

पड़ोसी देश श्रीलंका की एक बेहद प्रतिष्ठित सौन्दर्य प्रतियोगिता के दौरान एक ऐसा वाकया देखने को मिला जिसने सभी को हैरान कर दिया। पूरी दुनिया में इस घटना को शर्मनाक बताया जा रहा है, लेकिन इस घटनाक्रम का अंत जिस तरह हुआ वह काफी सराहनीय है।

विवाद हुआ और छीन लिया गया ब्यूटी क्वीन का ताज

विवाद हुआ और छीन लिया गया ब्यूटी क्वीन का ताज

श्रीलंका में मिसेज श्रीलंका कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और देश में इस प्रतियोगिता को काफी प्रतिष्ठित माना जाता है, लेकिन यह प्रतियोगिता जीतने वाली महिला के साथ मंच पर हुए सलूक ने सभी को हैरान करके रख दिया।


प्रतियोगिता के अंत में यह ऐलान किया गया कि मिसेज श्रीलंका वर्ल्ड का खिताब पुष्पिका डी सिल्वा को मिला है और इसके बाद उन्हे ताज पहनाया भी गया। इस पूरे कार्यक्रम का प्रसारण श्रीलंका के सरकारी टीवी चैनल पर किया जा रहा था। जैसे ही डी सिल्वा को ताज पहनाया गया, उसके ठीक बाद ही मंच पर पूर्व विजेता कैरोलिन जूरी ने यह कहते हुए डी सिल्वा के सिर से ताज उतार लिया कि डी सिल्वा तलाक़शुदा हैं और इस वजह से वह इस प्रतियोगिता के लिए अयोग्य हैं।


कैरोलिन ने बाकायदा माइक के जरिये दर्शकों को संबोधित करते हुए उस समय बताया कि प्रतियोगिता के नियम के मुताबिक तलाक़शुदा महिलाएं इस प्रतियोगिता के लिए अयोग्य हैं औए इस वजह से वो इस ताज को अब दूसरे नंबर की प्रतियोगी को विजेता के तौर पर पहना रही हैं।


कैरोलिन अपने इस ऐलान के बाद फौरन ही डी सिल्वा की तरफ बढ़ गईं और उनके सिर से ताज को उतारने की कोशिश करने लगीं। डी सिल्वा ने बाद में दावा किया कि कैरोलिन कि इस हरकत से उनके सिर में चोटें आई और उन्हे डॉक्टर के पास भी जाना पड़ा।


घटना के दो दिन बीत जाने के बाद आयोजकों ने डी सिल्वा को उनका खिताब वापस दिलवाया और इस पूरे घटनाक्रम के लिए उनसे माफी भी मांगी।


इसके बाद डी सिल्वा ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की जिसमें उन्होने कहा कि वो अपने इस ताज को ऐसी महिलाओं को समर्पित कर रही हैं जो सिंगल मदर हैं यानी बिना अपने पति की सहायता के अपने बच्चों को पाल-पोस रही हैं।