वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
20000 रुपये लगाकर शुरू किया बिजनेस, हर महीने कमा रहीं 2 लाख रुपये
जयपुर की रहने वाली रितु भंसाली और उनकी दो बेटियां इंस्टाग्राम पर अपने घरेलू D2C सोशल कॉमर्स वेंचर EverythingMomMade – नैचुरल, प्रिजर्वेटिव फ्री पर्सनल ग्रूमिंग ब्रांड, के जरिए सफलता का स्वाद चख रही हैं।
49 वर्षीय रितु भंसाली, जो अपने जीवन के अधिकांश समय तक एक गृहिणी रही है और महामारी के बीच केवल एक साल पहले ही वे आंत्रप्रेन्योर बनीं थी। जयपुर की रहने वाली यह महिला आंत्रप्रेन्योर इंस्टाग्राम पर अपनी बेटियों की मदद से एक नैचुरल, प्रिजर्वेटिव फ्री स्कीन एण्ड हेयर केयर ब्रांड EverythingMomMade चलाती हैं।
सोशल कॉमर्स बिजनेस को प्लेटफॉर्म पर 16,000 से अधिक फॉलोअर्स की अपनी कॉम्यूनिटी से बहुत प्यार मिलता है। 1,000 से अधिक रिव्यू मिल चुके हैं, जिनमें से सभी ने रितु को बेहद खुशी दी है।
रितु की बड़ी बेटी दिवा कहती है, "यह एक गृहिणी है जो अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर जा रही है और इतने सारे लोगों तक पहुंच रही है। जब वे हमारे प्रोडक्ट्स का उपयोग करने के अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हैं, और कमेंट करते हैं, तो हमारी मां बहुत भावुक हो जाती हैं। और हर बार जब वह एक अच्छा रिव्यू पढ़ती हैं, तो वह रोती हैं।”
दिवा का कहना है कि उनकी मां एमकॉम ग्रेजुएट हैं। लेकिन 90 के दशक की शुरुआत में, लोग उन महिलाओं पर भड़क जाते थे जो बाहर जाकर काम करती थीं, और उनकी पढ़ाई के बाद शादी करना पसंद किया जाता था।
दिवा YourStory को बताती है, “आज, घर में 360-डिग्री परिवर्तन है क्योंकि हमारी माँ एक आंत्रप्रेन्योर के रूप में अपनी नई-नई पहचान को जी रही है और बिजनेस के लिए एक के बाद एक कॉल और मीटिंग्स में व्यस्त हैं। ऐसा नहीं है कि हमें उसकी क्षमताओं पर संदेह है, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वह आर्थिक रूप से इतनी स्वतंत्र होंगी, बिजनेस चलाने की तो बात ही छोड़ दें।”
20,000 रुपये के शुरुआती निवेश से शुरू हुए इस ब्रांड का अब रेवेन्यू हर महीने लगभग 1.5 रुपये से 2 लाख रुपये के पार हो गया है।
जीरे की खेती से खड़ा किया 50 करोड़ का कारोबार
विदेशों में होती है इनकी फसलों की सप्लाई, किसानों के लिए प्रेरणा बने राजस्थान के योगेश
राजस्थान के योगेश जोशी आज जैविक खेती के जरिये 50 करोड़ रुपये का सालाना व्यवसाय कर रहे हैं। राज्य के जलोर जिले के निवासी योगेश आज प्रगतिशील ढंग से किसानों के एक बड़े समूह को भी अपने साथ इसी तरह मुनाफे की दिशा में लेकर आगे बढ़ रहे हैं। मालूम हो कि योगेश और उनके साथ के किसान आज 4 हज़ार एकड़ से अधिक जमीन पर खेती कर रहे हैं।
योगेश ने बताया है कि उनके घरवाले दरअसल नहीं चाहते थे कि वे खेती करें। उनके परिवर में भी अधिकतर लोग सरकारी नौकर हैं और इस तरह पिता की मर्जी के साथ आगे बढ़ते हुए योगेश ने कृषि विज्ञान में स्नातक करते हुए जैविक खेती में डिप्लोमा भी किया और इसके बाद वे नौकरी करने लग गए। लगातार चार साल नौकरी करने के बाद भी तरक्की न नज़र आने पर योगेश ने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया और जैविक खेती में अपनी किस्मत आजमाने का मन बना लिया।
साल 2009 में जैविक खेती की शुरुआत करने वाले योगेश को तब बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वे अपनी शुरुआत कहाँ से करें और इसी मुश्किल को हल करने के लिए उन्होंने रिसर्च करनी शुरू कर दी।
लंबी रिसर्च के बाद योगेश ने यह तय किया कि वे जीरे की खेती करेंगे। एक एकड़ जमीन में शुरुआत करने के साथ ही योगेश को पहली बार में असफलता ही हाथ लगी, हालांकि इसके बाद योगेश ने कृषि विशेषज्ञों से राय लेनी शुरू की, जिसके उन्हें काफी फायदा भी मिला।
म्यूजिशियन वृतम के सपनों के आगे हारी दिव्यांगता
साल 2005 में वृतम ने अपने पहले एल्बम ‘Writam’s Jyoti’ को लॉन्च किया था, हालांकि इसके बाद शुरू हुआ सफर लगातार जारी है।
वृतम चंगकाकोटी एक नेत्रहीन गीतकर-संगीतकार हैं, जो कई वाद्ययंत्र बजा सकते हैं। दृष्टिहीनता कई मामलों में उनके लिए कठिनाई जरूर लाती रही, लेकिन उनके मजबूत सपनों के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकी। शिक्षा के मामले में भी वृतम ने खुद को सबसे आगे खड़ा किया है। 10वीं की परीक्षा में 83 प्रतिशत और 12वीं की परीक्षा ने वृतम ने 81 प्रतिशत अंक अर्जित किए थे। वृतम ने परास्नातक की डिग्री भी हासिल की है।
असम में जन्मे और पले-बढ़े वृतम हमेशा से एक होनहार छात्र रहे हैं, लेकिन संगीत को लेकर उनकी रुचि भी शुरुआत से ही लगातार उनके भीतर घर करती रही है। वृतम के अनुसार संगीत उनके घर में उनके जन्म से पहले ही मौजूद था और इस तरह उन्हें संगीत अपने परिवार से विरासत में मिला।
वृतम के माता-पिता दोनों ही संगीत से जुड़े हुए हैं। वृतम की माँ जहां गायिका हैं, वहीं वृतम के पिता तमाम वाद्य यंत्र बजाते हैं। यहीं से वृतम के लिए संगीत के प्रति उनका जुड़ाव शुरू हुआ और बहुत शुरुआती उम्र में ही उन्होंने गानों को समझना और गुनगुनाना शुरू कर दिया गया था।
वृतम ने संगीत गुरुओं से तबला सीखने से अपनी शुरुआत की और इसी के साथ जल्द ही उन्होंने कीबोर्ड, गिटार और पियानो सीखना भी शुरू कर दिया। वृतम के अनुसार जब वे महज 5 साल के थे तब उन्होंने औपचारिक रूप से स्कूल जाना शुरू किया था और इसी दौरान ही उन्होंने संगीत सीखना भी शुरू कर दिया था।
साल 2005 में वृतम ने अपने पहले एल्बम ‘Writam’s Jyoti’ को लॉन्च किया था, हालांकि इसके बाद शुरू हुआ सफर लगातार जारी है। वृतम अब तक कई सोलो एल्बम व जाने-माने संगीतकारों के साथ भी अपने एल्बम रिलीज कर चुके हैं। म्यूजिक कम्पोज़ करने के लिए वृतम की प्रोसेस भी अन्य संगीतकारों की तरह ही है, जहां वे लिरिक्स और सिचुएशन के हिसाब से अपने गानों को कम्पोज़ करते हैं।
IAS की जगह चुना किसान बनना, सालाना कमा रहे 80 लाख रुपये
सुधांशु के पिता उन्हें आईएएस अधिकारी बनते हुए देखना चाहते थे, लेकिन सुधांशु ने आईएएस बनने की जगह एक सफल किसान बनना चुना।
सुधांशु कुमार, जो बिहार के समस्तीपुर स्थित नयानगर गाँव के निवासी हैं। आज सुधांशु कुमार अपनी 70 बीघे जमीन में आधुनिक खेती कर हर साल 80 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर रहे हैं।
आज सफल किसान बन चुके सुधांशु की शुरुआत भी दरअसल बेहद दिलचस्प है। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सुधांशु ने केरल में टाटा टी गार्डन में बतौर सहायक प्रबन्धक नौकरी करनी शुरू कर दी थी, हालांकि वहाँ उनका मन नहीं लगा तो वे नौकरी छोड़ कर गाँव वापस आ गए।
सुधांशु के पिता उन्हें आईएएस अधिकारी बनते हुए देखना चाहते थे, लेकिन सुधांशु ने आईएएस बनने की जगह एक सफल किसान बनना चुना।
सुधांशु के पिता ने उनके इस फैसले से नाखुशी जताते हुए उन्हें खेती के लिए 5 एकड़ बंजर जमीन दे दी थी, लेकिन सुधांशु ने वैज्ञानिक तकनीकों के जरिये जल्द ही जमीन के उस टुकड़े को खेती करने लायक उपजाऊ जमीन में बदल डाला। मालूम हो कि सुधांशु साल 1990 से खेती कर रहे है। सुधांशु अपनी खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन और माइक्रो स्प्रिंकलर तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। इस तकनीक की मदद से सुधांशु अपने लीची के बागान का तापमान एक समान रख पाने में सक्षम हो सके हैं।
ट्रक ड्राइवर के बेटे ने शुरू किया लॉजिस्टिक स्टार्टअप, अब कमा रहे 30 करोड़ रुपये
मुंबई स्थित TruckBhejo को 2016 में IIM बैंगलोर के पूर्व छात्र नीलेश घुले और सुप्रीत पेरिसेटला द्वारा लॉन्च किया गया था। 3,000 से अधिक सक्रिय ट्रकों के बेड़े के साथ स्टार्टअप के कुल 37 ग्राहक हैं।
नीलेश घुले के पिता ट्रक ड्राइवर थे। नीलेश कहते हैं कि उन्होंने देखा कि उनके माता-पिता स्थिर आय की कमी के कारण भारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। ट्रक ड्राइवरों के आसपास सामाजिक वर्जनाओं ने परिवार के लिए मामले को बदतर बना दिया। इसलिए, नीलेश ने बहुत पहले ही फैसला कर लिया था कि वह कभी भी लॉजिस्टिक्स सेक्टर का हिस्सा नहीं बनेंगे। लेकिन नियति के पास उनके लिए और भी योजनाएँ थीं।
पढ़ाई में अच्छा करते हुए, उन्होंने IIM बैंगलोर में प्रवेश लिया और फिर Infosys और Reliance Jio जैसी कंपनियों में काम किया। Jio में सीनियर प्रोडक्ट्स मैनेजर के रोल में काम करते हुए, उन्होंने महसूस किया कि लॉजिस्टिक्स और टेक्नोलॉजी के मिलाप ने भारत में एक गंभीर और स्केलेबल बिजनेस अवसर प्रस्तुत किया है।
YourStory से बात करते हुए वे कहते हैं, "मैंने सभी कठिनाइयों को देखा था और कभी भी लॉजिस्टिक्स में वापस नहीं आना चाहता था, लेकिन उस समय पूरे देश में डिजिटल लहर दौड़ गई थी और इसने मुझे पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया।"
2016 में, नीलेश ने IIM-बैंगलोर के अपने बैचमेट सुप्रीत पेरिसेटला के साथ लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप TruckBhejo की शुरुआत की।
स्टार्टअप FMCG, रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग और टेलीकॉम सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों को सालाना अनुबंध के आधार पर फर्स्ट, मिडिल और लास्ट माइल डिलीवरी सेवाएं प्रदान करता है। कंपनी ने अपनी स्थापना के बाद से एक मिलियन डिलीवरी पूरी करने का दावा किया है।
TruckBhejo अपने ग्राहकों के रूप में Flipkart, DMart, Amazon, Nestle, Hindustan Unilever और अन्य को गिनता है।
स्टार्टअप ने 2017 में इक्विटी फंडिंग में 1.6 करोड़ रुपये और डेट फंडिंग में 3.75 करोड़ रुपये जुटाए थे। नीलेश का कहना है कि कंपनी ने वित्त वर्ष 2020 में रेवेन्यू में लगभग 27 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 201 में 30 करोड़ रुपये कमाए हैं।