वीकली रिकैप: पढ़ें इस हफ्ते की टॉप स्टोरीज़!
यहाँ आप इस हफ्ते प्रकाशित हुई कुछ बेहतरीन स्टोरीज़ को संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
इस हफ्ते हमने कई प्रेरक और रोचक कहानियाँ प्रकाशित की हैं, उनमें से कुछ को हम यहाँ आपके सामने संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनके साथ दिये गए लिंक पर क्लिक कर आप उन्हें विस्तार से भी पढ़ सकते हैं।
एडटेक यूनिकॉर्न Vedantu का सफर
Vedantu के को-फाउंडर और सीईओ वामसी कृष्णा ने YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ एक एक्सक्लूसिव वीडियो बातचीत में अपने एडटेक स्टार्टअप को लेकर खुल कर बात की है। इस दौरान उन्होंने कंपनी के एक यूनिकॉर्न बनने तक के सफर, इस नई उपलब्धि के मायने और भविष्य में कंपनी के IPO की योजना पर बात की।
वामसी कृष्णा ने 2014 में जब अपना पहला लाइव ऑनलाइन क्लासरूम सेशन लिया था, तब शायद ही यह किसी ने सोचा होगा कि
आगे चलकर "ऑनलाइन लाइव ट्यूटरिंग" को मुख्यधारा में ला देगी। एडटेक स्टार्टअप वेदांतु ने हाल ही में एक यूनिकॉर्न कंपनी बनने की उपलब्धि हासिल की है।छात्रों को एक क्लिक में सीधे टीचर से जोड़ देने वाली वेदांतु और एडटेक सेक्टर में मौजूद ऐसी दूसरी कंपनियों ने पठन-पाठन के पुराने तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है।
सीखने की पारंपरिक प्रक्रिया "टॉप टू बॉटम" मॉडल पर आधारित थी। लेकिन आज पर्सनलाइज्ड टीचिंग मॉडल ने टीचर और स्टूडेंट के बीच तथाकथित अंतर को पाट दिया है। साथ ही इसने विभिन्न लर्निंग प्रोडक्ट, उपकरणों और तकनीकों के एक इकोसिस्टम को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है।
इसके साथ ही वेदांतु सहित तमाम एडटेक स्टार्टअप के जरिए ऑनलाइन ट्यूशन सेशन लेने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
Vedantu के को-फाउंडर और सीईओ वामसी कृष्णा ने YourStory को बताया किसी भी भारी भरकम वैल्यूएशन को हासिल करना या यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने से भी अधिक उन्हें समाज में वेदांतु के प्रभाव को देखकर "संतुष्टि और की भावना" मिलती है। साथ ही उन्हें गर्व भी होता है।
वेदांतु 27वां भारतीय स्टार्टअप है, जिसने इस साल 1 अरब डॉलर से अधिक की वैल्यूएशन वाली निजी टेक कंपनियों के क्लब में शामिल होने की उपलब्धि हासिल की है। वामसी ने YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के एक साथ एक एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया, "यूनिकॉर्न (स्टेटस और) वैल्यूएशन ... हम इसकी शेखी बघारना पसंद नहीं करते हैं। सच कहें तो आज जिस बात पर मुझे वास्तव में गर्व है, वह यह है कि 2014 में मैंने पहली लाइव क्लास ली थी। हालांकि अब लाखों की संख्या में छात्र ऐसा कर रहे हैं और यह मुख्यधारा की चीज बन रही है। यह कुछ ऐसा है जो मुझे खुशी और गर्व से भर देता है।”
पेप्सिको की सीईओ इंदिरा नूई की कहानी
कभी रॉक बैंड का हिस्सा होने से लेकर दिग्गज कंपनी पेप्सिको को सीईओ बनने तक का इंदिरा नूई का सफर संघर्ष, आश्चर्य और प्रेरणा से भरपूर है।
एक इंटरव्यू में इंदिरा नूई ने बताया है कि 60 और 70 के दशक में हर किशोर एक रॉकस्टार बनने का सपना देखा करता था और वे भी इससे जुदा नहीं थीं। इंदिरा नूई इस दौरान स्टेज पर भी परफॉर्म किया करती थीं। इंदिरा ने मद्रास क्रिश्चयन कॉलेज से गणित और भौतिकी जैसे विषयों में स्नातक और बाद में आईआईएम कोलकाता से मास्टर्स डिग्री की है। इंदिरा ने अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है। वे अपने कॉलेज के दिनों में क्रिकेट भी खेला करती थीं।
मद्रास में जन्मीं क्रिकेट की शौकीन रहीं इंदिरा के अनुसार उस दौरान उनके पास क्रिकेट का सामान नहीं हुआ करता था और वे क्रिकेट खेलने के लिए सफ़ेद कपड़े भी अपने भाई और पिता से लिया करती थीं। इंदिरा के अनुसार क्रिकेट के मैदान पर बिताया वो समय उनमें आत्मविश्वास को भरने वाला और सशक्त करने वाला था।
आईआईएम कोलकाता से मास्टर्स करने के बाद इंदिरा नूई को अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से पब्लिक और प्राइवेट मैनेजमेंट की पढ़ाई करने का मौका मिला और यहाँ से ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होने बोस्टन में ही एक कंसल्टेशन फर्म जॉइन कर ली। इंदिरा के करियर का बड़ा पड़ाव तब आया जब साल 1986 में उन्होने मोटोरोला को कॉर्पोरेट स्ट्रैटजी में बतौर वाइस प्रेसिडेंट जॉइन किया।
पेप्सिको को सफलता के शिखर पर ले जाने वाली इंदिरा नूई ने पेप्सिको साल 1994 में जॉइन की थी और साल 2006 में इंदिरा नूई को कंपनी में सीईओ पद के लिए चुना गया था। लगातार 12 सालों तक पेप्सिको को वैश्विक बाज़ार में मजबूती से खड़ा करने के बाद इंदिरा नूई ने साल 2018 में रिटायरमेंट ले लिया था।
नेहा मित्तल का लक्ष्य है मेडिकल डिवाइसेज को किफायती, सुलभ बनाना
पंजाब स्थित OneAbove Healthcare पूरे भारत में फार्मा व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और डीलरों सहित 300 से अधिक ग्राहकों को 1,000 रुपये से कम कीमत के चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करता है।
महज तीन साल की उम्र में ही नेहा मित्तल ने अपने पिता को खो दिया था। एक सिंगल पैरेंट के रूप में उनकी माँ ने सुनिश्चित किया कि नेहा की शिक्षा से कभी समझौता न करें और फिर भी नेहा ने अपनी माँ से जो सबसे पहला सबक सीखा, वह था वित्तीय स्वतंत्रता (financial independence) के बारे में।
अब हेल्थटेक इंडस्ट्री में आंत्रप्रेन्योर, नेहा का लक्ष्य अपने स्टार्टअप
के माध्यम से भारतीय बाजार में चिकित्सा उपकरणों (medical devices) को किफायती बनाना है। इससे पहले, वह 2015 में आंत्रप्रेन्योर बनने से पहले आठ साल के लिए अर्थशास्त्र और अंग्रेजी शिक्षक, अकादमिक लेखक और एक कॉर्पोरेट ट्रेनर थीं।वह YourStory को बताती है, "मेरा सीवी कुछ लोगों को जटिल लगता है, लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इन सभी कामों ने मुझे आज एक आंत्रप्रेन्योर के रूप में तैयार किया है।"
2018 में OneAbove के औपचारिक रूप से रजिस्टर होने से कुछ समय पहले नेहा का कहना है कि स्टार्टअप की उपस्थिति केवल लुधियाना, पंजाब के आस-पास के इलाकों तक ही सीमित थी, जहां इसका मुख्यालय था।
जब 2020 की शुरुआत में COVID-19 महामारी फैल गई, तो नेहा को यह आभास हुआ कि स्टार्टअप COVID-19 आवश्यक उपकरणों जैसे थर्मामीटर (thermometers) और ऑक्सीमीटर (oximeters) की मांगों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
सामर्थ्य पर नए सिरे से ध्यान देने के साथ, OneAbove Healthcare रक्त ग्लूकोज मॉनिटरिंग सिस्टम, शुगर स्ट्रिप्स, लांसिंग डिवाइस, डिजिटल थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर, नेबुलाइज़र सहित लगभग 12 उत्पादों की पेशकश करता है - सभी की कीमत 100 रुपये से 1,000 रुपये के बीच है।
नेहा कहती हैं, "महामारी के दौरान, हम पूरे भारत में विभिन्न अस्पतालों और डॉक्टरों को आपूर्ति कर रहे थे, लेकिन महसूस किया कि बहुत से लोगों के पास या तो धन की कमी थी या गुणवत्ता में अंतर से अनजान थे।"
B2B2B मॉडल पर काम करते हुए, स्टार्टअप फार्मा व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और डीलरों को पूरा करता है, जो फिर फार्मेसियों, केमिस्ट की दुकानों और ऑनलाइन मार्केटप्लेस को आपूर्ति करते हैं। यह अब भारत भर में 300 से अधिक ग्राहकों को पूरा करता है, जिसमें कोयंबटूर में Oceanic Healthcare, इंदौर में Nice Pharmaceuticals, केरल में Heal & Cure, सहारनपुर में Kalyan Healthcare और छत्तीसगढ़ में Jagat Pharmacy शामिल हैं।
स्टार्टअप अपने प्रोडक्ट्स का 50 प्रतिशत पंजाब में अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी में बनाती है, जबकि शेष आधा ताइवान और चीन जैसे देशों से इम्पोर्ट किया जाता है।
जलगाँव से लेकर 3 लाख+ आउटलेट तक: Nilon's की कहानी
1962 में स्थापित, Nilon's, एक ऐसी ही FMCG कंपनी है, जिसने इन सभी वर्षों में सर्वाइव करते हुए और प्रासंगिक बने रहते हुए, इस सेगमेंट को 110 बिलियन डॉलर का उद्योग बनते हुए देखा है।
महाराष्ट्र के जलगाँव जिले में स्थित, Nilon's की स्थापना सुरेश बी संघवी ने की थी। सुरेश के बेटे और दूसरी पीढ़ी के उद्यमी, दीपक सांघवी बताते हैं कि चूंकि वह किसानों के परिवार से ताल्लुक रखते थे, इसलिए सुरेश के बड़े भाई ने उन्हें खेती के अलावा अन्य रास्ते तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया। दीपक आज निलॉन्स के प्रबंध निदेशक हैं।
YourStory के साथ बातचीत में, दीपक ने 1960 और 1970 के दशक के अंत में व्यवसाय के शुरुआती दिनों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता ने उनके घर की रसोई को एक प्रकार की निर्माण इकाई में और खाने की मेज को एक प्रयोगशाला में बदल दिया, जहाँ सभी इंग्रेडिएंट्स को चखा और परखा गया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे जब उन्होंने 2004 में फुल टाइम के तौर पर ज्वाइन किया तो कंपनी ने मुख्य रूप से तीन मुख्य आधारों - वितरकों, खुदरा विक्रेताओं और ग्राहकों पर ध्यान केंद्रित करके एक प्रकार के परिवर्तन का अनुभव किया।
60 के दशक में, सुरेश ने जो पहला उत्पाद लॉन्च किया, वह था स्क्वैश कॉन्संट्रेट, उसके बाद जैम, टूटी-फ्रूटी, रोस्टेड सेवइयां, अचार, डिब्बाबंद फल और बहुत कुछ।
दीपक याद करते हुए कहते हैं, “उस समय हमारे पास दो कारें थीं। जब भी उत्पाद तैयार होते, मेरे पिता और चाचा एक-एक कार लोड करते और बाजारों में उसे बेचने के लिए अलग-अलग दिशाओं में जाते।”
जल्द ही कंपनी ने अपनी तीन विनिर्माण इकाइयां स्थापित कीं और यहां तक कि जापान को निर्यात करना भी शुरू कर दिया।
खेती करने वाले एबी जॉर्ज को मिली 40 लाख की स्कॉलरशिप
केरल के कुट्टनाड के चेंपमपुरम के एक छोटे से गाँव के निवासी एबी जल्द ही दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड में स्थित डेवोन काउंटी के एक्सेटर विश्वविद्यालय में ‘ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी सोल्यूशंस’ में मास्टर्स की पढ़ाई शुरू करेंगे।
अपने परिवार की मदद करने के लिए खेतों में काम करने वाले एबी जॉर्ज अब यूनाइटेड किंगडम के एक बड़े विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने जाने वाले हैं। केरल के कुट्टनाड के चेंपमपुरम के एक छोटे से गाँव के निवासी एबी जल्द ही दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड में स्थित डेवोन काउंटी के एक्सेटर विश्वविद्यालय में ‘ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी सोल्यूशंस’ में मास्टर्स की पढ़ाई शुरू करेंगे।
एबी को अपनी पढ़ाई के लिए 40 लाख रुपये की कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप हासिल हुई है।
एबी जिस विषय की पढ़ाई करने जा रहे हैं दरअसल उसकी शुरुआत उनके घर से ही हुई है। एबी का गाँव पानी से भरा हुआ है और वहाँ अधिकांशत: धान की ही खेती की जाती है और दिलचस्प बात यह है, कि एबी ने भी धान की खेती करते हुए ही अपने विषय को लेकर ज्ञान जुटाया है।
एबी के पिता जॉर्ज जोसेफ एक पारंपरिक किसान हैं और एबी ने अपने पिता के साथ उनके पाँच एकड़ खेत में होने वाली धान की फसल की देखरेख में शुरुआत से ही पिता का हाथ बटाया है। चंबाकुलम पंचायत के पुथेनकारी पोल्डर गाँव के निवासी एबी ने अपने खेती-किसानी के इस गुर के चलते ही यह खास स्कॉलरशिप हासिल की है।
एबी ने बताया है कि वे प्रकृति की अनियमितताओं से लड़ते हुए अपनी जीविका कमाते हैं। क्षेत्र के किसान अक्सर बाढ़, ताजे पानी की कमी, कीटों के हमले और इस तरह की तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते रहते हैं। गौरतलब है कि इन सब के बीच कई बार किसानों को समय से पहले ही अपनी फसलों को काटना पड़ जाता है।
एबी के अनुसार खेती के दौरान सामने आए समस्याओं और उनसे निपटने के अनुभव ने ही उन्हें इन बाधाओं को दूर करने और इस प्रतिष्ठित स्कॉलरशिप को हासिल करने का साहस दिया है।
अब यह स्कॉलरशिप एबी को एक्सेटर विश्वविद्यालय में सभी खर्च के साथ उनके 12 महीनों के कार्यक्रम को पूरा करने में सक्षम बनाएगी। मालूम हो कि एबी ने साल 2019 में चंगानस्सेरी स्थित सेंट बर्चमैन कॉलेज से बीकॉम पूरा किया था और इसी के बाद शोध में उनकी रुचि बढ़ी है।
YourStory की फ्लैगशिप स्टार्टअप-टेक और लीडरशिप कॉन्फ्रेंस 25-30 अक्टूबर, 2021 को अपने 13वें संस्करण के साथ शुरू होने जा रही है। TechSparks के बारे में अधिक अपडेट्स पाने के लिए साइन अप करें या पार्टनरशिप और स्पीकर के अवसरों में अपनी रुचि व्यक्त करने के लिए यहां साइन अप करें।
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