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भारत में फिनटेक इंडस्ट्री को लेकर क्या है नियम और कानून

दुनियाभर में ही नहीं बल्कि भारत में भी फिनटेक इंडस्ट्री दिन-दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है। लेकिन, अब आपको भारत में इस इंडस्ट्री के लिए बनाए गए कानून और नियम (Law & Regulations) के बारे में भी जान लेना चाहिए।

भारत में फिनटेक इंडस्ट्री को लेकर क्या है नियम और कानून

Thursday May 19, 2022 , 6 min Read

भारत के फिनटेक मार्केट साइज की बात करें तो, Invest India की रिपोर्ट के आंकड़े काफी रोचक है। भारत में विश्व स्तर पर सबसे अधिक फिनटेक अपनाने की दर है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक बाजारों में से एक है और भारत में 6,636 फिनटेक स्टार्टअप हैं।

2021 में भारतीय फिनटेक इंडस्ट्री का मार्केट साइज 31 बिलियन डॉलर था, और 2025 तक 150 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। फिनटेक ट्रांजेक्शन वैल्यू साइज 2019 में 66 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में 138 बिलियन डॉलर, 20% की CAGR से बढ़ रही है।

लेकिन, अब आपको भारत में इस इंडस्ट्री के लिए बनाए गए कानून और रेग्यूलेशन (Law & Regulations) के बारे में भी जान लेना चाहिए।

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सांकेतिक चित्र

फिनटेक के लिए क्यों जरूरी है कानून और रेग्यूलेशन?

भारत में हर इंडस्ट्री के लिए सरकार ने कानून और रेग्यूलेशन बना रखे हैं। ऐसे में फिनटेक भी इससे अलग नहीं है। हालांकि, इसको लेकर सरकार ने कोई एक निर्धारित सेट अभी तक नहीं बनाया हुआ है। जिस तरह से रोज़ नई टेक्नोलॉजी आ रही है, उसी तरह उसके नियम, कानून, और रेग्यूलेशन बनाए जा रहे है। सरकार इसको लेकर काफी सकारात्मक है, और इसे बढ़ावा भी दे रही है।

टेक्नोलॉजी के विकास के साथ, नियामकों (regulators) के लिए फिनटेक कानूनों के अनुसार ताज़ा तकनीकी विकास को बनाए रखना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा है। रेग्यूलेटर्स और पॉलिसी मेकर्स को नए फिनटेक इनोवेशंस को समझना होगा और ऐसे नियमों को बढ़ावा देना होगा जो इसकी सिक्योरिटी से समझौता किए बिना इसकी सर्विस को बढ़ाएंगे।

अब जैसा कि, फिनटेक इंडस्ट्री दिन-दोगुनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है, धोखाधड़ी, उल्लंघनों और साइबर सिक्योरिटी जैसे खतरे भी बढ़ रहे हैं। नए पेमेंट सिस्टम और मॉडल सिक्योरिटी और मार्केट की अखंडता से समझौता कर सकते हैं। नए प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को उन ग्राहकों को बेचा जा सकता है जो जोखिमों का एहसास नहीं कर पाते। ब्लॉकचैन, क्राउडफंडिंग, और क्रिप्टोकरेंसी भी धोखाधड़ी और हैकिंग के खतरों को पनाह दे रहे हैं। फाइनेंस सेक्टर के इन जोखिमों के कारण, फाइनेंशियल सर्विसेज दुनिया में सबसे अधिक विनियमित क्षेत्र हैं।

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सांकेतिक चित्र

फिनटेक के लिए बनाए गए कानून और रेग्यूलेशन

भारत में फिनटेक इंडस्ट्री को लेकर अलग-अलग वक्त में सरकार, RBI और दूसरे रेग्यूलेट्री इंस्टीट्यूट्स ने अलग-अलग कानून और रेग्यूलेशन बनाए हैं, जोकि इस प्रकार हैं —

Payment and Settlement Systems Act (2007): यह कानून भारत में पेमेंट रेग्यूलेशन को कंट्रोल करने वाला मुख्य कानून है। यह एक्ट भारत में किसी भी 'पेमेंट सिस्टम' की शुरुआत और संचालन को मैनेज करता है। पेमेंट स्ट्रक्चर में क्रेडिट और डेबिट कार्ड ऑपरेशन, स्मार्ट कार्ड ऑपरेशन, फंड ट्रांसफर और PPI (Prepaid Payment Instrument) शामिल हैं।

NBFC रेग्यूलेशन: 1934 का भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम सभी NBFC को कंट्रोल करता है। इसके नियमों के अनुसार, भारत में फिनटेक सर्विसेज देने वाली हर ऑर्गेनाइजेशन को RBI द्वारा रजिस्टर कराना होगा। RBI अधिनियम की धारा 45-IA के अनुसार, कोई भी NBFC RBI से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किए बिना किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (Non-Banking Financial Institution) के बिजनेस को शुरू या आगे नहीं बढ़ा सकता है।

UPI पेमेंट के लिए NPCI रेग्यूलेशन: NPCI (National Payments Corporation of India) द्वारा जारी की गई UPI गाइडलाइंस, भारत में UPI पेमेंट्स को रेग्यूलेट करती हैं। बैंकों द्वारा UPI प्लेटफॉर्म के जरिए फंड ट्रासंफर करने की सर्विसेज दी जा चुकी हैं। बैंक UPI पेमेंट के लिए मोबाइल एप्लिकेशन के संचालन के लिए टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर्स को शामिल कर सकते हैं, लेकिन पात्रता मानदंड और NPCI द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण मानदंडों के तहत।

पेमेंट बैंकों को कंट्रोल करने के लिए नियम: पेमेंट बैंक, बैंक के रूप में काम करते हैं लेकिन छोटे पैमाने पर। यह लोन नहीं दे सकते, क्रेडिट कार्ड जारी नहीं कर सकते। ये बैंक प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के रूप में रजिस्टर होते हैं और बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 22 के तहत लाइसेंस प्राप्त हैं। विशिष्ट लाइसेंसिंग शर्तें बैंकों की गतिविधियों को प्रतिबंधित करती हैं, विशेष रूप से मांग जमा की स्वीकृति और भुगतान और निपटान पर।

P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइंस: पीयर-टू-पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म 2017 के दिशा-निर्देश भारत में P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म को ऑपरेट करने से संबंधित ऋणदाता जोखिम मानदंड और उधार सीमा निर्धारित करते हैं।

एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट: जैसा कि नाम से पता चलता है, Prevention of Money-Laundering Act (PMLA), 2002 मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए और मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए एक अधिनियम है। शेल कंपनियों, बिचौलियों का उपयोग करके अवैध रूप से प्राप्त धन को दुनिया भर में ट्रांसफर किया जाता है। इस तरह, अवैध धन को वैधता का रंग दिया जाता है, और यह अर्थव्यवस्था में अपना रास्ता खोज लेता है। बाद में साल 2005 में RBI ने Prevention of Money-Laundering (Maintenance of Records) Rules, 2005 बनाया। फिर 25, फरवरी, 2016 में RBI ने RBI's Master Directions on KYC जारी किए, जिनमें समय-समय पर जरूरी बदलाव भी किए गए।

डेटा प्राइवेसी एण्ड प्रोटेक्शन: 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने हमारे संविधान के अनुसार जीवन के अधिकार (आर्टिकल 21) के ढांचे के तहत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। हालांकि, भारत में एक स्टैंडअलोन और व्यापक गोपनीयता कानून मौजूद नहीं है। वर्तमान में, पूरक नियमों के साथ पढ़ा गया इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000, व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी आधारशिला के रूप में कार्य करता है।

कानून निर्माता और नियामक आर्थिक और तकनीकी विकास के लिए डेटा के महत्व को उत्तरोत्तर पहचानते हैं। इसलिए, 2021 में अलग-अलग क्षेत्रों में डेटा प्राइवेसी और पर्सनल डेटा सिक्योरिटी सेक्टर में महत्वपूर्ण विकास हुए।

कानून के संदर्भ में, प्रस्तावित डेटा प्रोटेक्शन लॉ (Data Protection Law) पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट ने 2021 के डेटा संरक्षण विधेयक (Data Protection Bill) को एक नया स्वर और कार्यकाल दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पेमेंट एग्रीगेटर्स और उधार देने वाली ऐप्लीकेशंस के लिए प्रतिबंध विकसित किए, जबकि Bureau of Indian Guidelines ने एंटरप्राइजेज के लिए डेटा प्राइवेसी स्टैंडर्ड्स को तैयार किया। केंद्र सरकार ने इंटरनेट बिचौलियों को विनियमित करने के लिए उचित परिश्रम नियमों को भी आगे बढ़ाया।

इन नियम-कानूनों के अलावा, साल 2015 में RBI ने Online Payment Gateway Service Providers (OPGSP) के लिए इंपोर्ट-एक्सपोर्ट से संबंधित पेमेंट्स को लेकर खास दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनमें समय-समय पर जरूरी बदलाव भी किए गए।