दो देशों के बीच क्या होता है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट? कैसे व्यापार बढ़ाने में मिलती है मदद
भारत के अन्य देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बात करें तो भारत अभी तक 13 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कर चुका है.
अक्सर हम सुनते हैं कि दो देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (Free Trade Agreement) हुआ. इसे मुक्त व्यापार समझौता भी कहते हैं. इससे दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी. भारत के अन्य देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की बात करें तो भारत अभी तक 13 फ्री ट्रेड एग्रीमेंट कर चुका है. 2 अप्रैल 2022 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. यह दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं दोनों में एक मुक्त व्यापार समझौता स्थापित करता है. भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच 20 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है. इस समझौते के बाद इसके कई गुना बढ़ने की उम्मीद है.
आइए जानते हैं कि आखिर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होता क्या है और इससे देशों को क्या फायदा होता है...
व्यापार को सरल बनाने के लिए FTA
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट, देशों के बीच व्यापार को सरल बनाने के लिए किया जाता है. FTA की मदद से दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामकीय कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है. इसका एक बड़ा फायदा यह होता है कि जिन दो देशों के बीच में यह समझौता होता है, उनकी उत्पादन लागत बाकी देशों के मुकाबले सस्ती हो जाती है. इससे व्यापार और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है.
FTA, प्रत्येक देश द्वारा आयात की विशाल मेजॉरिटी पर तत्काल टैरिफ कटौती और उनके अंतिम उन्मूलन का प्रावधान करता है. जब दो देशों के बीच एफटीए होता है तो दोनों देशों के खरीदारों को शुल्क मुक्त आयात का फायदा मिलता है. इससे उत्पादकों की लागत में कमी आती है और प्रतिस्पर्धा में सुधार होता है. उपभोक्ताओं को कम कीमतों का सीधा लाभ मिलता है. सेवाओं में FTA वित्तीय सेवाओं, दूरसंचार और प्रोफेशनल सेवाओं जैसे क्षेत्रों को शामिल करता है.
अगर सभी FTA सदस्य विकासशील देश हों तो...
वस्तुओं के मामले में FTA पर विश्व व्यापार संगठन के नियमों के मुताबिक, अगर सभी FTA सदस्य विकासशील देश हों तो नियम काफी ढीले होते हैं. ऐसे में सदस्य देश व्यापार बाधाओं को पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय केवल कम करने का विकल्प चुन सकते हैं और अपनी पसंद के अनुसार कम या अधिक उत्पादों पर कटौती लागू कर सकते हैं.
भारत-जापान FTA को छोड़कर भारत के सभी FTA अन्य विकासशील देशों (2005 में सिंगापुर, 2010 में दक्षिण कोरिया, 2010 में आसियान, 2011 में मलेशिया और 2022 में यूएई) के साथ हैं. नतीजतन उन सभी में आंशिक व्यापार प्राथमिकताएं शामिल हैं, जिसमें उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा उदारीकरण से पूरी तरह से बाहर रखा गया है.
अगर विकसित देश शामिल हों...
नियमों के मुताबिक, जब भी FTA में सदस्य के रूप में एक या अधिक विकसित देश शामिल हों तो सभी सदस्य देशों को उनके बीच ट्रेड किए जाने वाले सभी उत्पादों पर शुल्कों और अन्य व्यापार प्रतिबंधों को समाप्त करना होगा. इसका मतलब हुआ कि कि जब भी एक या एक से अधिक विकसित देश FTA के सदस्य होते हैं तो FTA में आंशिक व्यापार वरीयताओं का आदान-प्रदान प्रतिबंधित है. लगभग सभी ट्रेड्स को कवर किया जाना चाहिए और व्यापार बाधाओं को कम करने के बजाय समाप्त किया जाना चाहिए.
भारत के FTA
भारत-यूएई CEPA और इंडिया-ऑस्ट्रेलिया इकनॉमिक को-ऑपरेशन एंड ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हो चुके हैं लेकिन अभी इनका लागू होना बाकी है.